अक्षय कुमार की फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ जलियांवाला बाग’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। करण सिंह त्यागी के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में अक्षय कुमार के अलावा आर माधवन, अनन्या पांडे, रेजिना कैसंड्रा, अमित सियाल की अहम भूमिका है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 15 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार की रेटिंग दी है। फिल्म की स्टोरी क्या है? ‘केसरी चैप्टर 2′ की कहानी ‘द केस दैट शुक द एम्पायर’ किताब पर आधारित है। जिसे शंकरन नायर के बेटे रघु पलात और बहू पुष्पा पलात ने लिखी है। वकील सी शंकरन नायर ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आजादी से पहले कोर्ट में जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार का केस लड़ा था। इस फिल्म में यही दिखाया गया है कि बैशाखी के दिन किस तरह जनरल डायर ने जलियांवाला बाग में नर संहार की साजिश रही और कोर्ट में कैसे वकील सी शंकरन नायर ने जनरल डायर को दोषी साबित किया था। इसी के इर्द-गिर्द पूरी फिल्म की कहानी घूमती है। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? इस फिल्म में अक्षय कुमार ने वकील सी शंकरन नायर का किरदार निभाया है। कोर्टरूम सीन में कहीं-कहीं उनकी परफॉर्मेंस कमजोर नजर आती हैं, लेकिन फिल्म के क्लाइमेक्स में अपनी जबरदस्त परफॉर्मेंस से दर्शकों का दिल जीत लेते हैं। आर माधवन ने ब्रिटिश पक्ष का बचाव करने वाले वकील नेविल मैककिनले की भूमिका निभाई है। कोर्ट सीन में उनके और अक्षय कुमार के बीच अच्छी टक्कर देखने को मिली है। ऐसे कई सीन है जहां पर आर माधवन, अक्षय कुमार पर भारी पड़े हैं। अनन्या पांडे ने सी. शंकरन नायर की सहयोगी वकील दिलरीत गिल की भूमिका निभाई है। अपने किरदार के साथ अनन्या ने पूरी मेहनत की है, लेकिन परफॉर्मेंस कुछ खास नहीं लगा। रेजिना कैसंड्रा, अमित सियाल जैसे कलाकारों की कोशिश अच्छी है। फिल्म का डायरेक्शन कैसा है? इस फिल्म को अक्षय कुमार की ‘केसरी’ के सीक्वल के रूप में देखा जा रहा है। जबकि इसके पहले पार्ट की कहानी ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिक हवलदार ईशर सिंह की थी। इसमें दिखाया गया था कि कैसे सारागढ़ी में 21 बहादुर सिखों ने युद्ध लड़ा था। उस फिल्म निर्देशन अनुराग सिंह ने किया था। ‘केसरी चैप्टर 2′ का केसरी से कुछ भी लेना देना नहीं है। ‘केसरी चैप्टर 2′ की कहानी ‘द केस दैट शुक द एम्पायर’ किताब पर आधारित है। फिल्म के डायरेक्टर करण सिंह त्यागी ने अमृतपाल सिंह के साथ मिलकर इस किताब का फिल्मीकरण किया है, लेकिन कोर्ट सीन कई जगह बहुत ही कमजोर हैं। उसे और बेहतर तरीके से पेश किया जाना चाहिए था। क्योंकि 80 फीसदी फिल्म कोर्ट में बेस्ड है। फिल्म की कहानी बीच- बीच में अपना असर खोती रहती है। फिल्म का म्यूजिक कैसा है? फिल्म का ऐसा कोई गीत नहीं, जो यादगार रहे। सिवाय ‘तेरी मिट्टी में’ के अलावा। यह गीत बैकग्राउंड में चलता रहता है। वैसे भी बता दें कि यह गीत फिल्म केसरी का है। बैकग्राउंड स्कोर जरूर रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं। फाइनल वर्डिक्ट, देखे या नहीं? फिल्म में ऐसी कोई नहीं बात नहीं जिसे दर्शक ना जानते हैं। फिर अगर आप यह जानना चाहते हैं कि सी शंकरन नायर ने किस तरह से ब्रिटिश हुकूमत और जनरल डायर से लड़े। उनके जीवन में क्या-क्या मुसीबतें आईं। यह बात कहीं-कहीं हर भारतीय को प्रेरित करती है।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर
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