November 21, 2024
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यूपी के जेलों में माफियाराजः चित्रकूट जेल में गैंगवार, तीन गैंगेस्टर मारे गए

शूटआउट (Shootout at chitrakoot jail) में चित्रकूट जेल प्रशासन की भूमिका काफी संदिग्ध है। बिना जेल प्रशासन के सहयोग से अंशु दीक्षित तक असलहा पहुंचना नामुमकीन सा है। बहरहाल, बात वारदात की। शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े नौ बजे जेल में नाश्ता बंट रहा था। आदर्श कैदी जेल में कैदियों को नाश्ता बांट रहे थे।

चित्रकूट। यूपी में कानून का राज तार-तार हो चुका है। योगीराज में कानून का राज कैसा है इसका अंदाजा चित्रकूट जेल में हुए गैंगवार (Shootout at chitrakoot jail) से लगाया जा सकता है। जेल में खुलेआम असलहे पहुंच रहे और अपराधी खून की होली खेल रहे। शासक रिपोर्ट तलब करने में व्यस्त हैं। शुक्रवार को चित्रकूट जेल में गैंगवार में तीन अपराधी मारे गए। दो अपराधियों को गैंगेस्टर अंशु दीक्षित ने मौत के घाट उतारा तो दीक्षित को पुलिस ने मार गिराया। उधर, मंडल के आला अधिकारी जेल पहुंचे हुए थे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट भी मांगी है।

तीनों लाए गए थे दूसरे जेलों से

गैंगेस्टर अंशु दीक्षित एक सप्ताह पहले ही सुल्तानपुर से चित्रकूट जेल लाया गया था। अंशु माफिया मुख्तार अंसारी का शूटर है। 2013 में उसने एमपी और यूपी एसटीएफ पर गोलियां चलाई थी। लखनउ विवि का छात्र रहते वह मुख्तार अंसारी से जुड़ कर अपराध की दुनिया में कदम रखा। 2008 में वह अवैध हथियारों के साथ बिहार में पकड़ा गया।

जबकि मेराज बनारस जेल से यहां भेजा गया था। मेराज बनारस का ही रहने वाला था। पहले वह मुन्ना बजरंगी के लिए काम करता था लेकिन बाद में वह भी मुख्तार अंसारी से जुड़ गया। मुख्तार अंसारी के लिए काम करने के दौरान ही उसकी अंशु से ठनी हुई थी। मेराज फर्जी दस्तावेजों से हथियारों का इंतजाम करता था। पुलिस ने उसे नौ असलहों और उसके फर्जी लाइसेंस के साथ अरेस्ट किया था।

गैंगेस्टर मुकीम काला सहरानपुर जेल से यहां लाया गया था। पश्चिम यूपी का गैंगेस्टर मुकीम काला दस करोड़ रुपये की डकैती का आरोपी है। एके-47 भी वह रखता था। दस करोड़ का डाका डालने वह तनिष्क के शोरूम में पुलिस की वर्दी में गया था। उसका वेस्ट यूपी में खौफ था। मुकीम काला का एक भाई वसीम काला 2017 में यूपी एसटीएफ द्वारा मारा गया था।

इस तरह हुआ जेल में शूटआउट

शूटआउट (Shootout at chitrakoot jail) में चित्रकूट जेल प्रशासन की भूमिका काफी संदिग्ध है। बिना जेल प्रशासन के सहयोग से अंशु दीक्षित तक असलहा पहुंचना नामुमकीन सा है। बहरहाल, बात वारदात की। शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े नौ बजे जेल में नाश्ता बंट रहा था। आदर्श कैदी जेल में कैदियों को नाश्ता बांट रहे थे। जेल में नाश्ता बंटने के बाद कैदियों की गिनती खत्म हुई। अधिकतर कैदी बैरक से बाहर थे। इसी दौरान बाल्टी में कच्चा चना और गुड़ लेकर दो कैदी अंशु के बैरक में गए। वह चना व गुड देकर लौटे तो अंशु ने पिस्टल से फायर कर मेराज व मुकीम की हत्या कर दी। इसके बाद जेल (Shootout at chitrakoot jail) में भगदड़ मच गई। पुलिस जेल में पहुंची। पुलिस के अनुसार उन लोगों ने अंशु को सरेंडर करने को कहा लेकिन वह फायरिंग करने लगा और फिर जवाबी कार्रवाई में उसे मार दिया गया।

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