November 28, 2024
किस मरीज को कितना देना है एनेस्थीसिया? ये इन बातों पर करता है निर्भर, जानें किस तरह तय करते हैं डॉक्टर्स

किस मरीज को कितना देना है एनेस्थीसिया? ये इन बातों पर करता है निर्भर, जानें किस तरह तय करते हैं डॉक्टर्स​

Anesthesia Dose: क्या आपको ये पता है कि एनेस्थीसिया डोज किस आधार पर तय की जाती है, यानी किस मरीज को कितना डोज देना है ये कैसे डिसाइड किया जाता है.

Anesthesia Dose: क्या आपको ये पता है कि एनेस्थीसिया डोज किस आधार पर तय की जाती है, यानी किस मरीज को कितना डोज देना है ये कैसे डिसाइड किया जाता है.

Dose of anesthesia: सर्जरी करने से पहले हर मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है. अब आप कहेंगे कि ये बात तो आपको भी पता है. लेकिन क्या आपको ये पता है कि इसकी डोज किस आधार पर तय की जाती है, यानी किस मरीज को कितना डोज देना है ये कैसे डिसाइड किया जाता है. ये जानने के लिए एनडीटीवी ने बात डॉ दिवेश अरोड़ा (Divesh Arora) से जो फरीदाबाद के एशियन हॉस्पिटल में एनेस्थीसिया एंड ओटी सर्विसेज के डायरेक्टर और हेड हैं. आइए इस बारे में आपको भी विस्तार से बताते हैं.

एनेस्थीसिया की डोज (Dose of anesthesia)

एनेस्थीसिया की डोज कई फैक्टर को ध्यान में रखकर तय की जाती है. डॉ दिवेश अरोड़ा ने बताया कि अक्सर लोगों को इस बात का डर लगता है कि कहीं उन्हें ज्यादा एनेस्थीसिया न दे दिया जाए. एनेस्थेटिस्ट (Anaesthetist) कई बातों के आधार पर मरीज की डोज डिसाइड करता है. जैसे जनरल एनेस्थीसिया देते वक्त प्रति किग्रा बॉडी वेट के हिसाब से डोज तय की जाती है.

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आमतौर पर पेशेंट के वजन के हिसाब से एनेस्थेटिस्ट उसकी डोज तय करता है. लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता डॉक्टर ने बताया कि कुछ ड्रग टोटल बॉडी वेट (Total body weight) के हिसाब से दी जाती हैं तो वहीं कुछ दवाएं लीन बॉडी मास (Lean Body Mass) के हिसाब से दी जाती हैं. एनेस्थीसिया देने के लिए अलग-अलग ड्रग्स का इस्तेमाल किया जाता है और उसकी डोज को मरीज के टोटल बॉडी वेट के हिसाब से या लीन बॉडी मास के हिसाब से तय किया जाता है.

डोज तय करने का दूसरा तरीका-
डॉ दिवेश अरोड़ा ने आगे बताया कि इसके अलावा एनेस्थीसिया की डोज तय करने का एक दूसरा तरीका ये होता हैं, कि हम पेशेंट की कंडीशन कैसी है, उसके मुताबिक डोज तय करते हैं. जैसे अगर मरीज की हालत गंभीर है तो डोज की मात्रा कम रहती है. या पेशेंट की उम्र 60 से ज्यादा है तो भी डोज की मात्रा कम रहती है. क्योंकि जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे उसके सेरेब्रल नर्वस सिस्टम (Cerebral nervous system) में न्यूरॉन कम होते चले जाते हैं, इस वजह से एनेस्थेटिक डोज (Anesthetic Dose) की जरूरत भी कम होती चली जाती है.

कई बार ब्रेन डेवलपमेंट (Brain Development) के हिसाब से भी डोज तय की जाती है. इसलिए नवजात शिशु (newborn babies) को भी कम डोज की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि डोज को तय करने का कोई सिंगल मेथड नहीं होता है कई फैक्टर्स को ध्यान में रखकर इसकी मात्रा तय की जाती है.

आखिर में उन्होंने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि अगर किसी का एक्सीडेंट हो गया है और उसका बहुत सारा खून बह गया है, जिसकी वजह से उसका उसका ब्लड प्रेशर भी काफी गिर गया है तो उसे भी सर्जरी से पहले एनेस्थिया की कम डोज देनी होगी. क्योंकि ज्यादा डोज से मरीज का ब्लड प्रेशर और भी कम हो सकता है. एनेस्थेटिस्ट (Anaesthetist) मरीज से जुड़े सभी फैक्टर को ध्यान में रखकर उसकी डोज तय करता है लेकिन अगर आप डोज तय करने का प्रिंसिपल फैक्टर पूछें तो वह बॉडी वेट (Body Weight) होता है.

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