अशोक कुमार
बात गोरखपुर की है ! मैं एक बार एक सांस्कृतिक संध्या में गया हुआ था। सांस्कृतिक संध्या में मेरे साथ में एक माननीय सांसद जी बैठे हुए थे। हम सभी लोग मुख्य अतिथि का इंतजार कर रहे थे, उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। लेकिन इसी बीच वर्षा आ गई , पानी बरसने लगा और मुख्य अतिथि की यात्रा में देर से आने की सूचना मिली। तभी मेरे मन में ख्याल आया , मैंने साथ में बैठे माननीय सांसद जी से एक प्रश्न किया कि आपको भविष्य में या देश को भविष्य में डिग्री धारक युवक चाहिए या राष्ट्रभक्त युवा चाहिए। माननीय सांसद जी ख़ामोश थे। मैंने उनसे फिर वही प्रश्न किया। कुछ देर के लिए खामोशी छायी रही।
तब मैंने उनको कहा कि मैं गोरखपुर विश्वविद्यालय में 24 घंटे में यह बता सकता हूँ की अमुक विद्यार्थी डिग्री धारक युवा है या यह विद्यार्थी राष्ट्रभक्त युवा है।
सांसद जी पूछ बैठे…
इस बात पर माननीय सांसद जी ने कहा की यह कैसे संभव हो सकता है। मैंने उनको कहा की गोरखपुर विश्वविद्यालय में एक प्रश्न पत्र है, एक विषय है जिसका नाम है राष्ट्रीय गौरव। विद्यार्थी को स्नातक की डिग्री तब ही मिलती है जब वह राष्ट्रीय गौरव के विषय मे पास हो जाता है अन्यथा नहीं। इस राष्ट्रीय गौरव में विद्यार्थियों को पास होने के लिए तीन अवसर मिलते हैं। पास होने के लिए केवल न्यूनतम 36% ही चाहिए।
सबसे मुख्य बात यह है की क्या युवा मे राष्ट्रीय गौरव न्यूनतम 36% ही होना चाहिए। मै तो चाहता हूँ की सभी युवा वर्ग मे राष्ट्रीय गौरव 100% हो।
और जब पूछा आपका आशीर्वाद मिल जाए…
शांत शांत वातावरण। मैंने अपनी बात को फिर आगे कहा कि यह अंक जो भी उसको प्राप्त होते हैं वह उस विद्यार्थी के पूर्ण प्राप्तांक में नहीं जुड़ते। इसलिए कोई भी विद्यार्थी इसको बहुत प्रमुखता नहीं देता है। दुर्भाग्य से अध्यापकों की कमी होने के कारण इस विषय की कक्षा भी नहीं होती। कोई निश्चित पाठ्यक्रम भी नहीं है।
यदि आपका आदेश मिल जाए तो कल को मै एक आदेश निकाल दूँ कि राष्ट्रीय गौरव विषय के लिए एक ही अवसर दिया जाएगा और राष्ट्रीय गौरव पर जो उत्तीर्ण के अंक होंगे वह 75% होंगे। राष्ट्रीय गौरव में जो 75% अंक नहीं लाएगा वह मुख्य परीक्षा में नहीं बैठ सकता है। इस आदेश के निकलते ही जो राष्ट्र भक्त युवा होंगे वह शांत रहेगें और शांति बनाए रखेंगें और राष्ट्र गौरव के प्रश्न पत्र पर गंभीरता से ध्यान देंगे।
जो डिग्री धारक होंगे वह कल 24 घंटे के अंदर भूख हड़ताल, धरना प्रदर्शन आदि करने लगेंगे और हो सकता है कि कुछ आगजनी हो, कुलपति के पुतले भी जलाए जाएं। इस प्रयोग से मालूम हो सकता है कि विद्यार्थी राष्ट्रभक्त युवा हैं या डिग्री धारक युवा है।
आपका क्या ख्याल है ? क्या आप मेरी बात से सहमत हैं ? फेसबुक या whattsup ग्रुप में comments के आधार पर भी आप सुनिश्चित करने का प्रयास कीजिएगा। धन्यवाद !
Note: यह संस्मरण पूर्व कुलपति प्रो अशोक कुमार के हैं। वह कानपुर विश्वविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर , गोरखपुर विश्वविद्याल2य (उतरप्रदेश), के अलावा निर्वाण विश्वविद्यालय जयपुर और श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय, निम्बाहेड़ा (राजस्थान) के कुलपति रह चुके हैं।
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