April 22, 2025
कब है चैत्र महीने की संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

कब है चैत्र महीने की संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त​

Sankashti Chaturthi: सनातन धर्म में पूज्य भगवान श्री गणेश की आराधना के लिए हर माह में दो चतुर्थी तिथियां अत्यंत जरूरी मानी जाती हैं. इन्हीं में से चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी को विशेष शुभ और मंगलकारी माना जाता है.

Sankashti Chaturthi: सनातन धर्म में पूज्य भगवान श्री गणेश की आराधना के लिए हर माह में दो चतुर्थी तिथियां अत्यंत जरूरी मानी जाती हैं. इन्हीं में से चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी को विशेष शुभ और मंगलकारी माना जाता है.

Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2025: चतुर्थी व्रत को हिंदू धर्म में अत्यंत मंगलकारी माना जाता है. यह व्रत भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित होता है. हर माह दो बार चतुर्थी तिथि आती है—शुक्ल पक्ष में विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष में संकष्टी चतुर्थी. हर संकष्टी (Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2025 Significance) चतुर्थी का अलग नाम और विशेष महत्व होता है. इस बार भालचंद्र संकष्टी (Bhalchandra Sankashti Chaturthi) चतुर्थी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में 17 मार्च 2025, सोमवार को मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश (Ganesh Puja on Sankashti Chaturthi) की विधिपूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है. आइए, इस तिथि से जुड़ी कुछ खास जानकारी जानते हैं.

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भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi 2025 Muhurat And Timings)

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 मार्च 2025 को रात 07:33 बजे होगी और इसका समापन 18 मार्च 2025 को रात 10:09 बजे होगा.
इस दिन चंद्रोदय के समय भगवान गणेश की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इसलिए, भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च 2025, सोमवार को मनाई जाएगी.

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025: पूजा विधि (Sankashti Chaturthi March 2025 puja vidhi)

सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें.घर और पूजा स्थान को साफ-सुथरा रखें.एक पवित्र चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें.घी का दीपक जलाएं और पीले फूलों की माला अर्पित करें.तिलक करें और मोदक या मोतीचूर लड्डू का भोग चढ़ाएं.भगवान गणेश को दूर्वा घास अर्पित करें.”ॐ भालचंद्राय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें.भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें.अंत में गणपति आरती करके पूजा पूरी करें.पूजा पूरी होने के बाद घर व अन्य लोगों में प्रसाद बांटे.भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पूजा सामग्री (Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2025 Puja Samagri)

भगवान गणेश जिन्हें रिद्धि-सिद्धि और बुद्धि के देवता माना जाता है, उन्हें प्रसन्न करने के लिए हर माह लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन किया जाता है. विशेष रूप से, महिलाएं यह व्रत संतान की सलामती और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए करती हैं.

पूजा को पूर्ण और सफल बनाने के लिए सही और संपूर्ण पूजा सामग्री का होना जरूरी है. इसलिए, संकष्टी चतुर्थी की पूजा के लिए जरूरी सामग्रियां जान लें…

चौकीभगवान गणपति की चित्रलाल वस्त्रगंगाजल मिश्रित जलतांबे का कलशअक्षत (चावल)घी का दीपकहल्दी-कुमकुमचंदनमौली या जनेऊतिलतिल-गुड़ के लड्डूपुष्प मालाधूपलाल फूलदूर्वा घासकर्पूरदक्षिणाफल या नारियल

इन सभी सामग्रियों के साथ विधिपूर्वक गणपति बप्पा की पूजा करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025: शुभ योग (Bhalchandra Sankashti Chaturthi Shubh Yog)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है, जो दोपहर 03:45 बजे तक रहेगा. इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से शुभ कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है.
इसके अलावा, इस दिन भद्रावास योग भी बन रहा है, जो शाम 07:33 बजे तक रहेगा. साथ ही, भद्रावास योग के बाद शिव वास योग का संयोग बन रहा है. इन विशेष योगों में भगवान गणेश की पूजा करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025: पंचांग और शुभ मुहूर्तसूर्योदय: प्रातः 06:28 बजेसूर्यास्त: सायं 06:31 बजेचंद्रोदय: प्रातः 09:18 बजे

शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:53 से 05:41 बजे तकविजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:18 बजे तकगोधूलि मुहूर्त: सायं 06:28 से 06:52 बजे तकअमृत काल: प्रातः 07:34 से 09:23 बजे तक

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर इन बातों का रखें ध्यान

भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करें.अन्न और धन का दान मंदिर या जरूरतमंद लोगों को करें.व्रत से जुड़े नियमों का पूरी श्रद्धा से पालन करें.गणेश चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जाप करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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