भारत में पिछले कुछ सालों में महिलाओं के लिए कई ऐसी लाभकारी योजनाएं लॉन्च हुई हैं, जिन्होंने महिलाओं के जीवन को बदल दिया है. मोदी सरकार की इन योजनाओं से महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक सहायता और सामाजिक सुरक्षा प्रदान हुई है.
कलावती नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर पटरी पर बैठकर मूंगफली बेचती थीं, इस दौरान कभी उन्हें एमसीडी, तो कभी पुलिसवाले परेशान करते थे. लेकिन राष्ट्रीय महिला कोष योजना ने कलावती का पूरा जीवन बदल कर रख दिया है. कलावती को इस योजना के तहत बैंक से बड़ी आसानी से लोन मिल गया, जिससे उन्होंने अपनी एक छोड़ी दुकान शुरू कर ली है. अब वह सम्मान के साथ अपनी दुकान चला रही हैं. इधर, महिला ई-हाट योजना से सुमन के व्यापार को पंख लग गए हैं. सुमन की हरियाणा के रोहतक में एक आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकान थी. दुकान की रोजाना की सेल 200-400 रुपये थी. लेकिन जब से वह ‘ई-हाट’ पर अपने प्रोडक्ट लेकर आई हैं, उनकी सेल हजारों में पहुंच गई है. यहां से वह सिर्फ रोहतक में ही नहीं, पूरे देश में अपने प्रोडक्ट बेच रही हैं. वन स्टॉप सेंटर योजना ने पंजाब की सुनीता की भी जिंदगी बदल दी है, जो घरेलू हिंसा का शिकार थीं. यहां उन्हें मार्गदर्शन मिला कि कैसे वह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सकती हैं. मोदी सरकार की योजनाओं ने सिर्फ कलावती, सुमन और सुनीता की ही जिंदगी नहीं बदली है. देशभर की करोड़ों महिलाएं इन योजनाओं का लाभ उठा चुकी हैं. इन योजनाओं का उद्देश्य महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक सहायता और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है. आइए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आपको बताते हैं, भारत में मोदी सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजनाएं के बारे में…
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना… से बड़ी बेटियों की संख्या
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ मोदी सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जो भारत में लड़कियों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर रही है. यह योजना 2015 में शुरू की गई थी. योजना के तहत बाल लिंग अनुपात में सुधार और लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. साथ ही बालिकाओं के प्रति सामाजिक मानसिकता में बदलाव लाना और उन्हें सशक्त बनाना है. इस योजना के तहत, सरकार विभिन्न माध्यमों से लोगों को बालिकाओं के महत्व के बारे में जागरूक करती है. इस योजना के तहत, सरकार स्थानीय समुदायों को बालिकाओं के कल्याण के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है. इस योजना का प्रभाव भी दिखाई दे रहा है. साल 2017-18 से महिला सकल (Female Faculty) नामांकन अनुपात (JIR) पुरुष जीईआर से आगे निकल गया. वहीं, उच्च शिक्षा में महिला नामांकन में 2.07 करोड़ (2021-22), जो कुल संख्या 4.33 करोड़ का लगभग 50 प्रतिशत है. महिला और 100 पुरुष संकाय (Male Faculty) का अनुपात भी 2014-15 में 63 से बढ़कर 2021-22 में 77 हो गया है.
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना… से गर्भवती महिलाओं को आर्थिक लाभ
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही एक मातृत्व लाभ कार्यक्रम है. यह योजना 2017 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है. जनवरी 2025 तक 3.81 करोड़ महिलाओं को 17,362 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पहले जीवित बच्चे के जन्म के दौरान आर्थिक इस योजना के तहत, पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को 5,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है. यह राशि तीन किश्तों में सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा की जाती है. यदि दूसरी बार गर्भवती होने पर महिला बेटी को जन्म देती है, तो एकमुश्त 6000 रुपये दिए जाते हैं. हालांकि, यह पैसा सिर्फ बेटी के जन्म पर ही मिलता है.
उज्ज्वला योजना… ने धुंए से दिलाई मुक्ति
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है- ‘उज्ज्वला योजना’. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही शुरू किया था. यह योजना 2015 में शुरू की गई थी. उज्ज्वला योजना खासतौर पर ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव लेकर आई है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का दायरा बढ़ कर 10 करोड़ परिवारों तक हो गया है. सरकार उज्ज्वला योजना के तहत 75 लाख परिवारों को नये एलपीजी कनेक्शन देने की योजना आने वाले सालों में है. इस योजना में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए कुल खर्च 12,000 करोड़ रुपये होगा. उज्ज्वला योजना का उद्देश्य ग्रामीण और वंचित परिवारों को स्वच्छ ईंधन (LPG) उपलब्ध कराना है. इसका उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे (BPL) के परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करना है. इस योजना के तहत, सरकार प्रति एलपीजी कनेक्शन 1600 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने के लिए उपयोग किए जाने वाले जीवाश्म ईंधन की जगह एलपीजी के उपयोग को बढ़ावा देना है.
महिला शक्ति केंद्र से महिलाएं हुईं सशक्त
महिला शक्ति केंद्र (MSK) भारत सरकार द्वारा 2017 में शुरू की गई एक योजना है. इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना है. यह योजना सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से महिलाओं को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों से जोड़ने में मदद करती है. योजना का मकसद ग्रामीण महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना, शिक्षा और कौशल विकास प्रदान करना, उद्यमिता और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना और सामाजिक सशक्तीकरण के माध्यम से सशक्त बनाना है.
सुकन्या समृद्धि योजना… से सुरक्षित हो रहा बालिकाओं का भविष्य
मोदी सरकार की ओर से सुकन्या समृद्धि योजना 2015 में शुरू की गई थी. इसका उद्देश्य बालिकाओं के भविष्य के लिए बचत को प्रोत्साहित करना है. इस योजना के तहत, 10 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के नाम पर बैंक खाते खोले जा सकते हैं. सुकन्या समृद्धि योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक बचत योजना है, जिसका उद्देश्य बालिकाओं के भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करना है. यह योजना ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का एक हिस्सा है. बालिकाओं के भविष्य के लिए बचत को प्रोत्साहित करना, शिक्षा और विवाह के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना और बालिकाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना, इस योजना का मकसद है. यह खाता बालिका के माता-पिता या कानूनी अभिभावक द्वारा खोला जा सकता है. एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 250 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं. योजना में आकर्षक ब्याज दर मिलती है, जो सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाती है.
तीन तलाक पर प्रतिबंध से मुस्लिम महिलाएं हुई सशक्त
मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी में ‘तीन तलाक पर प्रतिबंध’ कानून वो बदलाव लेकर आया है, जिसका वो दशकों से इंतजार कर रही थीं. तीन तलाक, जिसे तलाक-ए-बिद्दत भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रथा थी, जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को मौखिक रूप से, लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक रूप से तीन बार “तलाक” शब्द कहकर तलाक दे सकता था. इस प्रथा को मोदी सरकार के प्रयासों के बाद अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में शायरा बानो बनाम भारत संघ मामले में तीन तलाक को असंवैधानिक और कुरान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 पारित किया. इस अधिनियम के तहत, तीन तलाक को एक दंडनीय अपराध बनाया गया है, जिसमें दोषी पति को तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है. यह अधिनियम पीड़ित महिलाओं को अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार भी देता है. इस प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें समान अवसर प्रदान करती है.
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महिला ई-हाट योजना से महिलाओं के व्यापार को लगे पंख
महिलाओं को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के मकसद से मोदी सरकार ने इस योजना को साल 2016 में लॉन्च किया था. इसका उद्देश्य महिला व्यपारियों को अपने प्रोडक्ट ऑनलाइन बेचने के लिए एक मंच प्रदान करना है. यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ावा देने में मदद करती है. महिला उद्यमी डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स के बारे में इस योजना के तहत प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकती हैं. महिला उद्यमी महिला ई-हाट पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकती हैं. महिला ई-हाट पोर्टल पर महिला उद्यमी अपने उत्पादों को मुफ्त में लिस्टेड कर सकती हैं. महिलाओं को अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए यहां कोई कमीशन भी नहीं देनी होती है.
प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना
प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से सरकार द्वारा ग्रामीण महिलाओं के लिए उपलब्ध कराई गई योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सशक्त बनाना है. यह योजना सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से महिलाओं को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों से जोड़ने में मदद करती है. इस योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता और स्वरोजगार के अवसर प्रदान किया जाता है.
‘सखी निवास’, कामकाजी महिला छात्रावास
यह योजना कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित और सुविधाजनक आवास प्रदान करती है. यह योजना उन महिलाओं के लिए है, जो अपने घर से दूर काम करती हैं और उन्हें रहने के लिए सुरक्षित स्थान की आवश्यकता होती है. मोदी सरकार का लक्ष्य 523 छात्रावासों से 26,306 महिलाएं लाभान्वित करने का है. कामकाजी महिला छात्रावास योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही एक योजना है, जिसका उद्देश्य कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित और आरामदायक आवास उपलब्ध कराना है.
राष्ट्रीय महिला कोष योजना से महिलाओं को आसान लोन
यह योजना गरीब महिलाओं को छोटे-छोटे लोन देती है, ताकि वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें. राष्ट्रीय महिला कोष (RMK) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संगठन है जिसका उद्देश्य गरीब महिलाओं को सूक्ष्म ऋण प्रदान करना है. मुद्रा योजना के तहत 69 प्रतिशत सूक्ष्म ऋण महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को दिए गए हैं. इसका प्रभाव यह हुआ है कि प्रमुख घरेलू निर्णयों में महिलाओं की भागीदारी में 84% (2015) से बढ़कर 88.7 प्रतिशत (2020) हो गई है.
वन स्टॉप सेंटर योजना दे रही मार्गदर्शन
वन स्टॉप सेंटर योजना हिंसा से प्रभावित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है. यह योजना महिलाओं को सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करती है और उन्हें अपने जीवन को फिर से खड़ा करने में मदद करती है. इस योजना के मुख्य उद्देश्य, हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक ही स्थान पर सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करना, कानूनी, चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना, आश्रय और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करना और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना है.
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