January 26, 2025
बिग बॉस हाउस बनाने से तोड़ने का खर्च 3.5 करोड़:वोटों की धांधली संभव नहीं; फिनाले बाद पहली बार किसी मीडिया ग्रुप की यहां एंट्री

बिग-बॉस हाउस बनाने से तोड़ने का खर्च 3.5 करोड़:वोटों की धांधली संभव नहीं; फिनाले बाद पहली बार किसी मीडिया ग्रुप की यहां एंट्री

बिग बॉस का 18वां सीजन खत्म हो चुका है। अब 9 महीने बाद शो की वापसी होगी। शो खत्म होते ही बिग बॉस हाउस के आधे से ज्यादा हिस्से को डिस्मेंटल यानी तोड़ दिया जाता है। सिर्फ ढांचा खड़ा रहता है। कैमरा, एसी, झूमर और लाइट्स निकाल ली जाती हैं। ये अधिकतर चीजें किराए की होती हैं। बिग बॉस हाउस को बनाने से तोड़ने तक हर सीजन में 3 से 3.5 करोड़ का खर्च आता है। हर सीजन में नए डिजाइन से घर को बनाया जाता है। मेकर्स पर हर सीजन वोटों के हेरफेर के आरोप लगते हैं। कुछ लोग दावा करते हैं कि शो के मेकर्स अपने पसंदीदा कंटेस्टेंट को जानबूझकर विनर बनाते हैं। हालांकि, ये सिर्फ फेक दावे हैं। शो से जुड़े लोगों का कहना है कि वोटों की टेंपरिंग हो ही नहीं सकती। इसका प्रॉपर ऑडिट होता है। चाहकर भी इसमें फेरबदल नहीं किया जा सकता। हमने कुछ समय पहले रील टु रियल के एक एपिसोड में बिग बॉस हाउस पर डिटेल्ड स्टोरी की थी। अब लेटेस्ट एपिसोड में बिग बॉस खत्म होने के बाद के प्रोसेस पर बात करेंगे। दैनिक भास्कर पहला ऐसा मीडिया समूह है, जो शो खत्म होने के बाद बिग बॉस के सेट पर पहुंचा है। कैमरे किराए पर होते हैं, पहले इन्हें निकाला जाता है
सेट पर एक साथ कई ट्रक खड़े थे। सामानों की लोडिंग हो रही थी। हमें बताया गया कि 30 से 40 ट्रकों में सामान भरे जाते हैं। सबसे पहले कैमरे निकाले जाते हैं। ये काफी महंगे होते हैं। तकरीबन 120 कैमरे लगे होते हैं। सारे किराए पर लिए गए होते हैं। नया सीजन शुरू होने पर दोबारा वेंडर से लेकर इंस्टॉल किए जाते हैं। किचन में यूज होने वाले सामान गोदाम में भेजे जाते थे
किचन में यूज होने वाले सामान जैसे फ्रीज, ओवन, आरओ मशीन, गैस चूल्हा और बर्तनों को गोदाम में भेज दिया जाता है। क्वालिटी और हाइजीन को देखते हुए इनका दोबारा यूज नहीं होता। सलमान खान जिस टीवी के जरिए कंटेस्टेंट से मुखातिब होते हैं, उसे भी निकालकर गोदाम में भेज दिया जाता है। हर सीजन में बेड बदल दिए जाते हैं
कंटेस्टेंट जिस बेड पर सोते हैं, वो हर सीजन में बदले जाते हैं। नए बेड बनाने के लिए कारीगर सेट पर ही आते हैं। पुराने बेड को रीयूज नहीं किया जाता। इसमें ज्यादा लग्जरी नहीं दी जाती। नॉर्मल गद्दों पर सोना पड़ता है। वोटिंग में धांधली संभव नहीं, थर्ड पार्टी ऑडिट करती है
चूंकि शो खत्म हो गया है, हर बार की तरह इस बार भी फाइनल वोटिंग को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल देखने को मिला। कहा गया कि मेकर्स ने वोटिंग में धांधली की है। हालांकि, शो के प्रोजेक्ट हेड अभिषेक मुखर्जी इस बात को सिरे से खारिज करते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम न वोट बढ़ा सकते हैं और न ही घटा सकते हैं। एक-एक वोट की ऑडिटिंग होती है। Ernst Young करके एक कंपनी है, वही इन वोट्स को पहले ऑडिट करती है। दूसरी बात, किसे कितने वोट मिल रहे हैं, वह सिर्फ चैनल को पता होता है न कि हमें। बतौर मेकर्स, शो कोई भी जीते, इससे हमें कोई मतलब ही नहीं होता।’ 15 किलो के ताले से घर बंद कर दिया जाता है
शो खत्म होने के बाद 15 किलो के ताले से घर को बंद किया जाता है। यह ताला स्पेशली ऑर्डर देकर बनवाया जाता है। एक किलो के आस-पास तो चाभी का वजन होता है। बिग बॉस हाउस का बिजली बिल कई बिल्डिंग के बिल बराबर
फिल्म सिटी के अंदर जो पावर सप्लाई है, उसी के जरिए बिग बॉस हाउस में बिजली दी जाती है। हालांकि, इतनी बिजली काफी नहीं होती। अलग से जेनरेटर भी लगाए जाते हैं। घर में जितनी एसी लगी हैं, उनकी पूरी कैपेसिटी 200 टन की है। बिजली का बिल कई बिल्डिंगों के बिल के बराबर आता है। ————– बिग बॉस से जुड़ा पिछला रील टु रियल यहां पढ़ें.. यहां के चाय-पानी के खर्चे में छोटे शोज बन जाएंगे: 200 लोग सिर्फ सलमान को मैनेज करते हैं नॉर्मली एक घर में महीने भर में एक किलो चायपत्ती लगती होगी। बिग बॉस के सेट पर एक दिन में ढाई किलो चायपत्ती सिर्फ क्रू मेंबर्स के लिए लगती है। 80 से 90 लीटर दूध एक दिन में इस्तेमाल होता है। शो के प्रोजेक्ट हेड ने बताया कि बिग बॉस के सेट पर जितना खर्चा चाय-पानी का है, उतने बजट में छोटे-मोटे शोज आराम से बन जाएंगे। पूरी खबर पढ़ें..बॉलीवुड | दैनिक भास्कर

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