Kolkata rape-murder case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष ने अस्पताल परिसर में 31 साल की डॉक्टर का शव मिलने के कुछ घंटों बाद ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल से बात की थी. यह बात सीबीआई ने आज कोलकाता की एक अदालत से कही. सीबीआई ने कहा कि इसमें कोई सांठगांठ हो सकती है और इसे उजागर करने की जरूरत है.
Kolkata rape-murder case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष ने अस्पताल परिसर में 31 साल की डॉक्टर का शव मिलने के कुछ घंटों बाद ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल से बात की थी. यह बात सीबीआई ने आज कोलकाता की एक अदालत से कही. सीबीआई ने कहा कि इसमें कोई सांठगांठ हो सकती है और इसे उजागर करने की जरूरत है.
सीबीआई ने कल रात में अभिजीत मंडल को रेप और हत्या के मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. वित्तीय अनियमितताओं के मामले में पहले गिरफ्तार किए गए डॉ घोष पर अब सबूतों से छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया गया है. अस्पताल में महिला रेजीडेंट डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की घटना ने देश को हिलाकर रख दिया है.
घोष और मंडल को आज अदालत में पेश किया गया और उन्हें दो दिनों के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया गया. मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी.
संदीप घोष और अभिजीत मंडल की हुई थी बातचीत
सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया, “एफआईआर रात में दर्ज की गई थी. हमारे पास कॉल रिकॉर्ड हैं जो ओसी और संदीप घोष के बीच बातचीत का सबूत हैं. हो सकता है कि कोई सांठगांठ हो. हमें यह मामला उजागर करने की जरूरत है. हम उन दोनों का आमना-सामना कराना चाहते हैं.”
वकील ने कहा कि, “सीबीआई और पुलिस के बीच कोई टकराव नहीं है. हम सच्चाई तक पहुंचना चाहते हैं. हमारे लिए वह पुलिस अधिकारी नहीं है, वह एक संदिग्ध है.”
कलकत्ता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट, दोनों ने एफआईआर दर्ज करने में देरी पर सवाल उठाए हैं. एफआईआर डॉक्टर का शव मिलने के 14 घंटे बाद दर्ज की गई थी. अदालतों ने पूछा है कि डॉ घोष के नेतृत्व में अस्पताल प्रशासन ने पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई, जिससे एफआईआर दर्ज होना सुनिश्चित हो जाता.
मामले को कमतर आंकने की कोशिश की
सीबीआई ने आज अदालत को बताया, “एफआईआर दर्ज करना उनका दायित्व था. उन्होंने इसे आत्महत्या के रूप में कमतर आंकने की कोशिश की. उनकी ओर से चूक हुई. यह यौन उत्पीड़न का मामला था और उन्हें इसे सावधानी से संभालना चाहिए था. वह अन्य लोगों के साथ साजिश में शामिल थे.”
अभिजीत मंडल के वकील ने जवाब दिया, “उनका आरोप है कि देरी हुई. वे यह नहीं कहते कि मैं आरोपी हूं या गवाह. यहां गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं है. यह सबसे अच्छा मामला कथित रूप से कर्तव्यहीनता का है. इसके लिए विभागीय जांच की जा सकती थी.”
सीबीआई ने अदालत को बताया कि मंडल बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपी नहीं हैं, लेकिन उनकी कथित कवर-अप की एक बड़ी साजिश में भूमिका हो सकती है.
सीबीआई ने एक महीने की जांच के बाद की गिरफ्तारियां
बलात्कार और हत्या के इस मामले में सीबीआई की एक महीने की जांच के बाद यह पहली दो गिरफ्तारियां हैं. इससे पहले, कोलकाता पुलिस ने मामले में सिविक वालेंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया था. हाईकोर्ट द्वारा जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपे जाने के बाद सीबीआई ने रॉय को हिरासत में लिया.
रेप-मर्डर की घटना को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही तृणमूल कांग्रेस इस बात पर सवाल उठा रही है कि सीबीआई के जांच का जिम्मा संभालने के बाद से क्या प्रगति हुई है?
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