November 22, 2024
Pmla के तहत सरकारी कर्मियों और जजों पर केस चलाने से पहले लेनी होगी परमिशन: Sc

PMLA के तहत सरकारी कर्मियों और जजों पर केस चलाने से पहले लेनी होगी परमिशन: SC​

बिभु प्रसाद आचार्य के खिलाफ आरोपों में भूमि आवंटन में आधिकारिक पद का दुरुपयोग, संपत्तियों का कम मूल्यांकन और अनधिकृत रियायतें शामिल थीं. आरोप है कि इससे कथित तौर पर आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी से जुड़ी निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा, जबकि सरकार को काफी वित्तीय नुकसान हुआ.

बिभु प्रसाद आचार्य के खिलाफ आरोपों में भूमि आवंटन में आधिकारिक पद का दुरुपयोग, संपत्तियों का कम मूल्यांकन और अनधिकृत रियायतें शामिल थीं. आरोप है कि इससे कथित तौर पर आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी से जुड़ी निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा, जबकि सरकार को काफी वित्तीय नुकसान हुआ.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को PMLA से जुड़े एक मामले में अहम फैसला दिया है. अदालत ने कहा कि PMLA में भी लोक सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार की परमिशन लेनी होगी. CrPC की धारा 197 PMLA में भी ये आदेश लागू होगा. सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के CM वाईएस जगन मोहन रेड्डी से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले में पूर्व IAS अधिकारी बिभु प्रसाद आचार्य की राहत बरकरार रखी है. अदालत ने 2016 के मनी लॉन्ड्रिंग मामले को रद्द करने का फैसला भी बरकरार रखा है.

CrPC की धारा-197 (1) के तहत प्रावधान है कि सरकारी कर्मी के खिलाफ केस चलाने के लिए सरकार के संबंधित अथॉरिटी से मंजूरी लेनी होती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा CrPC का यह प्रावधान PMLA केस में भी लागू होता है. जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने ये फैसला दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि आचार्य (जो एक सरकारी कर्मचारी थे) के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी. इसलिए यह धारा 197 CrPC का उल्लंघन है. हमने माना है कि धारा 197 CrPC का प्रावधान PMLA के तहत मामलों पर लागू होगा.

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बिभु प्रसाद आचार्य के खिलाफ आरोपों में भूमि आवंटन में आधिकारिक पद का दुरुपयोग, संपत्तियों का कम मूल्यांकन और अनधिकृत रियायतें शामिल थीं. आरोप है कि इससे कथित तौर पर आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी से जुड़ी निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा, जबकि सरकार को काफी वित्तीय नुकसान हुआ.

ED ने कहा था कि मंजूरी के मुद्दे पर PMLA के प्रावधान CrPC समेत अन्य कानूनों के प्रावधानों पर अधिक प्रभावी हैं. हालांकि, इस दलील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CrPC की धारा 197(1) के दायरे को PMLA तक बढ़ाने का उद्देश्य लोक सेवकों को अभियोजन से बचाना है. साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि अपने कर्तव्यों के निर्वहन में उनके द्वारा की गई किसी भी गलती के लिए उन पर मुकदमा न चलाया जाए.

बेंच ने एजेंसी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह प्रावधान ईमानदार और निष्ठावान अधिकारियों की सुरक्षा के लिए है. हालांकि, यह सुरक्षा बिना शर्त नहीं है. उचित सरकार से पूर्व मंजूरी लेकर उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है. धारा 65 PMLA के तहत सभी कार्यवाहियों पर CrPC के प्रावधानों को लागू करती है. बशर्ते कि वे PMLA में निहित प्रावधानों से असंगत न हों.

अदालत ने बताया कि अन्य सभी कार्यवाहियों में PMLA की धारा 44 (1) (बी) के तहत शिकायत शामिल है. हमने PMLA के प्रावधानों का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है. हमें नहीं लगता कि इसमें ऐसा कोई प्रावधान है, जो CrPC की धारा 197 (1) के प्रावधानों से असंगत है. इसलिए, हम मानते हैं कि CrPC की धारा 197 (1) के प्रावधान PMLA की धारा 44 (1) (बी) के तहत शिकायत पर लागू होते हैं.

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