NEP 2020: यह कैसी वर्षगांठ?

अशोक कुमार
बात 29 जुलाई 2023 की है मेरे पड़ोस में सुबह से ही हलचल मची हुई थी और धीरे धीरे जैसे-जैसे शाम आती गई हलचल बढ़ती गई। म्यूजिक की आवाज पूरे कॉलोनी में गूंजने लगी धीरे-धीरे मेहमानों की भीड़ भी बढ़ गई। यह सब देख कर मुझे यह लगा कि पड़ोस में कोई आज बहुत ही विशाल आयोजन है मेरी जिज्ञासा बढ़ी और मैं इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए अपने पड़ोसी मित्र के पास पहुंचा।

देखा एक शानदार पार्टी का आयोजन चल रहा

मैंने वहां देखा एक शानदार पार्टी का आयोजन चल रहा है। गाने हो रहे हैं नाच हो रहा है और लोग खुशी मना रहे हैं। मैंने अपने मित्र से पूछा आज क्या खास बात है। तब उन्होंने मुझसे कहा कुमार साहब मेरी बेटी की शादी आज से 3 साल पहले तय हो गई थी इसीलिए इस शादी की तिथि तय होने की 3 वर्ष की वर्षगांठ हम सब लोग मना रहे हैं। मैंने कहा की शादी तय होने की वर्षगांठ भी होती है ? मैं तो समझता था आज आपकी लड़की की शादी होने वाली होगी वह एक बार फिर मुस्कुराए शादी तो अभी नहीं हुई है।

इसी तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की वर्षगांठ भी मनी

क्योंकि शादी तय हुए 3 वर्ष हो गया इसलिए हम उसका जश्न मना रहे हैं यही बात यदि हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की बात करें तब 29 जुलाई 2023 को पूरे राष्ट्र ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के 3 वर्ष के बाद भी शिक्षा नीति की घोषणा की वर्षगांठ मनाई। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की वर्षगांठ मना रहे हैं।

यह तो बताया जाना चाहिए…

कम से कम राष्ट्र को यह तो बताया जाए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यरत्त होने की 3 वर्ष क्या प्रगति हुई है। किन किन राज्यों में यह शिक्षा नीति के बारे में विचार विमर्श हुआ है और इस नीति के द्वारा छात्रों को क्या लाभ होगा। उसके बारे में छात्रों को कितना ज्ञान दिया गया है यदि यह बताया जाता तब भी मैं इस बात से संतोष प्राप्त करता की 29 जुलाई 2023 को जो वर्षगांठ बनाई गई है वह प्रासंगिक है!

मेरी सूचना के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अभी पूर्ण रुप से या आंशिक रूप केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को छोड़कर कई राज्य में पूर्ण रूप से लागू नहीं हुई है , कुछ राज्यों में काफी प्रगति इस विषय पर हो चुकी है , लेकिन कुछ ऐसे राज्य भी हैं जिसमें आज भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में कोई विस्तृत चर्चा नहीं है। मुझे आशा और विश्वास है कि आने वाले समय में इस शिक्षा नीति पर गंभीरता से विचार होगा और उसके क्रियान्वयन के लिए सभी छात्र गण शिक्षक गण महाविद्यालय विश्वविद्यालय और राज्य सरकार केंद्र सरकार विचार करेगी।

(प्रो.अशोक कुमार, गोरखपुर विश्वविद्यालय और कानपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हैं। उच्च शिक्षा के मसलों पर लगातार बेबाकी से अपनी बात रखते रहते हैं।)