CDSCO ने कहा कि उसने 5 सितंबर को नोटिस जारी कर इस मामले पर एंटोड फार्मास्यूटिकल्स से जवाब मांगा था. लेकिन उसने इसका सही जवाब नहीं दिया गया.
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया-DCGI ने ‘प्रेसवू आई ड्रॉप’ की मंजूरी वापस ले ली है. सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने सबसे पहले इस प्रोडक्ट की सिफारिश की थी जिसके बाद एंटोड फार्मास्यूटिकल्स को DCGI से अंतिम मंजूरी मिली थी. लेकिन मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर ने कल कहा कि प्रेस और सोशल मीडिया पर प्रचार ने आई ड्राप के इस्तेमाल और जनता के लिए सुरक्षा संबंधी चिंताओं के बारे में संदेह पैदा किया. आई ड्राप के व्यापक प्रचार से ओवर-द-काउंटर ड्रग की तरह इसके इस्तेमाल का खतरा महसूस किया गया, जबकि इसे केवल प्रिस्क्रिप्शन वाली दवा के रूप में अप्रूव किया गया था.
ड्रग रेगुलेटर CDSCO ने उन खबरों का संज्ञान लिया जिनमें एंटोड फार्मास्यूटिकल्स ने दावा किया था कि वो नजदीक के चश्मे की जरूरत को कम करने के लिए भारत में पहली आई ड्रॉप पेश कर रहा है. रेगुलेटर ने इस दावे पर भी ध्यान दिया कि ये दवा ‘एक एडवांस्ड अल्टरनेटिव देगी जो 15 मिनट के भीतर नजदीकी विजन को बेहतर बनाती है.
रेगुलेटर ने स्पष्ट किया कि आई ड्रॉप्स को ऐसे किसी भी दावे के लिए अप्रूव नहीं किया गया था. CDSCO ने कहा कि उसने 5 सितंबर को नोटिस जारी कर इस मामले पर एंटोड फार्मास्यूटिकल्स से जवाब मांगा था. लेकिन उसने इसका सही जवाब नहीं दिया जिसके बाद ये कार्रवाई की गई. वहीं एंटोड फार्मास्यूटिकल्स के सीईओ निखिल मसूरकर ने कहा है कि वे इस निलंबन को अदालत में चुनौती देंगे.
इस मुद्दे पर एनडीटीवी ने डॉक्टर रोहित सक्सेना से बात की. डॉक्टर सक्सेना ने डीजीसीआई में रिपोर्ट सबमिट किया था. उन्होंने कहा कि ये यूएस में पिछले 3 साल से उपलब्ध है. डीजीसीआई ने इसे मंजूरी दी थी. नजदीक के चीजों को देखने के लिए इस दवा को उपयोगी बताया गया था. इससे 4-6 घंटे तक आपको नजदीक की चीजे साफ दिखेगी. दूर देखने के लिए इससे कोई फायदा नहीं था. दुर्भाग्य से इसका प्रचार इस तरह हुआ कि लोगों को लगा कि यह कोई जादुई ड्रॉप है. जिससे चश्मे की जरूरत खत्म हो जाएगी. यह बात ऐसे फैली की लोगों को लगा कि उनका चश्मा ही हट जाएगा. यह बिल्कुल गलतफहमी थी.यही कारण है कि डीजीसीआई ने इस पर अभी रोक लगा दिया है.
क्या-क्या हैं सेफ्टी कंसर्न?
अन्य दवाओं की तरह ही इसके साथ भी साइड इफेक्ट की आशंका थी. अमेरिका में यह तीन साल से बाजार में है इसके कई साइड इफेक्ट रिपोर्ट हो चुके हैं. लंबे समय तक इस दवा के सेवन से मरीज को सरदर्द, दूर की नजरे कमजोर होना जैसी समस्या हो सकती है. यही कारण है कि यह प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर ही इसका उपयोग हो सकता है. अगर इसका उपयोग करना भी है अगर आने वाले दिनों में इसे मान्यता मिलती है तो आपको आंख के डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही उपयोग करें.
कंपनी का दावा क्लिनिकल ट्रायल पर बेस्ड है दवा
निखिल के मसुरकर ने कहा कि कंपनी को दी गई मंजूरी 234 रोगियों पर किए गए वैलिडेटेड कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल पर बेस्ड थी, जो प्रेसबायोपिया के रोगियों में आई ड्रॉप की प्रभावकारिता और सुरक्षा को दिखाने में सफल रही, जिन्होंने इन ड्रॉप का उपयोग बिना चश्मे के किया और वे स्नेलन के चार्ट को आसानी से पढ़ सकते थे.
आपको बता दें, पिछले हफ्ते एन्टोड ने पिलोकार्पाइन से बना अपना प्रेसवू आई ड्रॉप लॉन्च किया, जो एक एल्कलॉइड है जिसका इस्तेमाल प्रेसबायोपिया सहित कई नेत्र संबंधी स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है. प्रेसबायोपिया एक एज रिलेटेड आई कंडिशन है जो चीजों को करीब से देखने में मुश्किल पैदा करती है.
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