NITI आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा कि टैक्स रिफॉर्म से शॉर्ट टर्म कंजम्पशन में काफी इजाफा होगा. अगले 6 महीने या एक साल के अंदर टैक्स रिफॉर्म बिल का असर दिखने लगेगा, जो साल दर साल चलेगा. इसी तरह कई और दूसरे रिफॉर्म हैं, जो ग्रोथ के लिए अच्छे हैं.
मोदी सरकार ने 2047 तक भारत को विकासशील देश से विकसित देश बनाने का टारगेट रखा है. इस सपने को साकारनई दिल्ली करने लिए हमें फास्ट इंक्लूसिव ग्रोथ को बरकरार रखने की कोशिश करनी चाहिए. आप कृषि, उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर को देखिए… फास्ट इंक्लूसिव ग्रोथ नजर आ रहा है. पॉलिसी रिफॉर्म या स्ट्रक्चरल रिफॉर्म भी फास्ट इंक्लूसिव ग्रोथ को बरकरार रखने के लिए जरूरी है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है न्यू इनकम टैक्स बिल. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले हफ्ते इस बिल को लोकसभा में पेश करने जा रही हैं.
टैक्स रिफॉर्म से मतलब इनकम टैक्स में राहत से है. उससे शॉर्ट टर्म कंजम्पशन में काफी इजाफा होगा. अगले 6 महीने या एक साल के अंदर टैक्स रिफॉर्म बिल का असर दिखने लगेगा, जो साल दर साल चलेगा. इसी तरह कई और दूसरे रिफॉर्म हैं, जो ग्रोथ के लिए अच्छे हैं.
दूसरी चीज है-इश्यू ऑफ स्किल एजुकेशन. सरकार ने इनोवेशन पर जोर दिया है. इसका पॉजिटिव असर होगा. लॉन्ग टर्म ग्रोथ, जॉब क्रिएशन में इनोवेशन का असर दिखेगा. तीसरी चीज है- एक्सपोर्ट और सप्लाई चेन. किस तरह कई चीजों का ऐलान किया गया. किस तरह MSME का लेबर इंटेंसिव एक्सपोर्टेबल बनाया जाएगा, ताकि ज्यादा रोजगार पैदा हो.
पिछले साल कंजम्पशन सर्वे आया. इससे गरीबी की दर 2% से कम हो गई है. अगर सब्सिडी को काउंट किया जाए, तो गरीबी खत्म ही हो गई है. अब हम इन लोगों को लोअर मिडिल क्लास की तरह देख सकते हैं. बेशक उसमें Vulnerability है. इसका जिक्र PM मोदी ने बजट से पहले किया था. अब हमारा फोकस लोअर मिडिल क्लास पर जाना चाहिए. सरकार ने टैक्स में छूट देकर इसका संकेत दे दिया है.
अब महंगाई की बात करते हैं. महंगाई की वजह से मिडिल क्लास की सैलरी इतनी तेजी से नहीं बढ़ी है. वास्तविक मजदूरी कम बढ़ी है. टैक्स नॉमिनल वेज पर होता है. ऐसे में हमें इंफ्लेशन एडजस्टमेंट की जरूरत थी, ताकि वो रियल इनकम पर असर कम डालता. क्योंकि कंजम्प्शन GDP रेशियो, कोविड महामारी की वजह से कम हो गया था. पिछले 12-18 महीनों में रिकवरी शुरू हुई है. उम्मीद है कि इससे कंजम्पशन रेशियो बढ़ जाएगा. इसका असर पॉजिटिव होगा. ग्रोथ बढ़ेगी.
इस बजट से रेगुलेशन या नियंत्रित कोशिशों से लागत कम होगी. स्मॉल और माइक्रो इंडस्ट्रीज की ग्रोथ होगी. इससे ज्यादा रोजगार के मौके बनेंगे. साथ ही स्किल्स डेवलपमेंट होगा. क्वालिटी एजुकेशन मिलेगी. अगर प्रोडक्टिविटी बढ़ानी है, तो स्किल लेवल भी बढ़ाया जाना चाहिए. क्वालिटी एजुकेशन साथ स्किल्स डेवलपमेंट होगा, तो उससे नौकरी मिलेगी और अच्छी सैलरी भी. आखिर में लेबर इंटेंसिव की बात. इसे इंपोर्ट और सप्लाई चेन के साथ कनेक्ट करने की जरूरत है.
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