April 30, 2025
बजट 2025: किराये से छह लाख रुपये की आय पर ही लागू होगा टीडीएस प्रावधान

बजट 2025: किराये से छह लाख रुपये की आय पर ही लागू होगा टीडीएस प्रावधान​

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि किराये पर टीडीएस के लिए 2.40 लाख रुपये की वार्षिक सीमा को बढ़ाकर छह लाख रुपये किया जा रहा है. इससे छोटे भुगतान लेने वाले करदाताओं को लाभ होगा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि किराये पर टीडीएस के लिए 2.40 लाख रुपये की वार्षिक सीमा को बढ़ाकर छह लाख रुपये किया जा रहा है. इससे छोटे भुगतान लेने वाले करदाताओं को लाभ होगा.

केंद्र सरकार ने किराये पर दी गई संपत्ति से अर्जित आय पर कर कटौती की सीमा को मौजूदा 2.4 लाख रुपये वार्षिक से बढ़ाकर छह लाख रुपये करने का शनिवार को प्रस्ताव रखा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते हुए किराये पर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) की वार्षिक सीमा बढ़ाने की घोषणा की.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं कटौती की दरों और सीमाओं को घटाकर टीडीएस को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव करती हूं. इसके साथ बेहतर स्पष्टता और एकरूपता के लिए कर कटौती की सीमा राशि भी बढ़ाई जाएगी.”

छोटे भुगतान लेने वाले करदाताओं को लाभ

उन्होंने कहा कि किराये पर टीडीएस के लिए 2.40 लाख रुपये की वार्षिक सीमा को बढ़ाकर छह लाख रुपये किया जा रहा है. इससे टीडीएस के लिए उत्तरदायी लेनदेन की संख्या कम हो जाएगी, जिससे छोटे भुगतान लेने वाले करदाताओं को लाभ होगा.

आयकर अधिनियम की धारा 194-आई के मुताबिक, किराये के तौर पर निवासी को कोई भी राशि देते समय लागू दरों पर आयकर उस वक्त काटना चाहिए, जब किराये की आय एक वित्त वर्ष में 2.4 लाख रुपये से अधिक हो.

50 हजार रुपये से ज्‍यादा किराया तो…

हालांकि, बजट 2025-26 में किराये के रूप में आय की इस कर कटौती सीमा को बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति माह करने का प्रस्ताव रखा गया है. यह प्रावधान व्यक्तिगत करदाता या अविभाजित हिंदू परिवार से इतर ही लागू होगा.

डेलॉयट इंडिया में साझेदार आरती रावते ने इस प्रावधान पर कहा, ‘‘इसका मतलब होगा कि अगर जमीन या मशीनरी आदि को कुछ महीनों के लिए किराये पर लिया जाता है और किराया 50,000 रुपये से अधिक है, तो फिर टीडीएस कटौती जरूरी होगी.”

इस बारे में क्रेडाई-एमसीएचआई के अध्यक्ष डॉमनिक रोमेल ने कहा कि किराये पर वार्षिक टीडीएस सीमा को छह लाख रुपये किए जाने से छोटे करदाताओं और मकान मालिकों को काफी फायदा होगा और अनुपालन बोझ भी कम होगा.

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