November 24, 2024
कितने नेता पीएम मोदी की तरह रूस और यूक्रेन जाकर अपनी बात खुलकर कह सकते हैं : विदेश मंत्री जयशंकर

कितने नेता पीएम मोदी की तरह रूस और यूक्रेन जाकर अपनी बात खुलकर कह सकते हैं : विदेश मंत्री जयशंकर​

एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, लोगों को हम पर भरोसा है कि हम उनके हितों के लिए खड़े होंगे.

एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, लोगों को हम पर भरोसा है कि हम उनके हितों के लिए खड़े होंगे.

विदेश मंत्री एस जयंशंकर ने भारत और पीएम मोदी पर दुनिया के बढ़ते भरासे का जिक्र करते हुए कहा कि आज दुनिया में बहुत कम ऐसे नेता हैं जो रूस के बाद यूक्रेन का दौरा कर सकते हैं और दोनों जगहों पर अपनी बात खुलकर रख सकते हैं.

एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी रूस गए और उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की. फिर वे कीव गए. पिछले 10 वर्षों पर नजर डालें. अभी यूक्रेन में युद्ध चल रहा है. कितने देश, कितने प्रधानमंत्री, कितने नेता, मॉस्को जाकर खुलकर बात कर सकते हैं, कीव जाकर खुलकर बात कर सकते हैं, मॉस्को जा सकते हैं और फिर कीव जा सकते हैं?”

जयशंकर ने कहा, “इसी तरह, मध्य पूर्व में एक और युद्ध चल रहा है. अब, बहुत से लोग नहीं जानते कि पिछले साल भी, हमने ईरान और इजरायल के साथ कितनी बार बातचीत की है. लोगों को हम पर भरोसा है कि हम उनके हितों के लिए खड़े होंगे.”

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देश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पेट्रोलिंग व्यवस्था को लेकर हुए भारत-चीन समझौते को ‘सकारात्मक कदम’ बताया. हालांकि उन्होंने परिणामों के बारे में बहुत जल्दी अनुमान न लगाने की सलाह दी.

इससे पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार दोपहर घोषणा की कि पिछले कई हफ्तों से चल रही चर्चाओं के बाद दोनों देश एलएसी पर गश्त व्यवस्था को लेकर एक समझौते पर पहुंचे हैं, जिसके परिणामस्वरूप सैनिकों की वापसी हुई और अंततः जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद क्षेत्र में उत्पन्न मुद्दों का समाधान हो रहा है.

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एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यह समझौता, उस शांति और सौहार्द का आधार तैयार करता है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में होना चाहिए और जो 2020 से पहले मौजूद भी था. पिछले कुछ वर्षों से द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के लिए भारत की यही प्रमुख चिंता रही है.

हालांकि, विदेश मंत्री ने सावधानी बरतने और परिणामों के बारे में बहुत जल्दी अनुमान न लगाने की सलाह दी. उन्होंने जोर देकर कहा कि समझौता अभी हुआ है और अगले कदमों की योजना बनाने के लिए चर्चा और बैठकें होंगी.

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