April 8, 2025

Stock Market Crash: चीनी तेवर नहीं, जानिए टैरिफ पर बाजार में हाहाकार से क्यों भारत का ‘संयम मार्ग’ ही बचाएगा​

Share Market Crashed Today: जब दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में मातम पसरा है, तो भारत भी उससे अछूता नहीं है...भारतीय बाज़ार में भी गिरावट दर्ज की गई. समझिए हालात...

Share Market Crashed Today: जब दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में मातम पसरा है, तो भारत भी उससे अछूता नहीं है…भारतीय बाज़ार में भी गिरावट दर्ज की गई. समझिए हालात…

Share Market Crashed Today: चंद सेकंड में 19 लाख करोड़ स्वाहा. झटका ऐसा कि टाटा भी हिल गया. उसके स्टॉक्स से 1.5 लाख करोड़ फुर्र हो गए. 2 अप्रैल को ट्रंप ने टैरिफ बम फोड़ा था. झटका सोमवार को भारतीय बाजारों तक पहुंचा. टैरिफ वॉर छिड़ने के खौफ ने सोमवार को हाहाकारी बना दिया. यूरोप से लेकर एशिया तक बाजार दहल गए. भारत में सुबह BSE सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 3,939.68 पॉइंट्स यानी 5.22% की गिरावट के साथ 71,425.01 तक धंसा. NSE निफ्टी भी 1,160.8 पॉइंट्स यानी 5.06 पर्सेंट फिसलकर 21,743.65 पर आ गया. हालांकि बाजार बंद होने पर मामूली रिकवरी हुई. सेंसेक्स 2,226.79 अंक टूटकर 73,137.90 अंक पर बंद हुआ. निफ्टी भी 742.85 फिसलकर 22,161.60 पर आ गया.

भारत का ‘संयम मार्ग’ बचाएगा

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ऐसे में सवाल यह है कि ट्रंप के टैरिफ से निपटने का रास्ता क्या है? क्या चीनी तरीका? सीधा पलटवार? या फिर भारत की तरह संयम से हालात को संभालने की रणनीति. सोमवार को दुनियाभर के बाजारों को ट्रंप के टैरिफ से बड़ा झटका ‘टैरिफ वॉर’ की आहट ने दिया है. इससे हाथ जलाने वाले मुल्कों में यह बड़ी बहस चल पड़ी है. बाजार में मचे हाहाकार पर जर्मनी ने यूरोप और दुनिया के देशों को चेताया है. उसके प्रवक्ता स्टेफन हैबस्ट्राइट (Steffen Hebestreit) ने कहा कि बाजार जिस तरह से डूबे हैं, वह वेकअप कॉल है. ट्रेड वॉर छेड़ने पर हम सब लूजर ही रहेंगे. उन्होंने कहा कि ट्रेड वॉर छेड़ने के बजाय दुनिया के देशों को होशियारी दिखानी होगी.

दुनियाभर के बाज़ारों में हाहाकार मचा हुआ है…पिछले हफ्ते जो कुछ हुआ, उसके बाद सोमवार ब्लैक मंडे साबित हआ. दुनिया भर में हड़कंप है.

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जब दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में मातम पसरा है, तो भारत भी उससे अछूता नहीं है…भारतीय बाज़ार में भी गिरावट दर्ज की गई…अब निवेशकों के मन में कई शंकाएं हैं.. बाज़ार की हालात को लेकर जो 10 अहम सवाल उठ रहे हैं. उनको समझने की कोशिश करते हैं.

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सवाल 1- बाजार में 4% से ज्यादा गिरावट क्यों?

  • ट्रंप का टैरिफ है वजह
  • ट्रेड वॉर का खतरा

सवाल 2- ट्रंप टैरिफ से बाजार पर असर क्यों ?

  • निवेशकों को मंदी का खतरा दिख रहा है
  • अमेरिका में मंदी का असर पूरी दुनिया पर होगा

सवाल 3- किन सेक्टरों में नुकसान ज्यादा दिखा?

  • मेटल
  • ऑयल और गैस
  • फाइनेंशियल

सवाल 4- क्या आगे भी गिरावट जारी रहेगी?

  • वजह व्हाइट हॉउस की नीतियां
  • समाधान भी वहीं से आएगा

सवाल 5- चीन के जवाबी ऐक्शन ने गिरावट क्यों बढ़ाई?

  • ग्लोबल ट्रेड वॉर का खतरा सच साबित हो रहा है
  • आशंका है कि यूरोपियन यूनियन भी कड़ा रुख कर सकती है

सवाल 6 हमेशा की तरह क्या यूएस फेड दखल देगा?

  • दखल की संभावना कम
  • टैरिफ की वजह से अमेरिका में महंगाई का खतरा काफी बढ़ गया है

सवाल 7 ग्लोबल सेलऑफ में निवेशकों का क्या करना चाहिए?

  • हमेशा की तरह ऐसे समय में किनारे पर बैठकर देखना ही समझदारी
  • कोविड महामारी के समय भी यही माहौल था

सवाल 8- क्या हमारे बाजार भी दूसरे देशों के जितने ही गिरेंगे?

  • पिछले 1 महीने से हमारा बाजार ज्यादा मजबूती दिखा रहा है
  • ये आगे भी जारी रह सकता है

सवाल 9 खरीदारी का मौका कब आएगा?

  • टैरिफ पर अमेरिका के रुख साफ होने पर तेजी आ सकती है

सवाल 10- किन सेक्टर्स में निवेश की शुरूआत कर सकते है?

  • घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़े सेक्टर्स
  • एक्सपोर्ट वाले सेक्टरों से दूर रहें
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भारत आपदा को बनाएगा अवसर

गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बुरा दौर शायद खत्म हो गया है. हाल ही में एक रिपोर्ट में, गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि भारत संभवतः आर्थिक मंदी और आय में गिरावट के अपने सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से आगे निकल गया है. हालांकि, टैरिफ ने भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं. वहीं भारत के सरकारी अधिकारियों का कहना है कि अगर तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे रहती हैं, तो भारत 1 अप्रैल से शुरू हुए वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अपने 6.3%-6.8% विकास अनुमान को पूरा कर सकता है, जो कि नए अमेरिकी टैरिफ से वैश्विक व्यवधानों के बावजूद है, जबकि कई निजी अर्थशास्त्रियों ने अपने पूर्वानुमान कम कर दिए हैं. वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि टैरिफ 2025-26 वर्ष के लिए भारत के प्रमुख राजकोषीय मापदंडों पर भारी नहीं पड़ेंगे. अधिकारी ने कहा, “हमने निर्यातकों की मदद के लिए शुल्क छूट योजनाओं के लिए बजट में पहले ही प्रावधान कर दिए हैं और हम और भी कुछ करने के लिए तैयार हैं.”

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • J.P. Morgan जैसे Wall Street institution ने 2025 में मंदी की आधिकारिक तौर पर पूर्वानुमान लगाया है
  • मेटल, ऑयल और गैस, फाइनेंशियल सेकेटर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.,..जो इसमें निवेश कर चुके हैं वो क्या कर सकते हैं
  • निवेशकों के लिए क्या सलाह है..आने वाले दिनों में कौन से सेक्टर्स हैं जिन पर
  • पूरे अमेरिका में जमकर विरोध देखने को मिल रहा है ..क्या ऐसे में फैसला वापस लेने की कोई उम्मीद नज़र आती है…
  • चीन ने 10 अप्रैल से सभी अमेरिकी चीजों पर 34% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात कही है..क्या इसका और बुरा अरसर बाज़ार पर पड़ सकता है…
  • ऐसे में टैरिफ वॉर का ख़तरा और बढ़ जाता है

भारतीय बाजार की अब तक की 10 बड़ी गिरावट जान लीजिए

दिन गिरावट (सेंसेक्स)
4 जून 20246,094
23 मार्च 20203,935
12 मार्च 20202,919
09 मार्च 20201,941
27 फरवरी 20201,448
24 फरवरी 2020806
06 फरवरी 20201,000
03 फरवरी 20202,100
31 जनवरी 2020987
24 अगस्त 20151,624

दुनिया के अन्य देशों का हाल जान लीजिए

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणाओं के बाद सोमवार सुबह दुनियाभर के शेयर बाजार में उतार चढ़ाव देखने को मिला. रिपोर्ट के मुताबिक कई देशों के शेयर बाजार धड़ाम हो गए. हांगकांग स्टॉक एक्सचेंज सोमवार को 13.22% की गिरावट के साथ बंद हुआ, जो 1997 के एशियाई वित्तीय संकट के बाद से एक दिन में सबसे खराब गिरावट है. सोमवार की सुबह शेयर बाजार खुलने के साथ ही जर्मन डीएएक्स सूचकांक में लगभग 10% की गिरावट आई, लेकिन कारोबार जारी रहने के साथ इसमें थोड़ा सुधार हुआ और यह 7% के आसपास लाल निशान पर आ गया. पाकिस्तान का बाजार तो खून के आंसू रोया. पाकिस्तान के शेयर बाजार (पीएसएक्स) में सोमवार को बेंचमार्क केएसई-100 सूचकांक में 8,000 से अधिक अंक की गिरावट के कारण एक घंटे के लिए कारोबार स्थगित कर दिया गया. जापान का निक्केई सूचकांक खुलने के बाद आठ प्रतिशत से अधिक गिर गया, टॉपिक्स में 6.5 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट हुई. चीन में शंघाई कम्पोजिट में कम से कम 6.7 प्रतिशत की गिरावट आई, ब्लू चिप सीएसआई300 में 7 प्रतिशत की गिरावट आई. हांगकांग में बाजार 9 प्रतिशत की गिरावट के साथ खुला, जबकि अलीबाबा और टेनसेंट जैसी दिग्गज टेक कंपनियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा. चीन की ओर से की गई कड़ी जवाबी कार्रवाई के बाद यह बिकवाली हुई.

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