CJI serious concern over threatened demolitions: स्वतंत्रता दिवस समारोह में लाल किले से पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय की सराहना की जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं में न्यायालय के फैसलों का अनुवाद कराने का पहल है। लाल किले पर मौजूद भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने पीएम मोदी की सराहना को अभिवादन कर स्वीकार किया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट कैंपस में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में उन्होंने न्याय के नाम पर मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों और बुलडोजर संस्कृति पर सवाल खड़े कर दिए। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मनमानी गिरफ्तारियों और विध्वंस की धमकी का संदर्भ लेते हुए कहा कि किसी मामले का नतीजा चाहे जो भी हो, सिस्टम की ताकत न्याय देना है।
सर्वोच्च न्यायालयों में न्याय मिलनी चाहिए
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की मौजूदगी में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी व्यक्ति में मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, विध्वंस की धमकी, अगर उनकी संपत्तियों को गैरकानूनी तरीके से कुर्क किया जाता है तो इस विश्वास की भावना को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में सांत्वना और आवाज मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के विशेष कार्यक्रम में सीजेआई ने कहा कि पिछले 76 साल बताते हैं कि भारतीय न्यायपालिका का इतिहास रोजमर्रा के आम लोगों के संघर्ष का इतिहास है। मेरा मानना है कि न्यायपालिका की चुनौती न्याय तक पहुंच की बाधाओं को खत्म करना है और यह सुनिश्चित करने के लिए एक रोडमैप बनाना है कि न्यायपालिका अंतिम व्यक्ति तक पहुंच योग्य और समावेशी हो।
एक-एक शिकायत को कैसे मुख्य न्यायाधीश निपटाते हैं इसके बारे में बताया
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने सहयोगियों को यह बताते हुए न्याय के प्रति आश्वस्त किया कि प्रत्येक शिकायत, प्रत्येक पत्र और यहां तक कि उनके बजाय सोशल मीडिया को संबोधित प्रत्येक शिकायत को उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से निपटाया जाता है। लेकिन मैं वकीलों से अनुरोध करता हूं कि अगर आपकी कोई शिकायत है तो अदालत के बाहर न भागें, आपके परिवार का मुखिया उसे संबोधित करने के लिए यहां बैठा है।
76 वर्षों से तिरंगा स्वतंत्रता और समानता की हवाओं में लहरा रहा
सीजेआई ने कहा कि मीडिया, नौकरशाही, राजनीतिक दलों और स्वैच्छिक संगठनों जैसे संस्थानों की संवैधानिक लोकतंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि हमारे संस्थापक नेताओं ने राष्ट्रीय प्राथमिकताएं तय कीं और सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बदलाव के लिए संस्थागत तंत्र की कल्पना की है। उन्होंने कहा कि 76 वर्षों के बाद हमारा तिरंगा स्वतंत्रता और समानता की हवाओं में लहरा रहा है। ऐसे समय होते हैं जब हवा रुक जाती है और क्षितिज पर तूफान आ जाता है लेकिन झंडा हमारी सामूहिक विरासत के प्रतीक के रूप में कार्य करता है और हमें अपनी दिशा में मार्गदर्शन करता है।
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