November 24, 2024
क्या Lmv लाइसेंस धारक 7500 किलोग्राम से कम भार वाले 'ट्रांसपोर्ट वाहन' को चला सकता है? Sc आज सुनाएगा फैसला

क्या LMV लाइसेंस धारक 7500 किलोग्राम से कम भार वाले ‘ट्रांसपोर्ट वाहन’ को चला सकता है? SC आज सुनाएगा फैसला​

सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का संविधान पीठ आज सुबह 10.30 बजे सुनाएगा अपना फैसला. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच सुनाएगी फैसला

सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का संविधान पीठ आज सुबह 10.30 बजे सुनाएगा अपना फैसला. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच सुनाएगी फैसला

क्या हल्के मोटर वाहन (LMV) के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन को चलाने का भी हकदार है. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का संविधान पीठ आज सुबह 10.30 बजे सुनाएगा अपना फैसला. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच सुनाएगी फैसला

दरअसल इस कानूनी सवाल ने एलएमवी लाइसेंसधारकों के परिवहन वाहनों से संबंधित दुर्घटना मामलों में बीमा कंपनियों की ओर से दावों के भुगतान को लेकर विभिन्न विवाद हुए थे. बीमा कंपनियों का आरोप है कि मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल और अदालतें हल्के मोटर वाहन ड्राइविंग लाइसेंस के संबंध में उनकी आपत्तियों की अनदेखी करते हुए उनसे बीमा दावों का भुगतान कराने के लिए आदेश पारित कर रही हैं. बीमा कंपनियों ने कहा है कि बीमा दावा विवादों का फैसला करते समय अदालतें बीमाधारकों के पक्ष में रुख अपना रही हैं.

कोर्ट के समक्ष विचाराधीन कानूनी प्रश्न है, ‘क्या एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंसधारक उस लाइसेंस के आधार पर हल्के मोटर वाहन वर्ग के उस परिवहन वाहन को चलाने का हकदार हो सकता है जिसका भार 7,500 किलोग्राम से अधिक न हो.

इस प्रश्न को सुप्रीम कोर्ट पूर्व जज जस्टिस यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने आठ मार्च, 2022 को बड़ी बेंच को भेजा था. यह प्रश्न मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले से उत्पन्न हुआ था.

मुकुंद देवांगन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि ऐसे परिवहन वाहन जिसका कुल भार 7,500 किलोग्राम से अधिक नहीं है, एलएमवी की परिभाषा से बाहर नहीं हैं. इस निर्णय को केंद्र ने स्वीकार कर लिया और नियमों को फैसले के अनुरूप संशोधित किया गया

पिछले साल 18 जुलाई को संविधान पीठ ने इस कानूनी सवाल से निपटने के लिए कुल 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी.मुख्य याचिका मेसर्स बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की ओर से दायर की गई थी.

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