फिल्म में सिक्स पैक एब्स दिखाने के लिए एक्टर्स कई बार बॉडी सूट का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि ये बात बिल्कुल सीक्रेट रखी जाती है। बॉडी सूट बनाने वालों को भी साफ हिदायत दी जाती है कि वे इस जानकारी को लीक न करें। दरअसल, एक्टर्स नहीं चाहते कि उनकी बॉडी को फेक या आर्टिफिशियल बोला जाए। इससे फैंस के बीच उनकी इमेज पर असर पड़ता है। रील टु रियल के नए एपिसोड में हम इन्हीं पॉइंट पर बात करेंगे। इसके लिए हमने तीन प्रोस्थेटिक आर्टिस्ट अमोद दोशी, राहुल राजपक्षे और जूबी जोहल से चर्चा की। बॉडी सूट कैसे बनाए जाते हैं?
पहले आर्टिस्ट का 360 डिग्री पर मोल्ड (ढांचा) बनाया जाता है। फिर मोल्ड बनाने के बाद उस पर सिलिकॉन डाला जाता है। सिलिकॉन डालने के बाद उसे सुखाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में 15 से 20 दिन लगते हैं। सूखने के बाद इसे एक्टर को पहनाया जाता है। इसका ट्रायल और लुक टेस्ट सिर्फ एक बार ही होता है। कुछ भी कमी रही तो दोबारा सारे काम करने पड़ते हैं। बॉडी सूट बनाने की जरूरत क्यों?
वैसे तो आज की जेनरेशन के एक्टर्स नेचुरली सिक्स पैक एब्स बनाना पसंद करते हैं। इसके लिए वे एकाध साल अपनी बॉडी को समय भी देते हैं। हालांकि यह तब संभव होता है, जब एक्टर सिर्फ एक ही प्रोजेक्ट के साथ जुड़ें हों। कई बार एक्टर एक समय पर कई प्रोजेक्ट्स के साथ जुड़ें होते हैं। उन्हें हर फिल्म के लिए अलग बॉडी शेप चाहिए होती है। ऐसे में बॉडी सूट का इस्तेमाल करना उनकी मजबूरी बन जाती है। बॉडी सूट पहनने में क्या चुनौतियां आती हैं? कई एक्टर्स के लिए सिक्स पैक एब्स वाले सूट बनाए, लेकिन नाम नहीं बता सकता- अमोद दोशी
अमोद दोशी के मुताबिक, एक्टर्स को बॉडी सूट पहनाते हुए कभी वीडियो शूट नहीं किया जाता। अगर गलती से भी वह विडियो बाहर आ गया तो समस्या खड़ी हो जाती है। एक्टर्स इसके खिलाफ एक्शन ले लेते हैं। यहां तक की आर्टिस्ट एसोसिएशन भी इस मामले में एक्टिव हो जाता है। अमोद ने कहा, ‘मैंने कई एक्टर्स को सिक्स पैक एब्स वाले बॉडी सूट पहनाए हैं। हालांकि मैं उनका नाम नहीं ले सकता। ये हमारे प्रोफेशन के खिलाफ है। अगर हमने गलती से भी नाम रिवील किया तो हमारे खिलाफ केस भी हो सकता है।’ बॉडी सूट्स बनाने के लिए स्किन फ्रेंडली सिलिकॉन का यूज
अर्जुन राजपक्षे ने कहा कि वे बॉडी सूट्स बनाने के लिए स्किन फ्रेंडली सिलिकॉन यूज करते हैं। वे अपने स्टूडियो में अलग-अलग फेक बॉडी पार्ट्स बनाते हैं। चाहे सिक्स पैक्स एब्स हों, नकली ब्रेस्ट और हिप्स हों, हाथ, सिर या पैर हों। ये देखने में बिल्कुल ओरिजिनल लगते हैं। अर्जुन ने कहा, ‘अभी पिछले दिनों अफवाह उड़ी थी कि दीपिका पादुकोण ने फेक बेबी बंप फ्लॉन्ट किया। अब ये बात सही थी कि गलत, मुझे नहीं पता, लेकिन यह मुमकिन तो है। हम फिल्मों में एक्ट्रेसेस के लिए ऐसा बेबी बंप बना देते हैं जो देखने में कहीं से भी नकली नहीं लगते।’ ऋचा चड्ढा का फेक बेबी बंप देख महिला प्रभावित हुई, दे दिया ऑर्डर
जूबी जोहल ने फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के लिए ऋचा चड्ढा का फेक बेबी बंप बनाया था। उन्होंने इसकी फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की, तो उनके पास एक महिला का फोन आ गया। जूबी कहती हैं, ‘महिला ने मुझसे कहा कि वो सरोगेसी करना चाहती है, लेकिन मां-बाप को नहीं बता सकती। उसने मुझसे फेक बेबी बंप बनाने की रिक्वेस्ट की। पहले मुझे यह बात अजीब लगी लेकिन उसने जिद की, तो मैंने फेक बेबी बंप बनाकर भेज दिया। महिला ने उसे पहनकर गोद भराई की रस्म भी कर ली, लेकिन किसी को कुछ पता नहीं चला।’ आयुष्मान खुराना ने बॉडी सूट का इस्तेमाल किया, डर था कि सच्चाई न पता चल जाए
जूबी जोहल ने स्टार्स के कुछ किस्से शेयर करते हुए कहा, ‘फिल्म ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ में आयुष्मान के पैरों को बिल्कुल रेसलर की तरह दिखाना था। इसके लिए प्रोस्थेटिक के जरिए नकली पैर बनाए गए। चूंकि स्क्रिप्ट की डिमांड थी, इसलिए आयुष्मान को ऐसा लुक देना ही था। शुरुआत में आयुष्मान थोड़ा हिचक रहे थे। उन्हें लग रहा था कि ऑडियंस को पता चल जाएगा कि उनके पैर असली नहीं हैं। हालांकि हमने उन्हें कन्विंस किया। हमने उनके पैरों के ऊपर सिलिकॉन का सूट पहनाया। फिल्म देखने के बाद किसी को पता नहीं चला कि वो उनके असली पैर नहीं थे।’ बॉडी पर प्रोस्थेटिक अप्लाई करने से पहले एग्रीमेंट कराया जाता है
बॉडी पर प्रोस्थेटिक अप्लाई करने से पहले सेलिब्रिटीज से एक एग्रीमेंट साइन कराया जाता है। उस एग्रीमेंट में प्रोस्थेटिक से होने वाले साइड इफैक्ट्स मेंशन होते हैं। अगर प्रोस्थेटिक अप्लाई करने के बाद आर्टिस्ट को कोई दिक्कत होती है, तो इसके लिए प्रोस्थेटिक मेकअप करने वाले लोग या कंपनी की कोई जिम्मेदारी नहीं होती। एग्रीमेंट साइन कराने से पीछे की वजहों पर बात करते हुए अमोद कहते हैं, ‘मैंने एक एक्टर को उसकी फिल्म के लिए बॉडी सूट पहनाया। मुझे नहीं पता था कि उन्हें प्रोस्थेटिक से एलर्जी है। उन्होंने 4-5 घंटे तक बॉडी सूट पहना। इससे उन्हें एलर्जी हो गई। अगले एक महीने तक ये एलर्जी बनी रही। वे काफी नाराज हो गए। नतीजतन, इलाज में जो भी पैसे लगे वो मुझे ही देने पड़े।’ पुरानी फिल्मों में कॉटन और टिशूज के इस्तेमाल से बनते थे बॉडी सूट्स
जब प्रोस्थेटिक मेकअप का जमाना नहीं था, उस वक्त आर्टिस्ट को मोटा कैसे दिखाते थे? अर्जुन ने कहा, ‘दरअसल, अंदर कपड़ों की पैडिंग की जाती थी। इसके अलावा कॉटन और टिशूज वगैरह भी यूज किए जाते थे।’बॉलीवुड | दैनिक भास्कर