अनीता हंसनंदानी, उर्वशी ढोलकिया और पंकित मक्कड़ के रिश्तों में उतार चढ़ाव पर बना ये सीरियल रिश्तों के बीच उलझन के साथ साथ हर बार सस्पेंस भी कायम रखता था. लोग हर सप्ताह इसका बेसब्री से इंतजार किया करते थे.
अगर आप नब्बे के दशक के हैं तो आपको डीडी मेट्रो और दूरदर्शन पर आने वाले सभी सीरियल याद होंगे. उस दौर में चित्रहार, रंगोली, कार्टून शो और पारिवारिक सीरियल आते थे. ऐसा ही एक शो नब्बे के अंत में आया था जिसने सभी का मन मोह लिया था. सीरियल का नाम था कभी सौतन कभी सहेली. ये सीरियल ऐसी पक्की दो सहेलियों पर बना था जो बाद में जाकर सौतन बन जाती हैं और उनके रिश्ते में कई मोड़ आ जाते हैं. इसकी टैगलाइन थी प्यार और फरेब की नई पहेली, कभी सौतन कभी सहेली. इस सीरियल में कई जाने माने एक्टर थे और ये काफी हिट हुआ था.
अनीता हंसनंदानी और उर्वशी ढोलकिया ने निभाए थे लीड रोल
अनीता हंसनंदानी, उर्वशी ढोलकिया और पंकित मक्कड़ के रिश्तों में उतार चढ़ाव पर बना ये सीरियल रिश्तों के बीच उलझन के साथ साथ हर बार सस्पेंस भी कायम रखता था. लोग हर सप्ताह इसका बेसब्री से इंतजार किया करते थे. इसके हर एपिसोड को देखने के लिए महिलाएं घर के सारे कामकाज निपटा कर बैठ जाती थी. सीरियल में हितेन तेजवानी, मनोज जोशी, सीमा पांडे, डिंपल इनामदार, उज्जवल राणा, अबीर गोस्वामी जैसे कलाकार भी थे. बालाजी टेलीफिल्म के प्रोडक्शन के इस सीरियल को एकता कपूर ने बनाया था और उस वक्त एकता कपूर पारिवारिक सीरियल बनाने के लिए मशहूर होने लगी थी.
महिला सशक्तिकरण की कहानी कहता है ये सीरियल
सीरियल की कहानी दो करीबी सहेलियों तनुश्री और सोनिया को दिखाती है. दोनों बेहद करीब हैं और अपनी सभी बातें एक दूसरे के साथ साझा करती आई हैं.दोनों की शादी पक्की होती है और शादी के समय पता चलता है कि दोनों का पति एक ही है. ऐसे में उनके रिश्ते में कई तरह के मोड़, नफरत, गुस्सा और उतार चढ़ाव आते हैं. कहानी के अंत में जहां तनुश्री पति को छोड़कर बचपन के दोस्त से शादी करती है. वहीं सोनिया भी इस झूठे रिश्ते को खत्म करके अकेले जिंदगी जीने का फैसला करती है.
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