November 24, 2024
Rent Agreement आखिर 11 महीने का ही क्यों बनाया जाता है? मकान मालिक या किराएदार किसे फायदा?

Rent Agreement आखिर 11 महीने का ही क्यों बनाया जाता है? मकान मालिक या किराएदार किसे फायदा?​

All You Need To know About Rent Agreement In India: ज्यादातर मकान मालिक सबसे कम समय के तौर पर 11 महीने के लिए ही किराए के समझौते, करार या एग्रीमेंट तैयार करवाते हैं.

All You Need To know About Rent Agreement In India: ज्यादातर मकान मालिक सबसे कम समय के तौर पर 11 महीने के लिए ही किराए के समझौते, करार या एग्रीमेंट तैयार करवाते हैं.

Rent Agreement Rule: दुनिया भर में किराए या रेंट पर रहने का एक बहुत बड़ा मार्केट बन चुका है. बहुत से लोग बेहतर अवसरों की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं. इसलिए, हम में से अधिकांश ने या तो किराए पर घर दिया है या किराए पर रह रहे हैं. जब हम किराए पर रहते हैं. अपने देश में किराए पर रहने के लिए किराएदारों को मकान मालिक के साथ एक निश्चित समय के लिए किराए का कानूनी समझौता (Rental Agreements in India 2024) करना पड़ता है. यह समझौता एक निश्चित समय के लिए होता है. ज्यादातर मकान मालिक सबसे कम समय के तौर पर 11 महीने के लिए ही किराए के समझौते, करार या एग्रीमेंट तैयार करवाते हैं.

क्या आपने कभी सोचा है कि यह समझौता केवल 11 महीनों के लिए ही क्यों होता है? आइए, इसकी वजह और इससे जुड़े नियम के बारे में जानते हैं.

रेंट एग्रीमेंट क्या होता है?(What Is a Rental Agreement?)

रेंट एग्रीमेंट एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट है इसमें बताया जाता है कि किराएदार किराए पर घर कैसे लेगा और किराएदार और घर के मालिक के क्या-क्या अधिकार और ज़िम्मेदारियाँ हैं. इनमें मासिक किराया, घर का इस्तेमाल, सुरक्षा जमा, किराए का समय और अन्य बातें शामिल होती हैं.

रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के लिए ही क्यों बनाए जाते हैं?

11 महीने के लिए ही रेंट एग्रीमेंट बनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह मकान मालिकों की बाद में कानूनी परेशानी से बचने की कोशिश होती है. क्योंकि कानूनी तौर पर ऐसे पट्टे में जहां लंबी अवधि के लिए समझौता होता है, अक्सर किराया, किराएदार और कार्यकाल जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. यह किराया नियंत्रण कानूनों के तहत दूसरे पक्ष (किरायेदार) द्वारा प्रॉपर्टी को आगे किराए पर लगाने की संभावना को बढ़ावा देता है.

यह किरायेदार के अनुकूल हैं. विवाद की स्थिति में रेंट टेनेंसी एक्ट के दायरे में आने वाला यह एंग्रीमेंट लंबी अदालती लड़ाई का कारण बन सकता है.

रेंट एग्रीमेंट से जुड़े कानूनी नियम क्या हैं?

पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 के मुताबिक, एक साल से ज्यादा अवधि के लिए लीज एग्रीमेंट अनिवार्य रूप से रजिस्टर्ड किया जाता है. इसका मतलब है कि 12 महीने से कम अवधि के लिए किराए के समझौते बिना पंजीकरण के किए जा सकते हैं. यह विकल्प पार्टियों को सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में डॉक्यूमेंट रजिस्टर्ड कराने और इसकी फीस चुकाने की कठिन प्रक्रिया से बचने के लायक बनाता है.

रजिस्ट्रेशन से राहत के साथ ही स्टाम्प ड्यूटी की बचत

इसके अलावा, जब किरायेदारी एक वर्ष से कम समय के लिए होती है, तो रजिस्ट्रेशन नहीं कराने से स्टाम्प ड्यूटी का खर्चा भी बचता है. इसलिए आमतौर पर, मकान मालिक और किरायेदार आपसी सहमति से इतनी अधिक फीस का भुगतान करने से बचने के लिए एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने का फैसला करते हैं. क्योंकि नियम के मुताबिक, किरायेदारी की अवधि जितनी लंबी होगी, स्टाम्प ड्यूटी उतनी ही ज्यादा होगी.

11 महीने के रेंट एग्रीमेंट को क्यों तरजीह देते हैं मकान मालिक और किराएदार?

रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड करवाने की जगह ज्यादातर मकान मालिक और किराएदार इसे नोटरीफाइड करवा लेते हैं. इसमें किराए के मकान, फ्लैट, रूम वगैरह का पता, मौजूदा स्थिति और शर्तों के साथ दोनों पार्टियों और गवाहों के दस्तखत होते हैं. इसे एक तय समय पर किसी भी एक पार्टी की ओर से नोटिस के बाद एग्रीमेंट को खत्म किया जा सकता है. इसके अलावा, जरूरत पड़ने पर आसानी से रिन्यू भी करवाया जा सकता है.

आखिर में, सबसे बड़ी बात यह है कि 11 महीने की रेंट एग्रीमेंट की वजह से मकान मालिकों को हर साल 10 फीसदी रेंट बढ़ाने का मौका भी मिल जाता है. वहीं, किराएदारों को पसंद नहीं आने पर घर बदलने की आजादी रहती है.

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