Maharashtra Politics: अजित पवार भले ही महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री हों लेकिन उनके बड़े भाई श्रीनिवास पवार ने लोकसभा चुनाव के पहले कड़ी फटकार लगाई है। घर टूटने और 83 साल के चाचा का साथ छोड़ने पर उनको नालायक करार दिया है। पवार की डांट का एक वीडियो ऑनलाइन साझा किया गया है। श्रीनिवास ने अजीत पवार से इसके बाद से नाता तोड़ लिया है।
क्यों अजीत पवार से श्रीनिवास पवार ने तोड़ा नाता?
शरद पवार से बगावत करने के बाद श्रीनिवास पवार, अपने छोटे भाई अजीत पवार से बेहद खफा हैं। श्रीनिवास पवार ने खुद को अपने भाई से दूर कर लिया और उन्हें नालायक, बेकार करार दिया। उन्होंने उन पर अपने चाचा शरद पवार को छोड़ने का भी आरोप लगाया, जब अनुभवी राजनेता को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। पवार ने संवाददाताओं से कहा कि यह मेरी निजी राय है कि उनसे (अजित पवार) से ज्यादा बेकार व्यक्ति कोई नहीं हो सकता।”
श्रीनिवास पवार ने कहा कि मैंने हर समय, हर स्थिति में अजित का अनुसरण किया। मैंने फैसलों का समर्थन किया और कभी उस पर सवाल नहीं उठाया। बहुत से लोग मुझे यहां (बारामती) जानते हैं, मैं यहीं पला-बढ़ा हूं। जब अजित और मेरे बीच चर्चा हुई तो मैंने उनसे कहा कि आप बारामती से विधायक के रूप में चुनाव लड़ते रहें और पवार साहब के नेतृत्व में लोकसभा छोड़ें क्योंकि उन्होंने हमारे लिए जो कुछ भी किया उसके लिए हम उनके आभारी हैं। 83 साल की उम्र में उन्हें अकेला छोड़ना मुझे अच्छा नहीं लगा।
वरिष्ठ पवार ने यह भी कहा कि 83 वर्षीय शरद पवार ने परिवार के लिए बहुत कुछ किया है। हमारे कुछ दोस्तों ने मुझसे कहा कि भविष्य शरद के बजाय अजीत का है लेकिन यह विचार बहुत दर्दनाक था। मैं नहीं किसी व्यक्ति को उनके बुढ़ापे में छोड़ना चाहता हूं। मेरे व्यक्तिगत विचार में, यदि कोई इस तरह से सोचता है तो वह एक अक्षम व्यक्ति है।
अजीत ने राजनीतिक लाभ के लिए चाचा का उठाया फायदा
श्रीनिवास पवार ने अजित पर राजनीतिक लाभ के लिए अपने चाचा के कंधे पर खड़े होने और फिर उन्हें किनारे करने का भी आरोप लगाया और फिर अपने भाई से नाता तोड़ने का संकेत देते दिखे। उन्होंने कहा कि यह जमीन का मालिकाना हक मिलने के बाद घर के मालिक को पद से हटाने जैसा है। हम सभी जानते हैं कि जिसे भी राजनीति में पद मिला, वह शरद पवार के कारण मिला। दवाइयों (जिनकी एक्सपायरी डेट होती है) की तरह कुछ रिश्ते भी एक्सपायर हो जाते हैं। मैं मैं 60 साल का हूं, मैं दबाव में नहीं रह सकता।
दरअसल, बीते महीनों में अजीत पवार ने एनसीपी से बगावत की थी। वह करीब 40 विधायकों के साथ शरद पवार से अलग होकर महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। इसके बाद उनको उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। बाद में चुनाव आयोग ने एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न अजीत पवार गुट को आवंटित कर दिया।
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