एक्ट्रेस दलजीत कौर दो साल बाद स्क्रीन पर वापसी कर रही हैं। आखिरी बार वह टीवी शो ‘ससुराल गेंदा फूल 2’ में नजर आई थीं। अब वह जल्द ही वेब सीरीज ‘चिट्टा वे’ में दिखाई देंगी, जिसमें वह एक ड्रग एडिक्ट का किरदार निभा रही हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में दलजीत ने अपनी वापसी, नई वेब सीरीज और आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में खुलकर बात की। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश: इस रोल के लिए शुरू में थोड़ी हिचकिचाई मुझे यह रोल तब मिला, जब मेकर्स को एक सिंपल और रियल दिखने वाले चेहरे की जरूरत थी। कहानी पंजाब के छोटे से गांव की है। उन्हें ऐसा चेहरा चाहिए था जो वहां के माहौल में फिट हो सके। भले ही मैं पंजाबी में बहुत फ्लूएंट नहीं हूं, लेकिन मेरी मम्मा पंजाबी बोलती हैं, जिससे मुझे भाषा को समझने और किरदार को अपनाने में थोड़ी मदद मिली। जब मुझे इस रोल के लिए अप्रोच किया गया, तो शुरुआत में मुझे थोड़ी हिचकिचाहट हुई। कहानी ड्रग्स पर आधारित है और बहुत डार्क और इमोशनल है। मैंने सोचा कि क्या मैं इतनी स्ट्रॉन्ग और इमोशनल कहानी निभा पाऊंगी। लेकिन मेकर्स ने मुझ पर भरोसा जताया और कहा कि उन्हें एक ऐसा एक्टर चाहिए जो न सिर्फ इमोशन्स दिखा सके बल्कि किरदार की मजबूती को भी पर्दे पर उतार सके। इस किरदार में बहुत गहराई है और कहानी सिर्फ उस लड़की के स्ट्रगल की नहीं है, बल्कि उसके साहस और बदलाव की भी है। मुझे खुशी है कि मेकर्स ने मुझे इस किरदार के लिए चुना। सिगरेट तक नहीं पी, ड्रग्स एडिक्शन का किरदार निभाना चुनौती था यह किरदार निभाना मेरे लिए आसान नहीं था। मैं हमेशा से एक सिंपल लाइफ जीती आई हूं, जिसमें बच्चों का स्कूल, मम्मियों के साथ घूमना और दोस्तों से मिलना शामिल है। जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मुझे लगा कि यह मेरी जिंदगी से बिल्कुल अलग है। कहानी बहुत डार्क थी। मैंने पहले कभी सिगरेट तक नहीं पी, तो ड्रग्स एडिक्शन को समझना और उसे पर्दे पर उतारना मेरे लिए एक बड़ी चुनौती थी। वर्कशॉप्स में हमें यह सिखाया गया कि ड्रग्स लेने के बाद शरीर कैसे रिएक्ट करता है। हमें इसके लिए कई वीडियो दिखाए गए और फिर अपने एक्सप्रेशन्स और बॉडी लैंग्वेज पर काम करना पड़ा। एक सीन था जहां हमें चाशनी जैसा पदार्थ बनाना था, जो ड्रग्स का सिंबल था और उसे लेने के बाद का रिएक्शन दिखाना था। मैंने पूरी कोशिश की कि मनप्रीत के किरदार को बहुत ही रियल और ईमानदारी से निभा पाऊं। अपने बेटे जेडन को लेकर डर तो लगा रहता है जैसे हर मां अपने बच्चों को लेकर चिंतित रहती है। वैसे ही मुझे भी डर लगता है। आजकल के बच्चों को बहुत जल्दी नशे का शिकार बनाया जा सकता है। हाल ही में मेरे बेटे के स्कूल में एक जागरूकता प्रोग्राम हुआ था, जिसमें बताया गया कि बच्चे 6-7 साल की उम्र में ही ड्रग्स की लत में फंस सकते हैं। यह सुनकर मैं और बाकी माता-पिता बहुत शॉक्ड थे। मैंने महसूस किया कि अपने बच्चों के साथ बातचीत करना बहुत जरूरी है। उन्हें यह भरोसा देना चाहिए कि वे अपनी किसी भी समस्या को हमसे खुलकर शेयर कर सकते हैं। एक मां होने के नाते मेरी कोशिश रहती है कि मैं अपने बेटे के साथ एक फ्रेंडली बॉन्ड बनाऊं, ताकि वह मुझसे कुछ भी छिपाए नहीं। इस शो ने मुझे पर्सनल तौर पर भी जागरूक किया है कि किस तरह से बच्चों को इस गंभीर समस्या से बचाया जा सकता है। हां, लेकिन सच्चाई ये भी है कि अपने बेटे जेडन को लेकर डर तो लगा रहता है। बेटे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहती हूं टीवी शोज में काम करना मेरे लिए हमेशा से बहुत खास रहा है। लेकिन अब मेरी प्रायोरिटी बदल गई है। जब मेरा बेटा छोटा था, तब मैं आसानी से काम और घर को बैलेंस कर लेती थी। लेकिन अब वह टीनएज में है और इस उम्र में बच्चों को अपने पेरेंट्स की ज्यादा जरूरत होती है। हालांकि मुझे अब भी टीवी शोज के ऑफर्स आते हैं, लेकिन मैं अब ऐसे प्रोजेक्ट्स को ही चुन रही हूं, जो मुझे अपने बेटे के साथ ज्यादा समय बिताने का मौका दें। बड़े टीवी शोज में टाइम कमिटमेंट बहुत होता है, जो अभी मेरे लिए मुमकिन नहीं है। इसलिए मैंने छोटे और फ्लेक्सिबल प्रोजेक्ट्स पर फोकस किया है। ड्रग्स की समस्या सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री तक सीमित नहीं मुझे लगता है कि बॉलीवुड को ड्रग्स से जोड़ना पूरी तरह गलत है। ड्रग्स की समस्या सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है। यह पूरे समाज में एक बड़ी समस्या बन चुकी है। हमारी कहानी भी इस मुद्दे को उठाती है। इसमें दिखाया गया है कि ड्रग्स एडिक्शन किसी को भी प्रभावित कर सकता है, चाहे वह किसी भी बैकग्राउंड से हो। हमें इस समस्या को समझने और इसे रोकने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। ट्रैवलिंग हीलिंग का एक बेहतरीन तरीका है अब मैं ट्रैवल ब्लॉगिंग कर रही हूं। ट्रैवलिंग मुझे नई चीजें सिखाती है और मुझे अपनी फिल्मों और शो में नए एंगल्स जोड़ने का मौका देती है। मेरा मानना है कि ट्रैवलिंग हीलिंग का एक बेहतरीन तरीका है। जब भी मैं किसी नई जगह पर जाती हूं, तो वहां के लोगों और उनकी कहानियों को समझने की कोशिश करती हूं। इससे मुझे अपनी कहानियों को और बेहतर बनाने का मौका मिलता है। मेरा लक्ष्य सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाना भी है।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर