कंपनी ने कहा है कि नौका आधिकारिक तौर पर 239 यात्रियों और 51 चालक दल के साथ-साथ 153 ट्रक और ट्रेलरों और 32 यात्री वाहनों को ले जा रही थी।
बल्गेरियाई विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसके 127 नागरिक यात्री सूची में थे, जिनमें 37 ट्रक चालक शामिल थे। इसके अलावा अन्य 24 तुर्की से थे जबकि 21 यूनानी सवार थे।
दुनिया जहान
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने दावा किया है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 1945 के बाद यूरोप के सबसे बड़े जंग की योजना बना रहे हैं। रूस यूक्रेन की राजधानी कीव को चारों तरफ से घेरने की योजना पर काम कर रहा है। रूस डोंबास की सीमा और बेलारूस दोनों ओर से हमला करेगा। बेलारूस की तरफ से कीव की दूरी कम है।
2018 में, विदेश मामलों की समिति द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट, जिसमें उस समय प्रीति पटेल को एक सदस्य के रूप में शामिल किया गया था, ने मंत्रियों पर लंदन शहर के माध्यम से बहने वाले रूसी धन के लिए आंखें मूंदकर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाया।
रूस के सहयोगी देश बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको ने अमेरिका को धमकी दी है। लुकाशेंको ने अमेरिका और नाटो का नाम लिए बगैर कहा- अगर हमारे देश पर खतरा मंडराया तो हमें एटमी हथियार इस्तेमाल करने में भी संकोच नहीं होगा।
शोध पत्र लिखने वाली डॉ रिया कुंडू ने कहा कि हमने पाया कि सामान्य सर्दी जैसे अन्य मानव कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर शरीर द्वारा बनाई गई पहले से मौजूद टी कोशिकाओं का उच्च स्तर COVID-19 संक्रमण से रक्षा कर सकता है।
मुर्री पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के उत्तर में एक पहाड़ी रिसॉर्ट शहर है। यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। इस क्षेत्र में टूरिज्म उद्योग काफी बड़ा है।
लंबे समय से मध्य एशिया के पूर्व सोवियत गणराज्यों (Ex Soviet republics of Central Asia) में सबसे स्थिर के रूप में देखा जाने वाला, ऊर्जा-समृद्ध (Energy rich) कजाकिस्तान दशकों में अपने सबसे बड़े संकट का सामना कर रहा है।
सेंट्रल वेदर ब्यूरो के सीस्मोलॉजिकल सेंटर के प्रमुख चेन कुओ-चांग ने कहा कि ताइवान में सालाना औसतन 2.5 भूकंप आते हैं जिनकी तीव्रता 6.0 या इससे अधिक होती है।
चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने फरवरी 2020 में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि चीनी सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी, जैसा कि भारत द्वारा कहा जाता है।
जनवरी 2022 से इन 80 लाख लोगों को राशन कम मिलेगा या मिलेगा ही नहीं। ऐसे में इनको भूख से परेशान रहना पड़ सकता है। लाखों जिंदगियां भूख से बिलबिलाएंगी क्योंकि यूएन ने मदद को हाथ खड़े कर लिए हैं।