NDTV Campaign: बिल्डर ग्राहकों से पैसा वसूल कर समय पर घर नहीं देते और कई प्रोजेक्ट सालों तक अटके रहते हैं. नए खरीदारों से लिया गया पैसा बिल्डर पुराने निवेशकों को चुकाने में इस्तेमाल होता है, जिससे लोग फंस जाते हैं.
NDTV Campaign For Home Buyers: हर शख्स एक घर का सपना देखता है. वो घर जिसमें वह अपने सपनों का जहां बसा सके. इस सपने को पूरा करने के लिए लोग एक-एक पाई जोड़ते हैं. जब पैसा जुट जाता है, तो खून-पसीने की कमाई बिल्डरों को सौंप देते हैं. इस आस में कि जल्द ही उन्हें सपनों का घर मिल जाएगा. लेकिन कई बिल्डर लोगों के इस सपने को तोड़ रहे हैं. बिल्डर ग्राहकों से पैसा वसूल कर समय पर घर नहीं देते और कई प्रोजेक्ट सालों तक अटके रहते हैं. नए खरीदारों से लिया गया पैसा बिल्डर पुराने निवेशकों को चुकाने में इस्तेमाल होता है, जिससे लोग फंस जाते हैं. बड़े-बड़े वादे कर प्रोजेक्ट लॉन्च होते हैं, लेकिन बाद में सुविधाएं अधूरी दी जाती हैं. NDTV की खास मुहिम में हम देश के अलग-अलग हिस्सों में अपने सहयोगियों से जुड़ेंगे और होम बायर्स के हालात को और बेहतर तरीके से समझने की कोशिश करेंगे.
देशभर में ऐसे बिल्डर लोगों के सपनों के साथ खेल रहे हैं. बिल्डर-बैंक-निगम अधिकारियों की मिलीभगत से खरीदारों को कोई राहत नहीं मिलती. EMI और किराया दोनों भरने के बावजूद खरीदारों को घर नहीं मिलता. RERA जैसा कानून होने के बावजूद कई बिल्डर नियमों का उल्लंघन कर बच निकलते हैं.
रेरा में केस भी जीता, लेकिन नहीं मिला घर
राज नगर एक्सटेंशन के स्टार रामेश्वरम का एक प्रोजेक्ट पिछले कई साल से लटका है. होम बायर्स का पूरा पैसा जा चुका है. यहां तक कि रेरा से कई लोग केस भी जीत चुके हैं लेकिन फ्लैट्स अब तक नहीं मिले हैं. इस प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने वाले एक शख्स ने बताया, ‘सुप्रीम कोर्ट कहती है SIT बनाओ, बिल्डर का क्या है वो उनको पैसे खिलाएंगे हमको इसका क्या फ़ायदा है. रेरा जब बना था, तब उम्मीद जागी थी कि न्याय मिलेगा, लेकिन रेरा बिल्डर को बुला तक नहीं पाता नहीं है. हम लोगों की उम्मीद टूट चुकी है, काम धाम छोड़कर कभी डीएम तो कभी कोर्ट के चक्कर लगाते हैं.
70 साल की निशा गुप्ता का दर्द
निशा गुप्ता की उम्र सत्तर साल है. अधूरी पड़े फ्लैट्स के सामने ही वो किराए पर रहती हैं. अधूरे पड़े प्रोजेक्ट के सामने बिल्डर ने होम बायर्स को किराए पर फ्लैट्स मुहय्या कराए थे. लेकिन बीते तीन साल से बिल्डर ने न किराया दिया है न ही फ्लैट. कई लोगों की फ्लैट का इंतज़ार करते-करते मौत भी हो गई है. निशा गुप्ता कहती है, ‘मेरी उम्र देखो बेटा, कितने दिन मुझे ज़िंदा रहना है, लेकिन लगता यही है कि मैं अपने फ्लैट् में इस जन्म में नहीं रह पाऊंगी.
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