रूस ने 1710 न्यूक्लियर वॉरहेड्स अलग-अलग जगहों पर तैनात कर रखे हैं. उसके पास 870 लैंड बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइलें हैं. वहीं, 640 सबमरीन से चलने वाली मिसाइलें भी रूस के पास हैं. रूस ने 200 न्यूक्लियर वॉरहेड्स आर्मी बेस पर तैनात कर रखे हैं.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने एक बार फिर से पश्चिम देशों को न्यूक्लियर हथियारों (Nuclear Warheads) से हमले की धमकी दी है. मॉस्को में बुधवार को सुरक्षा परिषद की तत्काल मीटिंग में पुतिन ने ये बातें कही. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि उनकी सरकार न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल से जुड़े नियम और शर्तों को बदलने जा रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन सरकार देश के न्यूक्लियर रेगुलेशन में कई नई चीजें जोड़ेगी. इसमें रूस के खिलाफ मिसाइल या फिर ड्रोन हमलों के खिलाफ न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल भी शामिल है. रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि अगर रूसी इलाके में बड़े पैमाने पर मिसाइल या ड्रोन हमला होता है, जिससे देश की संप्रभुता पर गंभीर खतरा आ सकता है. ऐसे मामलों में भी रूस अपने न्यूक्लियर वॉरहेड्स का इस्तेमाल कर सकता है.
पश्चिमी देशों को चेतावनी देते हुए व्लादिमीर पुतिन ने कहा, “अगर रूस पर पारंपरिक मिसाइलों से हमला किया गया, तो वह न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. रूस पर किसी भी न्यूक्लियर पावर की मदद से किए गए हमले को संयुक्त हमला माना जाएगा.”
आइए समझते हैं आखिर न्यूक्लियर हथियारों के मामले में कितना ताकतवर है रूस? पुतिन की धमकी में कितना है दम? पुतिन की धमकी अब तक कितनी बार सच में बदल चुकी है?
क्या है रूस का न्यूक्लियर सिद्धांत?
रूस का मौजूदा परमाणु सिद्धांत जून 2020 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश के जरिये स्थापित किया गया था. यह सिद्धांत 6 पेज का है. इसमें कहा गया है-“अगर रूस पर या उसके सहयोगियों पर न्यूक्लियर हथियारों या अन्य प्रकार के विनाशकारी हथियारों का इस्तेमाल होता है या पारंपरिक हथियारों के साथ आक्रमण की स्थिति में उसके अस्तित्व को खतरा होता है, तो रूसी संघ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने का अधिकार सुरक्षित रखता है.”
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न्यूक्लियर वॉरहेड्स से लैस हैं कितने देश?
1945 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर एक-एक न्यूक्लियर बम गिराए गए थे, तब सिर्फ अमेरिका के पास इसकी क्षमता थी. आज दुनिया के 7 देशों के पास घोषित रूप से न्यूक्लियर हथियार हैं. जबकि 9 देशों के पास अघोषित रूप से न्यूक्लियर हथियार हैं.
-दुनियाभर में जितने न्यूक्लियर वॉरहेड्स हैं, उनमें से 90% रूस और अमेरिका के पास ही हैं.
-फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट के मुताबिक, रूस के वेरिफाइड न्यूक्लियर वॉरहेड्स की संख्या 5580 है, जबकि अमेरिका के पास 5428 न्यूक्लियर वेपन हैं.
-नॉर्थ कोरिया के पास 20 न्यूक्लियर वॉरहेड्स हैं. इजरायल के पास 90 न्यूक्लियर वेपन हैं
– भारत के पास 160 और पाकिस्तान के पास 165 न्यूक्लियर वॉरहेड्स हैं.
-ब्रिटेन के पास 225, फ्रांस के पास 290 और चीन के बाद 350 न्यूक्लियर वॉरहेड्स हैं.
एक न्यूक्लियर वेपन मचा सकता है कितनी तबाही?
-100 टन का एक न्यूक्लियर वेपन 1.8 किलोमीटर के एरिया को पूरी तरह तबाह कर सकता है. 3 किलोमीटर के एरिया में यह गंभीर तबाही मचा सकता है.
-अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर में 15 किलोटन वाला न्यूक्लियर बम गिराया था. इससे 1.46 लाख लोगों की जान चली गई थी.
रूस ने कहां रखे हैं न्यूक्लियर वॉरहेड्स?
रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने 1710 न्यूक्लियर वॉरहेड्स अलग-अलग जगहों पर तैनात कर रखे हैं. उसके पास 870 लैंड बेस्ड बैलिस्टिक मिसाइलें हैं. वहीं, 640 सबमरीन से चलने वाली मिसाइलें भी रूस के पास हैं. रूस ने 200 न्यूक्लियर वॉरहेड्स आर्मी बेस पर तैनात कर रखे हैं.
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ये कैसे होते हैं एक्टिव?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पास हमेशा एक ब्रीफकेस होता है. इसमें न्यूक्लियर मिसाइलों का कोड होता है. राष्ट्रपति जहां भी जाते हैं, इस ब्रीफकेस को साथ लेकर जाते हैं. यहां तक कि जब वो सोते भी हैं, तो उनकी बेड के पास यह ब्रीफकेस रखा रहता है. अगर रूस में कभी कोई हमले हुए या दुश्मन की कोई एक्टिविटी हुई, तो इस ब्रीफकेस से अलार्म बजने लगता है. हमले की डेंसिटी को भांपते हुए राष्ट्रपति चाहे तो कोड का इस्तेमाल कर न्यूक्लियर अटैक कर सकते हैं.
यूक्रेन को किन देशों ने दिए हथियार?
-यूक्रेन को अमेरिका और उसके सहयोगी NATO के सदस्यों ने कई विनाशकारी हथियार मुहैया कराए हैं, लेकिन इनमें घातक मिसाइलों के इस्तेमाल करने की इजाजत यूक्रेन को नहीं दी गई है.
-यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अमेरिका से इनके इस्तेमाल की इजाजत मांगी है. इस बीच पुतिन ने साफ किया है कि अगर रूस के ऊपर घातक मिसाइलों, ड्रोनों और एयरक्राफ्ट से हमले किए गए, तो वे इसको संयुक्त हमला मानेगा और न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल करेगा.
-पुतिन ने चेतावनी दी कि उसके निशाने पर यूक्रेन ही नहीं, बल्कि उसको मदद करने वाले पश्चिमी देश भी होंगे.
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पुतिन ने कब-कब दी न्यूक्लियर हमलों की धमकी?
-रूसी राष्ट्रपति ने 12 सितंबर 2023 को कहा था कि अगर पश्चिमी देश यूक्रेन को क्रूज मिसाइल के इस्तेमाल की अनुमति देते हैं तो इसका मतलब यह समझा जाएगा कि NATO, रूस के खिलाफ जंग में उतर चुका है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो वे इसका जवाब जरूर देंगे.
-पुतिन ने 29 फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी थी. उनके धमकी देने का मकसद यह था कि रूस-यूक्रेन जंग में पश्चिमी देश कोई हस्तक्षेप न करें.
-13 मार्च को व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस न्यूक्लियर वॉर के लिए तैयार है. हमारे पास किसी भी देश की तुलना में ज्यादा न्यूक्लियर हथियार हैं.
-28 जून को पुतिन ने एक बार फिर से पश्चिमी देशों को न्यूक्लियर हमले की धमकी दी. उन्होंने कहा, “पश्चिमी देश हमारे इलाके पर हमला करने के लिए यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई कर रहे हैं. हम भी उनपर हमले के लिए उनके दुश्मन देशों को घातक हथियार दे सकते हैं.
पुतिन की धमकी अब तक कितनी बार सच में बदल चुकी है?
-2014 में जब दुनियाभर के देशों को लग रहा था कि पुतिन क्रीमिया पर कब्जा नहीं करेंगे, लेकिन उन्होंने किया.
-पुतिन ने डोनबास में युद्ध करने की धमकी भी सच कर दी थी.
-21 फरवरी को यूक्रेन के दो प्रांतों, लुहांस्क और डोनेट्स्क को अलग देश के रूप में मान्यता दे दी.
– पुतिन ने 24 फरवरी 2022 को UN सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान ही यूक्रेन पर हमले का आदेश दे दिया.
पुतिन की धमकी पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने NDTV से कहा, “पुतिन का मकसद अपनी न्यूक्लियर पावर दिखाकर अमेरिका या NATO को यूक्रेन के युद्ध से दूर रखना है.” अशोक सज्जनहार ने कहा, “अगर रूस अपने न्यूक्लियर डॉक्टरिन यानी परमाणु सिद्धांत में बदलाव कर लेता है, तो इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे. इसका मतलब यह होगा कि अगर अभी अमेरिका जंग में यूक्रेन की मदद कर रहा है, तो रूस अमेरिका और यूक्रेन पर न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल कर सकता है. मेरे हिसाब से यह बिल्कुल भी मान्य नहीं है. क्योंकि अगर कोई देश किसी देश से जंग लड़ रहा है, तो सबसे पहले कभी न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता. मेरे हिसाब से रूसी राष्ट्रपति के इस बयान में बहुत स्पष्टता की कमी है.”
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