सुनील गावस्कर: क्रिकेट का महान ‘लिटिल मास्टर’

सुनील मनोहर गावस्कर के लिए आज का दिन यानी 6 मार्च का दिन बहुत बड़ा दिन है। आज ही के दिन उन्हें 1971 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना टेस्ट क्रिकेट कैरियर शुरू करने का मौका मिला था। देखते ही देखते 50 साल बीत गए। इस दौरान क्रिकेट काफी कुछ बदल गया। गावस्कर ने भी अपने कैरियर में खुद को बहुत कुछ बदला। एक सफल टेस्ट क्रिकेटर के साथ उन्होंने एक दिवसीय सीमित ओवर में भी महारत हासिल की। क्रिकेट को अलविदा कहने या यूं कहें कि बल्ले को खूंटी पर टांगने से पहले उन्होंने न्यूजीलैंड के विरुद्ध वन डे का शतक भी लगाया। इस स्वर्णिम सफर को सलाम।
ये तो मुझे नहीं याद रहा कि वो दिन आज ही का था, लेकिन मेरे लिए क्रिकेट की दीवानगी के भी 50 साल पूरे हो गए। भारत के उस वेस्टइंडीज दौरे से ही मैने भी क्रिकेट को जाना। उन दिनों टीवी नहीं था मगर मैने रेडियो पर नॉब घुमाते-घुमाते एक कमेंट्री सुननी शुरू की और मजा आने लगा। ये वही दौरा था जिसमें गावस्कर ने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था। मुझे आज भी अच्छी तरह से याद है कि किस तरह से वेस्टइंडियन तेज गेंदबाजों का सामना गावस्कर ने बखूबी किया। वो भी सलामी बल्लेबाज के रूप में। पहली ही टेस्ट शृंखला में उन्होंने जो किया वो रिकार्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है।
गावस्कर की सबसे खास बात कि उन्होंने दुनिया के महानतम तेज गेंदबाजों का सामना किया चाहे वो जेफ थामसन हों या डेनिस लिली, जोएल गार्नर हों या माइकल होल्डिंग या मैलकम मार्शल अथवा बॉब विलिस, इयान बॉथम हर किसी का सामना बहदुरी से नहीं बल्कि क्रिकेट स्किल से किया। वह तेज गेंदबाजों की गेंदों को शरीर से नहीं बल्कि बल्ले से खेलते रहे। हां जरूर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अंतिम दिनों में उन्होंने हेयर गार्ड जरूर पहनना शुरू किया पर हेलमेट कभी नहीं पहना।
मैंने इन 50 सालों में जितनी क्रिकेट देखी है उसमें गावस्कर जैसा क्रिकेटर नहीं देखा। लेकिन उन्हें कभी क्रिकेट का भगवान नहीं कहा गया। उन्हें इसका कभी मलाल भी नहीं रहा। अंतिम दिनों में जिस तरह से उन्होंने मैलकम मार्शल का जवाब दिया वो आज के सलामी बल्लेबाजो के लिए सबक होगा।
ये छोटे कद का महान बल्लेबाज जितनी खूबसूरती से तेज गेंदबाजों का सामना करता था उतनी दक्षता से स्पिनर्स को। चाहे वह डेरिक अंडरवुड रहे हों या बाद के दिनों में शेन वार्न। और तो और वह स्लिप के अच्छे क्षेत्ररक्षक भी रहे। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 100 कैच भी लपके।
वैसे इस महान क्रिकेटर के लिए क्रिकेट की ऐसी कोई विधा नहीं रही जिसमें इन्होंने कीर्तिमान न बनाया हो। ऐसे महान क्रिकेटर युगों में पैदा होते हैं।
ये वही क्रिकेटर हैं जिन्हें सर्वकालिक महान बल्लेबाज की उपाधि से नवाजा जाता है। महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन, सर गैरी सोबर्स जैसे बल्लेबाजों की श्रेणी में एक भारतीय क्रिकेटर का नाम लिया जाता है और वह है सुनील मनोहर गावस्कर। दुनिया के महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन ने टेस्ट क्रिकेट में भले ही रिकार्ड 12 दोहरे शतक लगाए हों लेकिन इस लंबे प्रारूप की चारों पारियों में दोहरे शतक लगाने का कारनामा केवल एक बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने किया है जिनके टेस्ट क्रिकेट की दुनिया में पदार्पण के 50 साल पूरे हो गए। गावस्कर के नाम पर कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। मसलन वह 10,000 टेस्ट रन बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं। अपनी डेब्यू सीरीज में सर्वाधिक रन (774) बनाने का रिकॉर्ड आज भी गावस्कर के नाम पर है। इसी तरह से सभी चार पारियों में दोहरा शतक जड़ने का रिकॉर्ड केवल गावस्कर ने बनाया है।
गावस्कर ने अपने करियर में चार दोहरे शतक लगाए लेकिन इनकी विशेषता यह है कि ये सभी शतक उन्होंने अलग अलग पारियों में लगाए। उन्होंने अपना पहला दोहरा शतक (220 रन) अपनी डेब्यू सीरीज में ही 1971 में वेस्टइंडीज के खिलाफ पोर्ट ऑफ स्पेन में मैच की तीसरी पारी में बनाया था। इसके बाद इस दिग्गज सलामी बल्लेबाज ने 1978 में वेस्टइंडीज के खिलाफ ही मुंबई में मैच की पहली पारी में 205 रन बनाए और इसके एक साल बाद इंग्लैंड के खिलाफ ओवल में मैच की चौथी पारी में 221 रन की मैराथन पारी खेली थी। उन्होंने अपना आखिरी दोहरा शतक (नाबाद 236) 1985 में चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच की दूसरी पारी में बनाया था।

गावस्कर के रिकार्ड


1-सुनील गावस्कर ने 1971 में वेस्टइंडीज के खिलाफ उसकी सरजमीं पर टेस्ट पदार्पण किया और अपनी पहली ही सीरीज में 774 रन बनाए। यह पदार्पण टेस्ट सीरीज में आज भी सर्वाधिक रन का विश्व रिकॉर्ड है। 774 रन के साथ गावस्कर वेस्टइंडीज के खिलाफ एक सीरीज में सर्वाधिक टेस्ट रन बनाने वाले बल्लेबाज भी हैं।
2- टेस्ट क्रिकेट में 9000 और 10000 रन पूरे करने वाले दुनिया के पहले क्रिकेटर सुनील गावस्कर थे। गावस्कर जब रिटायर हुए तो उनके नाम 10122 रन थे जो तब सर्वाधिक टेस्ट रन का विश्व रिकॉर्ड था। इसे बाद में ऑस्ट्रेलिया के एलन बॉर्डर (11174) ने तोड़ा। बॉर्डर को मिलाकर कुल 11 बल्लेबाज अब टेस्ट क्रिकेट में गावस्कर से ज्यादा रन बना चुके हैं, जिसमें विश्व रिकॉर्ड भारत के ही सचिन तेंदुलकर (15921) के नाम है।
3-ऑस्ट्रेलिया के डॉन ब्रैडमैन का 29 टेस्ट शतक का विश्व रिकॉर्ड सुनील गावस्कर ने तोड़ा था। गावस्कर 34 शतक का विश्व रिकॉर्ड बनाकर 1987 में रिटायर हुए थे। बाद में 2005 में उनका यह रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर (51) ने तोड़ा, जिनके नाम अब भी सर्वाधिक टेस्ट शतक का विश्व रिकॉर्ड है। वैसे अब कुल पांच बल्लेबाज गावस्कर से ज्यादा टेस्ट शतक बना चुके हैं।
4- वेस्टइंडीज के खिलाफ सर्वाधिक रन और शतक का टेस्ट रिकॉर्ड भी गावस्कर के नाम है। गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 2749 रन बनाए हैं और 13 शतक जड़े हैं।
5- टेस्ट क्रिकेट में तीन बार दोनों पारियों में शतक जड़ने की उपलब्धि हासिल करने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज गावस्कर थे। उनके इस विश्व रिकॉर्ड को बाद में ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग और डेविड वार्नर ने बराबर किया।
6- गावस्कर टेस्ट क्रिकेट में 100 कैच लपकने वाले भारत के पहले क्षेत्ररक्षक थे।
7- गावस्कर टेस्ट क्रिकेट में पारी खत्म होने के बाद अंत तक नाबाद रहने वाले भारत के पहले ओपनर थे। उन्होंने यह उपलब्धि पाकिस्तान के खिलाफ 1983 में फैसलाबाद टेस्ट में नाबाद 127 रन बनाकर हासिल की थी।
8-1980 में विजडन ने गावस्कर को साल के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में शामिल किया था। इसी साल उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
9-गावस्कर लगातार 100 टेस्ट मैच खेलने वाले दुनिया के पहले क्रिकेटर थे।
10- गावस्कर के नाम प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सर्वाधिक शतक का सचिन तेंदुलकर के साथ संयुक्त रूप से भारतीय रिकॉर्ड है। दोनों ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 81 शतक लगाए हैं।
11- गावस्कर के मामा माधव मंत्री (चार टेस्ट), बहनोई गुंडप्पा विश्वनाथ (91 टेस्ट व 25 वनडे) और बेटा रोहन गावस्कर (11 वनडे) भी भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल चुके हैं।
12- सुनील गावस्कर और एलन बॉर्डर के सम्मान में 1996 से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का नाम दिया गया।
13- एमसीसी स्पि्रट ऑफ क्रिकेट काउड्रे लेक्चर देने वाले एकमात्र भारतीय सुनील गावस्कर हैं। उन्होंने यह उपलब्धि 2003 में हासिल की थी।
14- अमेरिका के केंटुकी प्रांत के लुइर्विले में अक्टूबर 2017 में एक क्रिकेट मैदान का उद्घाटन किया, जिसे सुनील एम गावस्कर क्रिकेट फील्ड नाम दिया गया। यह किसी भारतीय क्रिकेटर के नाम पर बना पहला अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान है।

साभार: यह लेख ‘Sachhi bate’ ब्लॉग से लिया गया है। लेखक खेलप्रेमी व वरिष्ठ पत्रकार हैं।