जर्मनी का कहना है कि वह इस साल भारत के अपने संबंधों को और आगे बढ़ाते हुए नवीकरणीय ऊर्जा, शहरी विकास, वन पारिस्थितिकी तंत्र, जल प्रबंधन और टिकाऊ कृषि जैसे क्षेत्रों में रियायती ऋण और तकनीकी सहयोग के लिए 1 बिलियन यूरो का आर्थिक सहयोग करेगा.
भारत और जर्मनी के रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं. दोनों देश साथ-साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं. आने वाले वर्षों में भी ऐसे देखने को मिलेगा. हाल ही में दोनों देशों के बीच अक्षय ऊर्जा, शहरी विकास, गतिशीलता और कृषि पारिस्थितिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने की दिशा में वार्ता हुई. जर्मन दूतावास ने बताया कि ये वार्ता बेहद सफल रही… इस वर्ष जर्मनी ने नवीकरणीय ऊर्जा, शहरी विकास, वन पारिस्थितिकी तंत्र, जल प्रबंधन और टिकाऊ कृषि जैसे क्षेत्रों में रियायती ऋण और तकनीकी सहयोग से जुड़ी पहलों के लिए 1 बिलियन यूरो (93 अरब से ज्यादा) की प्रतिबद्धता जताई है.
नई दिल्ली में आयोजित वार्ता का नेतृत्व भारतीय वित्त मंत्रालय और जर्मन संघीय आर्थिक सहयोग और विकास मंत्रालय (BMZ) ने किया. दोनों देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ द्वारा 2022 में स्थापित हरित और सतत विकास के लिए अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वार्ता के दौरान जर्मन प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख बारबरा शेफ़र ने साझेदारी के रणनीतिक महत्व को बताते हुए कहा, ‘जर्मनी और भारत लंबे समय से एक-दूसरे के भरोसेमंद और रणनीतिक साझेदार रहे हैं. इसे 2024 में दोनों पक्षों द्वारा और भी बेहतर तरीके से प्रदर्शित किया गया है.’
शेफ़र ने कहा कि गांधीनगर में चौथे रीइन्वेस्ट में ‘भारत-जर्मनी प्लेटफ़ॉर्म फॉर इन्वेस्टमेंट इन रिन्यूएबल एनर्जी वर्ल्डवाइड’ का शुभारंभ उनके सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. उन्होंने कहा कि जर्मनी अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा कर रहा है, जिसमें जर्मनी, भारत में जलवायु-अनुकूल कृषि और बुनियादी ढांचे के विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों का समर्थन कर रहा है.’
शेफ़र ने कहा कि गांधीनगर में चौथे रीइन्वेस्ट में ‘भारत-जर्मनी प्लेटफ़ॉर्म फॉर इन्वेस्टमेंट इन रिन्यूएबल एनर्जी वर्ल्डवाइड’ का शुभारंभ उनके सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. उन्होंने कहा कि जर्मनी अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा कर रहा है, जिसमें जर्मनी, भारत में जलवायु-अनुकूल कृषि और बुनियादी ढांचे के विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों का समर्थन कर रहा है.’
भारत-जर्मन सहयोग के माध्यम से, 7,700 किलोमीटर तक फैली आधुनिक ट्रांसमिशन लाइनें पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं, जिसमें जर्मन की मदद से मुंबई, सूरत, अहमदाबाद और कोच्चि में जल मेट्रो परियोजनाओं में योगदान दे रहा है. शेफ़र ने जर्मनी और भारत की साझेदारी को लेकर कहा, ‘जर्मनी, भारतीय किसानों को उनके कृषि उत्पादन को अधिक जलवायु-अनुकूल, संसाधन-कुशल और टिकाऊ बनाने में सहायता करता है.’ इस दौरान उन्होंने पेरू और कई अफ्रीकी देशों में चल रही त्रिकोणीय परियोजनाओं का भी उल्लेख किया.
भारत और जर्मनी के बीच अगले महीने अक्टूबर में द्विपक्षीय बैठक होने जा रही है, जिसके लिए इस वार्ता ने एक आधार तैयार किया है. जर्मन दूतावास का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर स्कोल्ज़ से उम्मीद है कि वे इस प्रगति को और आगे बढ़ाएंगे.
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