एक्ट्रेस कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ 6 सितंबर को रिलीज होगी या नहीं, इसका फैसला थोड़ी देर में हो जाएगा. अदालत में इस मामले पर सुनवाई चल रही है. फिल्म को रिलीज करवाने और सेंसर सर्टिफिकेट की मांग को लेकर ‘इमरजेंसी’ की सह-निर्माता कंपनी जी इंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया है. अदालत में दायर याचिका में दावा किया गया है कि सेंसर बोर्ड ने मनमाने तरीके और अवैध रूप से फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट रोका है. इस याचिका पर जस्टिस बी पी कोलाबावाला और फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ सुनवाई कर रही है.
कोर्ट में दी जा रहीं दलीलें पढ़िए
कोर्ट- CBFC के वकील से पूछा की क्या आपके अधिकारियों ने शुरू में फिल्म देखी और प्रमाण पत्र देते समय उन्होंने अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया?कोर्ट ने उस अधिकारी को फटकार लगाई. याचिकाकर्ता के वकील धोंड ने कहा कि मौजूदा सांसद का कहना है कि प्रमाणपत्र जारी किया गया था,लेकिन उसे बाद में रोक दिया गया,उन्होंने यह नहीं कहा कि प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया.कोर्ट- आपने लंबित कार्यवाही के बारे में मध्य प्रदेश कोर्ट को क्यों नहीं बताया. मध्य प्रदेश कोर्ट ने सीबीएफसी द्वारा दिए गए बयान को स्वीकार कर लिया है कि उसने अभी तक फिल्म को कोई प्रमाणपत्र नहीं दिया और कहा है कि सेंसर बोर्ड को अभ्यावेदन पर विचार करना होगा. मध्य प्रदेश कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है,अगर हम आज आपकी याचिका को स्वीकार करते हैं, तो यह आदेश का खंडन होगा.धोंड वकील – हमने वहां की पीठ को सूचित किया था. कोर्ट- लेकिन इसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि उनके आदेश से हमारे समक्ष लंबित कार्यवाही प्रभावित नहीं होगी.कोर्ट- हम आपके साथ हैं, काश आपने एमपी हाईकोर्ट के सामने भी इसी तरह जोरदार तरीके से तर्क दिया होता,तो ऐसा नहीं हो सकता कि सीबीएफसी के चेयरमैन अब हस्ताक्षर न करें. यह ऐसा है जैसे हम फैसला सुनाते हैं और चैंबर में जाकर हस्ताक्षर कर देते हैं. हम ऐसे आदेश पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते जो सुनाए गए आदेश के विपरीत हो. धोंड – पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट सामने सिख कम्युनिटी ने फिल्म का विरोध किया और वह कोर्ट गए. उन्हें लगता है कि इससे अशांति फैलेगी. यह सीबीएफसी का क्षेत्राधिकार नहीं है,यह कानून और व्यवस्था लागू करने वाली संस्था नहीं है. कोर्ट- फिर से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर विचार किया जा रहा है. धोंड -अन्य उच्च न्यायालयों को बताया गया कि कोई प्रमाण पत्र नहीं है. कोर्ट – इसलिए यह तर्क वहा MP कोर्ट में दिया जाना चाहिए था.कोर्ट – हम इस याचिका को खारिज नहीं कर रहे है,अगर इसमें एक हफ्ते की देरी होती है तो कोई आसमान नहीं गिरेगा, आपको ये दलीलें एमपी हाईकोर्ट के समक्ष रखनी चाहिए थीं. धोंड – मैं आखिरी बात यह करना चाहता हूं कि यह मुद्दा किसी समूह द्वारा दायर जनहित याचिका में ना जाए,जहां सीबीएफसी ने कहा है कि कोई प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है. कृपया एमपी हाईकोर्ट के आदेश को मेरे नजरिए से देखें.कोर्ट- हम आपके साथ हैं,हमें समझ में नहीं आता कि कुछ समूह बिना फिल्म देखे कैसे जान जाते हैं कि फिल्म आपत्तिजनक है. धोंड – ऐसा ट्रेलर की वजह से होता है. कोर्ट- अगर हम सीबीएफसी को प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश देते हैं तो हम दूसरे हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन करेंगे. मेरे व्यक्तिगत विचार से, सीबीएफसी इन समूहों का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता. धोंड – मैं इस बात का सम्मान करता हूं कि दो अदालतों को एक दूसरे के विपरीत विचार नहीं रखना चाहिए, लेकिन कृपया सीबीएफसी सबमिशन के बारे में एमपी हाई कोर्ट के आदेश को फिर से देखें. धोंड – जब प्रमाण पत्र वास्तव में जारी किया गया था,तब कोई प्रमाण पत्र जारी न किए जाने का दावा प्रस्तुत किया गया था.1800 सिनेमाघर बुक हैं. लोगों ने टिकिट बुक करवाई है. कंगना रनौत के प्रोडक्शन हाउस की वकील- हम फिल्म में कोई बदलाव नहीं करेंगे और फिल्म को उसी तरह रिलीज करेंगे,जिस तरह सीबीएफसी ने इसे सील कर दिया है.याचिकाकर्ता ने 29 अगस्त को जिस ईमेल का हवाला दिया था, उसमें मणिकर्णिका प्रोडक्शन हाउस को सूचित किया गया था कि वह सिस्टम जनरेटेड ईमेल था.कोर्ट ने CBFC से पूछा आप सिस्टम जनरेटेड ईमेल कैसे भेज सकते हैं, आप इसे रोक क्यों नहीं सकते. मणिकर्णिका फिल्म की मालिक मौजूदा सांसद कंगना रनौत ने कहा कि वह संशोधन के लिए आवेदन करेंगी.
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