पुलिस अभिरक्षा में अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या: गूंज काफी अरसे बाद तक सुनी जाएगी

दुर्गाशंकर मिश्र
पुलिस अभिरक्षा में अतीक अहमद (Ateek Ahmed) और उसके भाई की हत्या कानून व्यवस्था के मुंह पर ऐसा झापड़ है जिसकी गूंज काफी अरसे बाद तक सुनी जाएगी। मामले की गंभीरता इसलिए और बढ़ जाती है क्योंकि न्यायालय के आदेश पर ही दोनों भाइयों को पुलिस के हवाले किया गया था।

योगी आदित्यनाथ की नीयत और ईमान पर कोई संदेह नहीं

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीयत और ईमान पर कोई संदेह नहीं, लेकिन किसी अपराधी को सजा देने की जिम्मेदारी कानून के रखवालों की है न कि किसी दूसरे अपराधी की। कानून तो मौत की सजा पाने वाले को भी तय समय से पहले मरने की कतई इजाजत नहीं देता, मरने भरसक नहीं देता।

किसी अपराधी से सभ्य समाज का कोई व्यक्ति सहानुभूति नहीं रखता, लेकिन इससे किसी अपराधी के जीवन का अधिकार खत्म नहीं होता। अपराध के मुताबिक कानून में दण्ड का प्रावधान है। यद्यपि कि माफिया डॉन ने जेल से निकालने के दौरान ही अपनी जान जाने की आशंका जताई थी,किंतु उसके भी मन में कहीं न कहीं कानून के नुमाइंदों की उपस्थिति में अपनी हिफाजत का भरोसा रहा हो सकता था।

साफसुथरी सरकार के मुखिया के लिए बहुत अच्छी और निहायत जरूरी बात

अपराधियों के सफाये की सोच एक साफसुथरी सरकार के मुखिया के लिए बहुत अच्छी और निहायत जरूरी बात है। समाज में अपराधियों की प्रभावी मौजूदगी आमजन के लिए बड़ा दुर्भाग्य होती है, लेकिन किसी भी स्वस्थ और स्वच्छ सरकार के लिए कानून की हिफाजत में सांस लेने वाले हर व्यक्ति,यहां तक कि दुर्दांत अपराधी की सुरक्षा भी है, चाहे भले उसे बाद में मृत्युदंड ही क्यों न मिलने वाला हो।

(लेखक कई पत्र-पत्रिकाओं में लिखते रहते हैं।)