कनाडा और भारत के संबंधों में तल्खी के बीच ट्रूडो सरकार ने लोकप्रिय स्टूडेंट वीज़ा योजना बंद कर दी है. दुनिया भर के स्टूडेंट्स के साथ-साथ भारत के छात्रों पर भी ट्रूडो सरकार के इस कदम का असर पड़ेगा.
कनाडा ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अपना स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) वीजा कार्यक्रम बंद कर दिया. ट्रूडो सरकार ने यह कदम आवास और संसाधन संकट के बीच स्थिति से निपटने के लिए उठाया है. कनाडा सरकार अपने यहां आने वाले आप्रवासियों की संख्या को तेजी से कम करने पर विचार कर रहा है. देश में अगले साल चुनाव हैं, ऐसे में एसडीएस स्कीम बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है. कनाडा में अक्टूबर 2025 में संघीय चुनाव होने हैं.
आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) द्वारा 2018 में यह कार्यक्रम ब्राजील, चीन, कोलंबिया, कोस्टा रिका, भारत, मोरक्को, पाकिस्तान, पेरू, फिलीपींस और वियतनाम सहित 14 देशों के इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के लिए स्टूडेंट परमिट एप्लिकेसंस में तेजी लाने के लिए लागू किया गया था. कनाडा सरकार ने अपनी वेबसाइट पर कहा है, ‘हम दुनिया के सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान करना चाहते हैं. इसलिए कुछ देशों के लिए शुरू हुई स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम को बंद करने का निर्णय लिया गया है. अब दुनियाभर के सभी छात्र समान रूप से स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं.’
कनाडा सरकार द्वारा जारी बयान में आगे कहा गया, ‘8 नवंबर को दोपहर 2 बजे ईटी तक प्राप्त आवेदनों पर ही विचार किया जाएगा , जबकि इसके बाद के सभी आवेदनों पर रेग्युलर स्टडी परमिट स्ट्रीम के तहत कार्रवाई की जाएगी. प्रोग्राम में हाई अप्रूवल रेल और फास्ट प्रोसेसिंग टाइम का ध्यान रखा जाएगा.
सत्ता पर बने रहने की कोशिश कर रही ट्रूडो सरकार के लिए एक नाटकीय नीति परिवर्तन में कनाडा वर्षों में पहली बार देश में आने वाले आप्रवासियों की संख्या को तेजी से कम करने पर विचार कर रहा है. एक ऐसा देश जो लंबे समय से नए आप्रवासियों का स्वागत करने में गर्व महसूस करता रहा है, कनाडा में अब आप्रवासियों के खिलाफ बयानबाजी हो रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि अप्रवासियों के कारण कनाडा में रहने से लेकर स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तक प्रभावित हुई है.
2025 चुनाव से पहले स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम वीजा कार्यक्रम का मुद्दा कनाडाई राजनीति में सबसे विवादास्पद में से एक बन गया है. सर्वेक्षणों से पता चलता है कि आबादी का बढ़ता हिस्सा सोचता है कि कनाडा में बहुत अधिक आप्रवासी हैं, जिससे उनके अधिकार छिन रहे हैं.
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