अर्जुन प्रताप बाजवा, जो एक पॉलिटिशियन होने के साथ-साथ एक्टर और सिंगर भी हैं। इनका नाम एक्ट्रेस सारा अली खान के साथ भी जोड़ा जा चुका है। अब हाल ही में उनकी पहली फिल्म बैंड ऑफ महाराजा को ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया है। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान अर्जुन ने बैंड ऑफ महाराजा और अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़ी कई बातें शेयर कीं। सवाल- बैंड ऑफ महाराजा फिल्म आपको कैसे मिली? फिल्म के नरेशन के दौरान आपके मन में क्या सवाल थे? जवाब- बैंड ऑफ महाराजा फिल्म मुझे तब मिली जब मैं प्रभु देवा सर के साथ सिंह इज बिलिंग में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहा था। उसी दौरान मैं गिरिश जी और पुनीत जी से मिला, जिन्होंने मुझे एक म्यूजिकल फिल्म की कहानी बताई, जिसमें तीन लड़कों की जरूरत थी। उन्होंने मुझसे कहा था कि हम चाहते हैं कि आप इनमें से एक लड़के का किरदार निभाएं। जब मुझे यह पता चला कि यह म्यूजिकल फिल्म है, तो मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि म्यूजिक की ओर मेरा पहले से ही झुकाव था। लेकिन इस किरदार को निभाने के लिए मैंने कई इंस्ट्रूमेंट्स सीखे, जैसे ढोल, ट्रंपेट और ड्रम। मेरी खुशी और तब बढ़ गई जब मुझे पता चला कि मेरी पहली फिल्म को ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया है। मैं चाहता हूं कि यह फिल्म भारत के लिए ऑस्कर भी जीते। सवाल- इस फिल्म में सभी किरदारों की अपनी-अपनी अलग कहानी है। क्या आप अपने किरदार के बारे में कुछ बताना चाहेंगे? जवाब- मेरे किरदार का नाम गुरु है। यह फिल्म तीन लड़कों की कहानी पर आधारित है, जो पंजाब के एक बॉर्डरिंग गांव में रहते हैं, पाकिस्तान के साथ। इन तीनों ने अपनी पूरी जिंदगी में युद्ध का माहौल देखा है। लेकिन फिर कैसे वे उस माहौल से निकलकर अपनी म्यूजिकल जर्नी की शुरुआत करते हैं। फिल्म का मुख्य संदेश है कि बॉर्डर्स डिवाइडर म्यूजिकल यूनाइटर्स है। आज कहीं भी देखो, पाकिस्तान में ही जाओ। आखिर क्यों पाकिस्तान और इंडिया के बीच इतनी नफरत फैली हुई है, जबकि हमारी भाषा, संस्कृति, और संगीत का टेस्ट सब एक जैसा है। नुसरत फतेह अली खान को भारत में बेहद पसंद किया जाता है और अरिजीत सिंह को पाकिस्तान में। यह बताता है कि बॉर्डर तो इंसानों ने खुद बनाया गया है। जब हम फिल्म बना रहे थे, तब गिरिश सर ने पहले ही कह दिया था कि यह फिल्म ऑस्कर तक जाएगी। सवाल- संगीत के प्रति आपकी रुचि कैसे बढ़ी? जवाब- लॉकडाउन के समय करने के लिए और कुछ नहीं था। मैं नई चीजें आजमा रहा था। लॉकडाउन के दौरान एक एप्लीकेशन आई और सभी ने डबिंग शुरू कर दी। मेरी मां एक पुराना गाना ‘रहने न रहें हम’ गाती थीं। एक दिन मैंने इसे यूं ही डब कर दिया और मेरी मां ने कहा ओह, तुम्हारी आवाज बहुत अच्छी है। बस तभी से मैंने संगीत की दुनिया में कदम रखा। अब तक मैं पांच गाने कर चुका हूं और जल्द ही मेरा एक और गाना आने वाला है। मेरा हमेशा से यही मकसद रहा है कि मैं कुछ अलग करूं, इसलिए मैं संगीत में नए-नए प्रयोग करता रहता हूं। सवाल- जब आपके घर वालों को पता चला कि आपकी पहली फिल्म ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई, तो उनका रिएक्शन कैसा था? जवाब- मेरे घरवाले बहुत खुश हैं। जब उन्हें पता चला कि मेरी फिल्म ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई, तो पापा का फोन आया और उन्होंने कहा था तुने कुछ बहुत बड़ा कर दिया। जब मैंने ये बातें अपने परिवार से सुनीं, तो मुझे बहुत खुशी हुई। क्योंकि हर किसी का यही सपना होता है कि एक दिन वह अपनी फैमिली से सुने कि वे उस पर गर्व करते हैं। सवाल- आपका परिवार पॉलिटिक्स से भी ताल्लुक रखता है। तो जब नेताओं को आपकी फिल्म के बारे में पता चला तो उनका कैस रिएक्शन था? जवाब- जब ऑस्कर की खबर आई, तो मेरे पापा उस वक्त दिल्ली में थे। बीजेपी की कुछ मीटिंग चल रही थी, तो उन्होंने सभी नेताओं को बताया कि मेरे बेटे की फिल्म ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई है। उन नेताओं ने भी खुशी जताई और कहा कि वे प्रार्थना करते हैं कि हमारी फिल्म ऑस्कर भी जीते। सवाल- आपने पॉलिटिक्स में अपना करियर नहीं बनाकर एक अलग राह चुनी। इसके पीछे क्या कारण था? जवाब- हमेशा से हमारी फैमिली ने हमें पूरी आजादी दी है कि हम अपने करियर में जो चाहें, वो कर सकते हैं। कभी भी पॉलिटिक्स को हमारे ऊपर थोपा नहीं गया। हालांकि, मैं खुद जिला परिषद का मेंबर भी हूं। लेकिन मैं हमेशा से कुछ अलग करना चाहता था और मुझे बहुत खुशी है कि मेरी फैमिली ने भी मुझे पूरा सपोर्ट किया। सवाल- क्या आपने सिंगिंग के लिए कभी ट्रेनिंग ली है? जवाब- मैंने सिंगिंग की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है, लेकिन ट्रेनिंग लेना कोई गलत बात नहीं है। हालांकि, मेरा यह भी मानना है कि अगर आपको कोई चीज दिल से बहुत पसंद है, तो आप उसे पूरी तरह से अपना देते हैं। मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मुझे यह हुनर मिला है, लेकिन मैंने इसे थोड़ा देर से पहचाना। अगर थोड़ा जल्दी समझता, तो शायद मुझे और फायदा मिलता।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर