January 17, 2025
कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी का विरोध:एसजीपीसी कर चुका बैन की मांग, सिख संगठनों ने पीवीआर सिनेमा घेरा; समुदाय में आक्रोश

कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी का विरोध:एसजीपीसी कर चुका बैन की मांग, सिख संगठनों ने पीवीआर सिनेमा घेरा; समुदाय में आक्रोश

कंगना रनोट की विवादित फिल्म ‘इमरजेंसी’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। एसजीपीसी के विरोध के बाद भी पंजाब के हर शहर में 5 से 10 शो फिल्म के दिखाए जा रहे हैं। इस फिल्म पर लंबे समय से विवाद चल रहा है, खासकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने फिल्म के कथित तौर पर ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है। एसजीपीसी के आह्वान के बाद आज सिख संगठनों ने PVR सिनेमा के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने बीते दिन गुरुवार इस फिल्म को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र में मांग की थी कि ‘इमरजेंसी’ को पंजाब में बैन किया जाए। धामी ने कहा था कि फिल्म में 1975 के आपातकाल के दौरान सिख समुदाय और उनके संघर्ष को जिस तरीके से चित्रित किया गया है, वह ऐतिहासिक तथ्यों से मेल नहीं खाता और सिखों की छवि को गलत ढंग से प्रस्तुत करता है। धामी ने यह भी आरोप लगाया कि फिल्म में सिखों को उनके बलिदान और ऐतिहासिक योगदान को नज़रअंदाज़ करते हुए एक नकारात्मक रोशनी में दिखाया गया है। उन्होंने सरकार से अपील की थी कि सिख समुदाय की भावनाओं का सम्मान किया जाए और इस फिल्म को पंजाब में रिलीज होने से रोका जाए। कंगना रनोट दे चुकी है जवाब कंगना रनोट ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उनकी फिल्म में सिख समुदाय के प्रति किसी भी तरह की अपमानजनक बात नहीं कही गई है। उन्होंने दावा किया कि ‘इमरजेंसी’ ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश में लगे आपातकाल के दौरान की सच्चाई को दिखाने का प्रयास किया गया है। बंगलादेश में हो चुकी बैन फिल्म के पहले रिलीज किए गए ट्रेलर में पंजाब के आतंकवाद के दौर के साथ-साथ बंगलादेश आजादी के दौर को भी दिखाया गया था। जिसके चलते ये फिल्म बंगलादेश में बैन हो चुकी है। ताजा रिलीज ट्रेलर में आतंकवाद, ब्लू स्टार ऑपरेशन और जरनैल सिंह भिंडरांवाला के बारे में कोई सीन नहीं दिखाया गया। इसके बावजूद एसजीपीसी ने फिल्म को बैन करने की मांग रखी। जिसमें कहा गया कि फिल्म रिलीज से पहले उसे किसी भी धार्मिक संस्था से पास नहीं करवाया गया। फिल्म में विवादित मुद्दे फिल्म में 1975-77 के दौरान इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के समय की घटनाओं को दिखाया गया है। खासतौर पर इसमें सिखों के खिलाफ हुई कथित ज्यादतियों, गोल्डन टेंपल पर सेना की कार्रवाई और अन्य विवादित घटनाओं को चित्रित किया गया है। एसजीपीसी का कहना है कि फिल्म ने इन घटनाओं को गलत रूप में पेश किया है। सरकार की प्रतिक्रिया पंजाब सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अमन वर्मा ने कहा- पंजाब की अमन शांति को नुकसान पहुंचाने वाला कोई काम करने की इजाजत नही दी जाएगीफ़िल्म पर रोक लगाने का फैसला मुख्यमंत्री ने लेना है। पहले ट्रेलर के बाद शुरू हुआ था विवाद फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह के अलावा सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने सबसे पहले इस फिल्म पर एतराज जताया था। इससे पहले ये फिल्म 6 सितंबर 2024 को रिलीज होने वाली थी, लेकिन विरोध के बाद इसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से क्लीयरेंस ही नहीं मिला था। 5 महीने पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले उनके सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह के बेटे एवं फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा ने ट्रेलर में दिखाए गए सीनों पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि फिल्म इमरजेंसी में सिखों को गलत तरीके से पेश करने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे समाज में शांति और कानून की स्थिति बिगड़ने की आशंका है। अगर इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है तो यह एक गहरी साजिश है। सरबजीत ने कहा था कि यह फिल्म एक मनोवैज्ञानिक हमला है, जिस पर सरकार को पहले से ध्यान देकर दूसरे देशों में सिखों के प्रति नफरत भड़काना बंद कर देना चाहिए। फिल्म में हुए तीन कट व 10 बदलाव प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को सेंसर बोर्ड ने 10 बदलावों की लिस्ट भेजी थीबॉलीवुड | दैनिक भास्कर

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