May 17, 2025

मूवी रिव्यू- मिशन: इम्पॉसिबल – द फाइनल रेकनिंग:अंतिम मिशन में अदृश्य दुश्मन से जंग, टॉम क्रूज की दमदार विदाई लेकिन कहानी थोड़ी थकी-थकी

1996 में शुरू हुई Mission: Impossible सीरीज अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। आठ फिल्मों में फैली इस दुनिया की सबसे पॉपुलर एक्शन फ्रेंचाइजी का ये आठवां और संभवतः आखिरी भाग है—मिशन: इम्पॉसिबल – द फाइनल रेकनिंग। टॉम क्रूज ने 30 सालों तक ईथन हंट बनकर जो नाम और नजीर रची, वो अब इतिहास बन जाने वाली है। मेकर्स का दावा है कि ये फ्रेंचाइजी की अंतिम फिल्म है, और यदि वाकई ऐसा है तो फैंस को अलविदा कहने में थोड़ी कसक और फिल्म से थोड़ी निराशा भी महसूस हो सकती है। यह फिल्म आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 49 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार रेटिंग दी है। फिल्म की स्टोरी कैसी है? फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां पिछली फिल्म खत्म हुई थी। एक ‘Entity’ यानी अदृश्य AI दुश्मन दुनिया के डिजिटल सिस्टम को तहस-नहस करने की ताक में है। अमेरिका की राष्ट्रपति खुद ईथन हंट को एक वॉइस मैसेज भेजती हैं, और कहती हैं— “दुनिया को एक बार फिर तुम्हारी जरूरत है।” इसके बाद शुरू होती है वो रेस जिसमें ईथन को न सिर्फ अमेरिका, बल्कि पूरी मानवता को इस अदृश्य खतरे से बचाना है। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? टॉम क्रूज एक बार फिर साबित करते हैं कि वो सिर्फ एक अभिनेता नहीं, एक जुनूनी फाइटर हैं। 62 साल की उम्र में उनकी एनर्जी, स्टंट और इमोशनल एक्सप्रेशन कमाल के हैं। हेलिकॉप्टर चेज और समंदर के अंदर वाला सीन उनकी मेहनत और साहस की मिसाल है। सपोर्टिंग कास्ट में हैली एटवेल, विंग रहाम्स, साइमन पेग और एंजेला बैसेट ने भी अपनी भूमिकाओं को मजबूती से निभाया। खास तौर पर लुसी तुलुगर्जुक की सादगी और ह्यूमर वाला किरदार दर्शकों को हल्की मुस्कान दे जाता है। निर्देशन व तकनीकी पक्ष कैसा है? क्रिस्टोफर मैकक्वैरी का निर्देशन भव्य और गंभीर है, लेकिन इस बार टोन थोड़ा ड्रामेटिक और खिंचा हुआ लगता है। पहले हाफ में फिल्म जरूरत से ज्यादा डायलॉग्स और भूमिका निर्माण में समय लेती है, जिससे गति थम सी जाती है। हालांकि, दूसरे हाफ में जैसे ही टॉम एक्शन मोड में आते हैं, फिल्म जान पकड़ती है। समंदर के नीचे का सीन और हेलिकॉप्टर चेज सीन रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं। हालांकि कहानी predictable है, लेकिन कुछ सीन्स और टॉम क्रूज की मौज़ूदगी इसे engaging बना देती है। तकनीकी तौर पर फिल्म जबरदस्त है। फ्रेजर टैगार्ट की सिनेमैटोग्राफी UK, USA और साउथ अफ्रीका के लोकेशन्स को postcard जैसा बनाती है। फिल्म का म्यूजिक कैसा है? बैकग्राउंड स्कोर नया और शानदार है, पुराने बीजीएम को दोहराए बिना ताजगी देता है। फिल्म का फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं? अगर आप Mission: Impossible फ्रेंचाइजी के फैन हैं तो ये फिल्म अलविदा कहने से पहले एक आखिरी सलामी की तरह जरूर देखनी चाहिए। हां, ये उनकी सबसे टाइट फिल्म नहीं है, लेकिन टॉम क्रूज की मौजूदगी और कुछ जबरदस्त सीन इसे यादगार बना देते हैं।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर

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