सूडान में अर्धसैनिक बलों ने विस्थापित हुए लोगों के शिविरों और एल फशर शहर के आसपास एक के बाद एक हमला करके 200 से अधिक नागरिकों की हत्या कर दी है. यह शहर दारफुर क्षेत्र में सूडानी सेना के कब्जे वाला आखिरी बड़ा शहर है.
क्या किसी देश की फोर्स अपने ही लोगों को गोलियों से भून सकती है? वैसे तो 21वीं सदी में इस सवाल का जवाब तो हर बार ना होना चाहिए, लेकिन हकीकत ऐसा नहीं है. सूडान में अर्धसैनिक बलों ने विस्थापित हुए लोगों के शिविरों और एल फशर शहर के आसपास एक के बाद एक हमला करके 200 से अधिक नागरिकों की हत्या कर दी है. यह शहर दारफुर क्षेत्र में सूडानी सेना के कब्जे वाला आखिरी बड़ा शहर है.
सूडान में सेना और अर्धसैनिक बल आमने सामने हैं और दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है. लगभग दो साल पहले सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच गृह युद्ध शुरू होने के बाद से दारफुर क्षेत्र में हिंसा का सबसे खराब दौर चल रहा है. सवाल है कि ऐसा क्यों हो रहा है, यह गृह युद्ध शुरू ही क्यों हुआ?
यह सब समझने के लिए आपको अतीत में ले जाना होगा.
कहानी सूडान की
ओटोमन साम्राज्य की मिस्र शाखा ने 19वीं शताब्दी में जीतकर सूडान का निर्माण किया. इसके बाद 20वीं शताब्दी के पहले के आधे भाग तक इस पर अंग्रेजों और मिस्र के द्वारा “कॉन्डोमिनियम” के रूप में शासन किया गया.
यह देश उत्तर-पूर्वी अफ्रीका में है. यह विशाल क्षेत्र औपचारिक रूप से उस समय बंट गया जब यहां की केंद्र सरकार के खिलाफ सालों के संघर्ष के बाद, 2011 में इससे अलग होकर साउथ सूडान एक स्वतंत्र देश बन गया. अब ऐसा लगता है कि उत्तर में भी देश को दो फाड़ किया जाएगा. यहां सेना और अर्धसैनिक बल ही एक-दूसरे के सामने हैं.
पावरफुल सेना
सूडान में लंबे समय से सेना सुपरएक्टिव है और यह देश इसके बोझ तले दबा हुआ है. यह एक तरह से सूडान की एक औपनिवेशिक विरासत है- सेना हमेशा सरकार के केंद्र में रही है.आजादी के बाद, सैनिकों ने खुद को केवल देश का संरक्षक नहीं बताया, बल्कि खुद को ही देश मानने लगे. तीन बार सूडान में सेना ने सत्ता पर कब्जा किया: 1958, 1969 और 1989 में. हर बार, वे बार वे लंबे समय तक सत्ता में रहे, और सूडान कैसा होना चाहिए, इसके बारे में अपना दृष्टिकोण थोपने की कोशिश की. कई बार जब बड़े विद्रोह हुए तो उसने सैन्य शासन को खतरे में डाल दिया. सेना ऐसी स्थिति में कुछ अस्थायी रियायत देकर बचने में माहिर रही.
लेकिन फिर भी सेना ने सूडान पर शासन करने के लिए संघर्ष किया. सेना के अधिकारियों के भीतर ही इस बात को लेकर लड़ाई हो गई कि शासन चलाएगा कौन. द कन्वर्सेशन की रिपोर्ट के अनुसार जाफर निमेरी के लंबे शासन को बार-बार तख्तापलट के प्रयासों से रोका गया था. इसके बाद उमर अल-बशीर ने अतिरिक्त सुरक्षा बल बनाकर और सैनिकों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करके सेना में अपने प्रतिद्वंद्वियों को नियंत्रित करने की कोशिश की.
2023 में जब सेना- अर्धसैनिक बल का संघर्ष शुरू हुआ
15 अप्रैल 2023 को सूडान में सूडानी सशस्त्र बलों (SAF) और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज, या RSF के बीच लड़ाई शुरू हो गई. SAF का नेतृत्व सेना प्रमुख और सरकार चला रहे जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान कर रहे थे जबकि RSF का नेतृत्व जनरल मोहम्मद हमदान डागालो के हाथ में था.
याद रहे कि SAF और RSF ने पहले 2019 में लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे उमर अल-बशीर को सत्ता से जबरन हटाने के लिए एक साथ काम किया था. लेकिन बाद में सत्ता संघर्ष के बीच वे अलग हो गए जो घातक हो गया.
अप्रैल 2023 की शुरुआत में सेना के नेतृत्व वाली सरकार ने राजधानी खार्तूम की सड़कों पर SAF सैनिकों को तैनात कर दिया, जबकि RSF बलों ने पूरे देश में स्थानों पर कब्जा कर लिया. मामला तब तूल पकड़ गया जब उसी साल 15 अप्रैल को खार्तूम में विस्फोट और गोलीबारी हुई. तब से दोनों सेनाएं आपस में लड़ रही हैं.
उत्तर और पूर्व में सेना का दबदबा है, जबकि RSF दारफुर के अधिकांश और दक्षिण के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण रखता है. युद्ध ने हजारों लोगों की जान ले ली, 12 लाख से अधिक लोगों को उखाड़ फेंका और संयुक्त राष्ट्र ने इसे दुनिया का सबसे खराब मानवीय संकट बताया है.
गृहयुद्ध में मानवीय क्षति खतरनाक रही है. फरवरी 2025 तक ही पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की कमी, भूख, युद्ध और इसके संबंधित कारणों से मारे गए लोगों का अनुमान 20,000 से 150,000 तक है.
अभी सूडान में क्या हो रहा?
RSF ने रविवार को घोषणा की कि उसने दो दिनों की भारी गोलाबारी और गोलीबारी के बाद पश्चिमी दारफुर क्षेत्र में अकाल प्रभावित शिविर पर नियंत्रण कर लिया है. एक बयान में, RSF ने कहा कि उसने “जमजम में नागरिकों और मानवीय चिकित्सा कर्मियों को सुरक्षित करने के लिए सैन्य इकाइयों को तैनात कर दिया गया है … इससे पहले शिविर को सेना की पकड़ से सफलतापूर्वक मुक्त कराया गया.”
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जमजम 5 लाख से अधिक शरणार्थियों का घर है. सेना और RSF के बीच दो वर्षों के युद्ध के दौरान आसपास के शरणार्थी शिविरों को भारी नुकसान हुआ है. शुक्रवार से, RSF ने उत्तरी दारफुर की घिरी हुई राजधानी अल-फशर और पास के जमजम और अबू शौक विस्थापन शिविरों पर जमीनी और हवाई हमले शुरू कर दिए हैं. संयुक्त राष्ट्र ने शनिवार को कहा कि RSF के इस ताजा हमलों में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है.
अमेरिका ने युद्ध में दोनों पक्षों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. अमेरिका के अनुसार RSF ने दारफुर में “नरसंहार किया है” और सेना ने नागरिकों पर हमला किया है. एक बात तो साफ है कि इस संघर्ष ने सूडान को अनिवार्य रूप से दो भागों में विभाजित कर दिया है.
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