एक बार की बात है मुझे राजस्थान विश्वविद्यालय में एक यूजीसी दिशानिर्देशों के अनुरूप शिक्षकों के लिए एक पुनश्चर्या पाठ्यक्रम (Refresher Course)आयोजित करने के लिए कहा गया। मैं बहुत प्रसन्न हुआ। मन में बहुत उत्साह था।पुनश्चर्या पाठ्यक्रम अच्छे से अच्छा हो और शिक्षकों का इसका लाभ मिले।इसके लिए मैंने बहुत तैयारी करी।उद्घाटन समारोह के लिए मैंने अपने शिक्षक प्रोफेसर पीएन श्रीवास्तव, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति और राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केएल शर्मा साहब को आमंत्रित किया।
जेएनयू के कुलपति दुबारा बोलने को माइक थामा…
उद्घाटन समारोह में पहले मुख्य अतिथि प्रोफेसर पीएन श्रीवास्तव साहब ने अपने विचार प्रकट किए। प्रो.पीएन श्रीवास्तव ने जीवन विज्ञान के बारे में प्रकाश डाला और जीवन में उसकी महत्ता बताई।समारोह के अंत में राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केएल शर्मा साहब ने सामाजिक विज्ञान की भूमिका मानव जीवन प्रकाश डाला। उन्होंने सामाजिक विज्ञान का बहुत महत्व बताया।प्रोफेसर श्रीवास्तव जी ने शर्मा जी के व्याख्यान को बहुत गंभीरता से सुना और मुझसे कहा कि वह शर्मा साहब के भाषण के बाद एक बार फिर बोलना चाहते हैं।मैंने उनको पुन: आमंत्रित किया।
श्रीवास्तव जी अपने भाषण में कहा कि जीवन विज्ञान और सामाजिक विज्ञान अध्ययन के दो व्यापक क्षेत्र हैं जिन्हें अक्सर एक दूसरे से अलग होने के रूप में देखा जाता है। हालांकि, इन दोनों क्षेत्रों की परस्पर संबद्धता और अंतःविषय अनुसंधान के महत्व की बढ़ती मान्यता है जो दोनों से अंतर्दृष्टि प्राप्त करती है।
प्रोफेसर मित्र को इस तरह समझाया…
उद्घाटन समारोह के बाद मेरे एक मित्र ने मुझसे पूछा कि आपके प्रोफेसर श्रीवास्तव ने जीवन विज्ञान और समाजशास्त्र के बीच में जो संबंध बताएं वह उन्हें समझ में नहीं आए।उन्होंने मुझसे निवेदन किया कि मैं उनको इन दोनों विषयों के संबंधों के बारे में समझाऊं।मैंने उनको बड़े प्रेम से कहा कि मैं उनको समझा सकता हूं यदि वह मेरे सुझाव को बुरा ना माने।
उन्होंने अपनी स्वीकृति दे दी।मैंने उनसे कहा कि आज रात को आप घर में जाकर अपने बच्चे मुन्नू को बुलाइएगा यदि उसकी शक्ल आपसे मिलती है तब तो वह जीवन विज्ञान (Life Sciences) कहलाएगा और यदि आपके बच्चे मुन्नू की शक्ल आपके पड़ोसी से मिलती है तब यह समाज शास्त्र (Social Sciences) कहलाएगा।मेरे मित्र मेरे सुझाव को सुनते ही शांति पूर्वक वहां से चल दिए!मुझे लगा कि उन्होंने जीवन शास्त्र (Life Sciences) और समाजशास्त्र (Social Science)के संबंधों को समझ लिया है ।क्या आप समझ गए ?
(यह संस्मरण प्रो.अशोक कुमार के हैं। कानपुर विश्वविद्यालय और गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके प्रो.अशोक कुमार लगातार विभिन्न मुद्दों पर लिखने केसाथ ही अपने संस्मरणों को भी साझा करते रहते हैं।)
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