जेलेंस्की ने शुक्रवार (28 फरवरी 2025) को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की. इस मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई थीं. ऐसा माना जा रहा था कि ट्रंप अब जेलेंस्की को समझौते के लिए मना लेंगे और युद्ध समाप्त हो जाएगा. लेकिन हुआ इससे बिल्कुल अलग.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में तीखी बहस हुई. इसके बाद अब ये सवाल उठ रहा है कि लगभग 3 साल से चल रहा रूस-यूक्रेन युद्ध का क्या होगा? क्या यूक्रेन, बिना अमेरिका की मदद के रूस के सामने टिका रह सकता है? यूक्रेन को अभी यूरोपीय देशों का साथ मिल रहा है, क्या इनके दम पर वोलोदिमीर जेलेंस्की युद्ध में खड़े रह पाएंगे? रूस आखिर क्यों यूक्रेन के साथ अब समझौते को तैयार हो गए हैं? इन सभी सवालों के जवाब हमें आने वाले समय में मिल जाएंगे, लेकिन ट्रंप और जेलेंस्की के बीच इतनी दूरियां क्यों आती जा रही है… आखिर, क्यों सत्ता बदलते ही अमेरिका का नजरिया रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बदल गया है? आइए जानते हैं…
क्या यहीं तक था यूक्रेन और अमेरिका का साथ?
अभी तक सिर्फ ऐसी अटकलें लग रही थीं कि ट्रंप और जेलेंस्की में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, लेकिन अब ये जगजाहिर हो गया है. ओवल ऑफिस में शुक्रवार को बैठक के दौरान हुई गरमागरम बहस के बाद अमेरिका-यूक्रेन के बीच का मनमुटाव साफ हो गया है. पिछले दिनों ट्रंप द्वारा जेलेंस्की को ‘तानाशाह’ कहे जाने के बाद हुई इस बैठक में दोनों के बीच तनाव इस कदर बढ़ा कि जेलेंस्की बैठक के लिए तय समय से पहले ही यूएस-यूक्रेन के लिए महत्वपूर्ण खनिज सौदे पर हस्ताक्षर किए बिना व्हाइट हाउस से चले गए. ट्रंप के साथ तीखी बहस के बाद जेलेंस्की ने कहा कि उनका मानना है अमेरिका के साथ यूक्रेन के रिश्तों को बचाया जा सकता है.
हालांकि, जेलेंस्की ने एक्स पर लिखे अपने पोस्ट में इशारों ही इशारों में साफ कर दिया कि अमेरिका और उनका साथ बस यहीं तक था. उन्होंने लिखा, ‘थैंक्स अमेरिका… आपके समर्थन के लिए धन्यवाद, इस यात्रा के लिए धन्यवाद. राष्ट्रपति, कांग्रेस और अमेरिकी लोगों को धन्यवाद. यूक्रेन को न्यायसंगत और स्थायी शांति की जरूरत है और हम ठीक उसी के लिए काम कर रहे हैं.’ जेलेंस्की ने साफ कर दिया कि वह मानते हैं कि उनका रास्ता सही है.
डोनाल्ड ट्रंप
ओवल ऑफिस में जेलेंस्की, ट्रंप के बीच क्या हुआ?
जेलेंस्की ने शुक्रवार (28 फरवरी 2025) को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की. इस मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई थीं. ऐसा माना जा रहा था कि ट्रंप अब जेलेंस्की को समझौते के लिए मना लेंगे और युद्ध समाप्त हो जाएगा. लेकिन हुआ इससे बिल्कुल उल्टा. मुलाकात के दौरान जेलेंस्की ने ट्रंप के सामने पुतिन को आतंकवादी और हत्यारा करार देते हुए कहा कि रूस के साथ समझौता करने की जरूरत नहीं है. इस पर ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन को रूस के साथ शांति समझौता करना ही होगा, नहीं तो तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है.
जेलेंस्की से मुलाकात के बाद क्या बोले ट्रंप?
वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात के बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा कि जेलेंस्की शांति के लिए तैयार नहीं है. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘आज व्हाइट हाउस में हमारी बहुत सार्थक बैठक हुई. बहुत कुछ ऐसा सीखा जो बिना ऐसी आग और दबाव के बातचीत के कभी नहीं समझा जा सकता था. आश्चर्यजनक है कि भावनाओं के माध्यम से क्या सामने आता है. मैंने तय किया है कि राष्ट्रपति जेलेंस्की शांति के लिए तैयार नहीं है यदि अमेरिका इसमें शामिल है क्योंकि उन्हें लगता है कि हमारी भागीदारी उन्हें बातचीत में बड़ा लाभ देती है. मुझे लाभ नहीं चाहिए, मुझे शांति चाहिए.’
वोलोदिमीर जेलेंस्की
अमेरिका के बिना कैसे रूस से लड़ेगा यूक्रेन?
ट्रंप और जेलेंस्की की बहस के बाद अब सवाल उठ रहा है कि अमेरिका के बिना रूस से यूक्रेन कैसे लड़ेगा? हालांकि, कई देश यूक्रेन के समर्थन में अब भी खड़े हैं. इनमें जर्मनी, फ्रांस, पोलैंड, स्पेन, नीदरलैंड जैसे देश भी शामिल हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि हमला करने वाला रूस है, यूक्रेन नहीं. वहीं जर्मनी के चांसलर ने कहा है कि यूक्रेन, जर्मनी और यूरोप पर भरोसा कर सकता है. नीदरलैंड्स ने भी यूक्रेन के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है. प्रधान मंत्री डिक शूफ ने कहा कि यूक्रेन के लिए डच समर्थन कम नहीं हुआ है. विवाद के बाद स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने कहा कि उनका देश युद्धग्रस्त यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा.
लेकिन रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो यूक्रेन, अमेरिका के बिना रूस से ज्यादा दिनों तक नहीं लड़ पाएगा. क्योंकि लगभग 30 प्रतिशत मदद अकेले अमेरिका, यूक्रेन की कर रहा था. अगर ये मदद छिन जाती है, तो यूक्रेन को काफी नुकसान होगा. ऐसे में यूक्रेन का युद्ध में टिके रहना काफी मुश्किल होगा.
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