MSC Aries seized by Iran: केरल के वेल्लरीपरम्बा में रह रहे बुजुर्ग दंपत्ति विश्वनाथन और श्यामला का बुरा हाल है। उनके बुढ़ापे की लाठी का पिछले 24 घंटे से कोई अतापता नहीं है। वह किस हाल में है, ईरानी फोर्स ने उसके साथ क्या किया होगा…यह सोचकर बुजुर्ग परेशान हैं। मां श्यामला को तो रोकर बुरा हाल है। वह बात कम रोती ज्यादा हैं। उनकी एक ही रट है कि बेटा श्यामनाथ सही सलामत घर वापस आ जाए।
उत्तरी केरल जिले के रहने वाले विश्वनाथन और श्यामला के बेटे श्यामनाथ, उन 17 भारतीयों में एक हैं जिनको ईरान ने पकड़ रखा है। यह सभी भारतीय, इसरायल से लिंक्ड कार्गो शिप एमएससी एरिस पर सवार थे। शिप भारत आ रहा था कि ईरान ने अपने जलक्षेत्र में इसे सीज़ कर दिया। यह वाकया, ईरान और इसरायल के बीच बढ़े तनाव के बीच की है।
हालांकि, भारतीय राजनयिक लगातार ईरान में विभिन्न चैनल्स से बातचीत कर रहे हैं लेकिन अभी तक का प्रयास बेनतीजा ही है। उधर, ज्यों-ज्यों घड़ी की सुई खिसक रही है सीज़ जहाज में सवार 17 भारतीयों के परिजन का हाल-बेहाल होता जा रहा है। वे अपने अपनों की सुरक्षा के बारे में सोचकर चिंतित हो रहे हैं, वापसी के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं।
श्यामनाथ के परिजन का हाल बुरा
श्यामनाथ के माता-पिता विश्वनाथन और श्यामला को तो उस फोन कॉल का यकीन ही नहीं हो रहा है। श्यामनाथ की बुजुर्ग मां श्यामला रोते हुए बताती हैं कि शनिवार को उनकी बेटे से बात हुई थी। लेकिन शाम को मुंबई से कॉल आया कि उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है। फोन कॉल करने वाले ने पूरी जानकारी दी तो दंपत्ति को सदमा जैसा लगा। वह समझ नहीं पा रहे कि अब क्या करें?
पिता विश्वनाथन पत्नी को ढांढस बंधा रहे हैं। पूछताछ करने आने वालों से भी थोड़ी बहुत बात कर रहे हैं। फोन कॉल के बारे में वह बताते हैं कि हम बेहद कठिन समय से गुजर रहे हैं। हमें अपने बेटे की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंता है। कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि वे जहाज जब्ती के बाद जहाज के चालक दल से संपर्क नहीं कर सके।
विश्वनाथन ने बताया कि उनका बेटा बीते 10 साल से ‘एमएससी एरीज़’ में इंजीनियर के रूप में काम करता है। वह आखिरी बार पिछले साल सितंबर में गृहनगर आया था।
वेल्लारीपरम्बा के अलावा पलक्कड और वायनाड के भी युवक
‘एमएससी एरीज़’ में 17 भारतीयों में श्यामनाथ के अलावा पलक्कड़ और वायनाड जिलों के भी दो लोग हैं। उनके परिजन का भी कुछ ऐसा ही हाल है। इन सभी फंसे हुए लोगों के परिजन सिर्फ अपने अपनों को किसी सूरत में वापस देखना चाहते हैं। इनका मानना है कि केंद्र सरकार अगर प्रयास करेगी तो उनको वापस लाया जा सकेगा।
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