जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव (Jammu-Kashmir Assembly Elections) को लेकर एनडीटीवी के ख़ास कार्यक्रम ‘हाउस VOTE’ में पर्यटन और सेब उद्योग को लेकर चर्चा हुई.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव (Jammu-Kashmir Assembly Elections) को लेकर मौसम परवान पर है. कश्मीर को पर्यटन के लिए जाना जाता है तो कभी न भूलने वाला स्वाद के लिए यहां का सेब भी काफी फेमस है. ऐसे में श्रीनगर की डल झील से एनडीटीवी ने ‘हाउस VOTE’ कार्यक्रम के जरिए कश्मीर के पर्यटन और यहां की इंडस्ट्री को लेकर बातचीत की. इस कार्यक्रम में ट्रैवल एजेंट सोसाइटी ऑफ कश्मीर के प्रेसिडेंट मोहम्मद इब्राहिम सियाह और सुपर फ्रेश एग्रो प्रोडक्ट के डायरेक्टर उबैर शाह ने अपनी बात रखी.
शियाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में पर्यटन बहुत ही जरूरी था. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि पर्यटन के लिए पीएम मोदी ने कश्मीर को लेकर जो सिग्नल दिया, उससे यहां पर पर्यटन में इजाफा हुआ है. साथ ही उन्होंने कहा कि जी-20 समिट बहुत ही अच्छा कदम था.
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उन्होंने कहा कि कश्मीर में जून तक पर्यटन उछाल पर था. सरकार पर्यटन के जो आंकड़े बता रही है, उसका मिलान करना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि यहां पर जो भी आता है, उसे पर्यटन में गिना जाता है. हालांकि यह सही बात है कि पर्यटन यहां पर उछाल पर था और हर तरफ रौनक थी और हर इंसान खुश था. गौरतलब है कि 2024 के शुरुआती यहां 12 लाख से ज्यादा पर्यटक आए हैं.
सियाह ने कहा कि पर्यटन को लेकर अभी तक हम अभी तक बेहतर सुविधाओं को विकसित नहीं कर पाए हैं, क्योंकि यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत कम है और कई जगहों पर कंस्ट्रक्शन को लेकर कई तरह के प्रतिबंध हैं. उन्होंने कहा कि कोविड के बाद बड़ी संख्या में लोग आए, लेकिन यहां पर बड़े होटल नहीं हैं.
पर्यटन पॉलिसी स्पष्ट होनी चाहिए : सियाह
उन्होंने कहा कि सभी लोग पर्यटन को बढ़ावा देने और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने की बात करते हैं, लेकिन अभी तक पॉलिसी साफ नहीं है. यह चुनाव परिणाम के नतीजों के बाद ही यह पता चलेगा कि क्या होगा.
उन्होंने कहा कि सभी ने अपने घोषणापत्र में पर्यटन को लेकर बात रखी है, लेकिन आज का परिप्रेक्ष्य अलग है, इसमें बड़ा सवाल है कि हमारी स्थानीय सरकार के पास में वह शक्तियां है, जिससे उन चीजों को लागू किया जा सकेगा या नहीं.
उन्होंने उम्मीद जताई कि जो भी सरकार आएगी वो पर्यटन के लिए अच्छा काम करेगी. उन्होंने कहा कि होटल बनाने के लिए पर्यटन पॉलिसी स्पष्ट होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कश्मीर को लेकर धारणा बदली है और लोगों का डर निकल गया है. उन्होंने कहा कि जो लोग आते हैं वो यहां से खुश होकर जाते हैं.
‘हमारी समस्याएं स्थानीय प्रतिनिधि ही समझ सकते हैं’
इस दौरान सुपर फ्रेश एग्रो प्रोडक्ट के डायरेक्टर और सीईओ उबैर शाह ने कहा कि उन्होंने कहा कि चुनाव का स्वागत करते हुए कहा कि हमें एक स्थानीय प्रतिनिधि चाहिए क्योंकि हमारी समस्याओं को स्थानीय प्रतिनिधि ही समझ सकते हैं. उन्हें रोजमर्रा की समस्याओं के बारे में पता होता है. इसलिए हम चाहेंगे कि एक मजबूत सरकार बने और लोगों की समस्याओं को दूर करे और लोगों के जीवन को बेहतर बनाएं.
शाह ने कहा कि 2018 में मैंने यहां पर अपना काम शुरू किया था और सरकार की नीतियों से काफी सहायता मिली. उन्होंने कहा कि बहुत सी चीजें बेहतर हुई हैं. लॉजिस्टिक यहां पर हमेशा से चुनौती रही है.
उन्होंने कहा कि यहां पर मौसम की वजह से लैंडस्लाइड होती थी और हफ्ता-हफता हाईवे बंद रहते थे, लेकिन अब इसमें सुधार आया है. उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि इसमें काफी इंवेस्टमेंट की जरूरत है, जिससे सामान वक्त पर बाजारों तक पहुंचन सके. साथ ही उन्होंने कहा कि हमें नई सरकार से उम्मीद है कि हिमाचल के पैटर्न पर किसानों को सब्सिडी दी जाए.
अवैध रूट से आने वाला सेब बड़ी चुनौती : शाह
उन्होंने एपल इंडस्ट्री को लेकर कहा कि सरकार सेब के प्रोडक्शन में इजाफे के लिए सरकार बढ़ावा दे रही है. ईरान से अफगानिस्तान के रूट से भारत में जो सेब आ रहा है, वो सबसे बड़ी चुनौती है. दरअसल, भारत और अफगानिस्ताान के बीच एक फ्री ट्रेड है, इसके कारण ईरान का सेब अफगानिस्तान के रास्ते भारत में आ रहा है.
उन्होंने कहा कि हमारा मुल्क दूसरे देशों के लिए भी बड़ा मार्केट है. कई देशों में बड़ी पैदावार होती है, लेकिन उनके यहां पर बड़ा बाजार नहीं है, इसलिए कई देश भारत को बड़े मार्केट के रूप में देखते हैं. हमें उनसे दिक्कत नहीं है, लेकिन अवैध रूट से आने वाला सेब बड़ी चुनौती बना हुआ है.
7 लाख सेब के पेड़, 22 लाख मीट्रिक टन पैदावार
कश्मीर में सेब की 22 लाख मीट्रिक टन पैदावार होती है, जो देश के उत्पादन का 80 फीसदी है. कश्मीर में करीब 7 करोड़ सेब के पेड़ हैं. कश्मीर में 10 हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था है. हालांकि अनुमान है कि अगर सेब की इंडस्ट्री को बढ़ावा दिया जाए तो यह 40 हजार करोड़ तक जा सकती है.
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