November 24, 2024
कब रखा जाएगा अनंत चतुर्दशी का व्रत, जानिए इस व्रत से जुड़ी कथा और अनंत सूत्र बांधने का महत्व

कब रखा जाएगा अनंत चतुर्दशी का व्रत, जानिए इस व्रत से जुड़ी कथा और अनंत सूत्र बांधने का महत्व​

Katha of Anant Chaturdashi : मान्यता है अनंत चतुर्दशी का व्रत रखकर विधि विधान से भगवान श्रीहरि की पूजा करने से 14 वर्षों तक अनंत फल की प्राप्ति होती है.

Katha of Anant Chaturdashi : मान्यता है अनंत चतुर्दशी का व्रत रखकर विधि विधान से भगवान श्रीहरि की पूजा करने से 14 वर्षों तक अनंत फल की प्राप्ति होती है.

Anant Chaturdashi 2024:अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi ) का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है. मान्यता है अनंत चतुर्दशी का व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान श्रीहरि (Lord Vishnu) की पूजा करने से 14 वर्षों तक अनंत फल की प्राप्ति होती है. गणेश चतुर्थी के दसवें दिन यानि अनंत चतुर्दशी को गणपति विसर्जन भी होता है. महाभारत काल में पांडव भाइयों ने अनंत चतुर्दशी के व्रत के प्रताप से अपना खोया हुआ राजपाठ प्राप्त किया था. आइए जानते हैं इस वर्ष कब रखा जाएगा अनंत चतुर्दशी (Date of Anant Chaturdashi) का व्रत और इस व्रत से जुड़ी कथा.

बच्चा दिनभर देखता है टीवी, नहीं करता पढ़ाई और होमवर्क, तो इन ट्रिक्स से सुधारें उसकी आदतें

अनंत चतुर्दशी की तिथि | Date of Anant Chaturdashi

इस वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 10 मिनट पर शुरू होकर 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट समाप्त होगी. इस वर्ष अनंत चतुर्दशी का व्रत 17 सितंबर मंगलवार को रखा जाएगा और इसी दिन बप्पा की विदाई होगी.

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा | Katha of Anant Chaturdashi

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार प्राचीन काल में सुमंत नाम का एक ब्राह्मण अपनी बेटियों दीक्षा और सुशीला के साथ रहता था. सुशीला के विवाह योग्य होने पर उसकी मां का निधन हो गया. ब्राह्मण सुमंत ने अपनी पुत्री सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि से कर दिया. कौंडिन्य ऋषि सुशीला को लेकर अपने आश्रम जा रहे थे, लेकिन रास्ते में रात हो गई और वे दोनों एक जगह पर रुक गए. उस जगह कुछ महिलाएं अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा कर रही थीं. सुशीला ने व्रत की महिमा का ज्ञान प्राप्त किया और 14 गांठों वाला अनंत धागा धारण कर लिया. ऋषि कौंडिन्य को यह अच्छा नहीं लगा और उन्होंने धागे को तोड़कर आग में डाल दिया. अनंत सूत्र के इस अपमान के कारण कौंडिन्य ऋषि की सारी संपत्ति नष्ट हो गई और वे दुखी रहने लगे. उन्हें लगा कि ऐसा अनंत सूत्र के अपमान के कारण ही हुआ है और वे उस अनंत सूत्र के लिए वन में भटकने लगे. एक दिन वे भूख-प्यास से जमीन पर गिर पड़े, तब भगवान अनंत प्रकट हुए. प्रभु ने कहा, कौंडिन्य तुमने अपनी भूल का पश्चाताप कर लिया है. अब घर जाकर अनंत चतुर्दशी का व्रत करो और 14 साल तक इस व्रत को करना. कौंडिन्य ऋषि ने वैसा ही किया. व्रत के प्रभाव से कौंडिन्य ऋषि का जीवन सुखमय हो गया और उनकी संपत्ति भी वापस आ गई.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

NDTV India – Latest

Copyright © asianownews.com | Newsever by AF themes.