January 30, 2025
उत्तराखंड में लागू हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड, ऐसा करने वाला देश का बना पहला राज्य

उत्तराखंड में लागू हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड, ऐसा करने वाला देश का बना पहला राज्य​

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लागू करने से पहले इसे लेकर काफी लंबी कवायद चली थी. लोगों से विचार विमर्श किया गया था और पूरे उत्तराखंड में सभी लोगों से सलाह भी ली गई थी.

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लागू करने से पहले इसे लेकर काफी लंबी कवायद चली थी. लोगों से विचार विमर्श किया गया था और पूरे उत्तराखंड में सभी लोगों से सलाह भी ली गई थी.

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को अब लागू कर दिया गया है. UCC यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है. आपको बता दें कि उत्तराखंड यूसीसी में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, लिव-इन के लिए कानून हैं. यह देश के बाकी राज्यों से अलग है.यूसीसी लागू होने के बाद अब उत्तराखंड में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कानून प्रभावी नहीं होगा. खास बात ये है कि राज्य सरकार ने इसे लागू करने से इसके प्रति लोगों को जागरूक भी किया था. UCC का एक पोर्टल भी आज लॉन्च किया गया है.

आपको बता दें कि UCC के नियम लागू करने से पहले इसे लेकर काफी लंबी कवायद चली थी. लोगों से विचार विमर्श किया गया था और पूरे उत्तराखंड में सभी लोगों से सलाह भी ली गई थी. इसके लिए एक विशेषज्ञ कमिटी बनाई गई थी. बीते दिनों कैबिनेट ने यूसीसी की नियमावली पर अपनी सहमति जताई थी.

यूसीसी नियमावली हाईलाइट

दायरा

अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर, सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य, साथ ही राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू.

प्राधिकार

यूसीसी लागू करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे.जबकि नगर पंचायत, नगर पालिकाओं में संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे. इसी तरह नगर निगम क्षेत्र में नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे.छावनी क्षेत्र में संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे.इन सबके उपर रजिस्ट्रार जनरल होंगे,जो सचिव स्तर के अधिकारी एवं इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे.

रजिस्ट्रार जनरल के कर्तव्य

यदि रजिस्ट्रार तय समय में कार्रवाई नहीं कर पाते हैं तो मामला ऑटो फारवर्ड से रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा.इसी तरह रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी, जो 60 दिन के भीतर अपील का निपटारा कर आदेश जारी करेंगे.

रजिस्ट्रार के कर्तव्य

सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील पर 60 दिन में फैसला करना. लिव इन नियमों का उल्लंघन या विवाह कानूनों का उल्लंघन करने वालों की सूचना पुलिस को देंगे.

सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य

सामान्य तौर पर 15 दिन और तत्काल में तीन दिन के भीतर सभी दस्तावेजों और सूचना की जांच,आवेदक से स्पष्टीकरण मांगते हुए निर्णय लेना.समय पर आवेदन न देने या नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाने के साथ ही पुलिस को सूचना देना,साथ ही विवाह जानकारी सत्यापित नहीं होने पर इसकी सूचना माता-पिता या अभिभावकों को देना.

विवाह पंजीकरण

26 मार्च 2010, से संहिता लागू होने की तिथि बीच हुए विवाह का पंजीकरण अगले छह महीने में करवाना होगा.संहिता लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर कराना होगा.

आवेदकों के अधिकार

यदि सब रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करता है तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है.सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है.रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है. अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर हो सकेंगी.

सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है.

रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है. अपीलें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर हो सकेंगी.

यूसीसी की यात्रा

27 मई 2022 – यूसीसी पर विशेषज्ञ समिति का गठन

02 फरवरी 2024 – यूसीसी पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत

08 फरवरी 2024 – राज्य विधानसभा द्वारा अधिनियम अनुमोदित

08 मार्च 2024 – भारत के राष्ट्रपति द्वारा अधिनियम अनुमोदित

12 मार्च 2024 – यूसीसी उत्तराखंड अधिनियम 2024 जारी

18 अक्टूबर 2024 – यूसीसी नियमावली प्रस्तुत

27 जनवरी 2025 – यूसीसी लागू

लिव इन रिलेशनशिप

संहिता लागू होने से पहले से स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का,संहिता लागू होने की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा. जबकि संहिता लागू होने के बाद स्थापित लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण, लिवइन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा.

लिव इन समाप्ति

एक या दोनों साथी आनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त करने कर सकते हैं. यदि एक ही साथी आवेदन करता है तो रजिस्ट्रार दूसरे की पुष्टि के आधार पर ही इसे स्वीकार करेगा. यदि लिव इन रिलेशनशिप से महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी. बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा.

विवाह विच्छेद

तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय,विवाह पंजीकरण,तलाक या विवाह शून्यता की डिक्री का विवरण अदालत केस नंबर,अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी.

वसीयत आधारित उत्तराधिकार

वसीयत तीन तरह से हो सकेगी. पोर्टल पर फार्म भरके,हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयड अपलोड करके या तीन मिनट की विडियो में वसीयत बोलकर अपलोड करने के जरिए.

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