January 19, 2025

ANN Desk

तीरथ सिंह रावत सांसद थे। बीजेपी ने उनको मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उनको छह महीने में विधायक होना है। 10 सितंबर को यह समयावधि खत्म हो जाएगी।

डायरेक्टर विनोद तिवारी ने करीब दो साल पहले ही ‘जिला गोरखपुर’ फ़िल्म का ऐलान किया था। मॉब लिंचिंग पर आधारित इस फिल्म के पोस्टर में ही इतना विवाद खड़ा कर दिया कि फिल्म निर्माण बन्द करना पड़ा था।

BHU मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ गिरिजा शंकर महोबिया ने बताया कि ’निकल’ तत्व के सामान्य दुष्प्रभाव थकान, सूजन एवं त्वचा एलर्जी है। कुछ परिस्थितियों में फेफड़े, दिल और किडनी सेे जुड़ी बीमारी होने का भी खतरा पैदा हो सकता है। शरीर के अंदर धातु में जंग लगने से विभिन्न तत्व के साथ ’निकल’ भी बाहर निकलने लगता है।

Supreme Court ने कहा कि जब नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो तो कोर्ट मूक दर्शक नहीं बना रह सकता है। हमारा संविधान यह नहीं कहता है कि जब नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो तो आप मूकदर्शक बने रहें। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर 35 हजार करोड़ रुपये कैसे खर्च हो गए, उनका इस्तेमाल 18-44 साल के उम्र वर्ग वालों के लिए कैसे खर्च हो रहा है।

ओसाका के महामारी के साथ संघर्ष का प्रत्यक्ष अनुभव रखने वाले चिकित्सा पेशेवर 23 जुलाई से 8 अगस्त तक चलने वाले टोक्यो खेलों (Olympic 2021) के आयोजन के खिलाफ हैं।

ईडब्लूएस (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी) कैटेगरी में डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी की नियुक्ति हुई है। डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी, उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई हैं।

पिछले साल डीएपी की वास्तविक कीमत 1,700 रुपये प्रति बोरी थी। केंद्र सरकार 500 रुपये प्रति बैग की सब्सिडी दे रही थी। इसलिए कंपनियां किसानों को 1200 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से खाद बेच रही थीं।

Nitin Gadkari का सुझाव आते ही विपक्ष को हथियार मिल गया। विपक्ष ने इस बयान को आधार बनाकर केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया। कांग्रेस ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अपनी सरकार को अगर यह सुझाव देते तो देश का भला होता। उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो पहले ही यही सुझाव केंद्र को दे चुके हैं।

कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर आई रिपोर्ट के बाद सरकार ने वैक्सीनेशन को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वैक्सीन से नुकसान बेहद कम या नही के बराबर है लेकिन फायदा बहुत है। भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार वैक्सीनेशन की माॅनिटरिंग कर रही है और किसी प्रकार के खतरों को लेकर सतर्क भी है।

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