‘मेरा नाम राज अर्जुन है। आपने मुझे राउडी राठौर, सीक्रेट सुपरस्टार, डियर कॉमरेड जैसी फिल्मों में देखा होगा। लोगों को लगता है कि इतने बड़े प्रोजेक्ट्स में काम किया है, तो मेरी जिंदगी बहुत आसान रही होगी, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए मैंने बहुत स्ट्रगल किया है। मैं एक बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखता हूं, लेकिन फिल्मी दुनिया में पहचान बनाने के लिए मुंबई पहुंचा, तो रेलवे प्लेटफॉर्म पर रात गुजारनी पड़ी। दरअसल, मुंबई में एक पीजी में रहता था। एक दिन मैं एक्टर कुमुद मिश्रा के घर गया। वहां से लौटने में बहुत रात हो गई। देर रात पीजी में एंट्री नहीं मिलती थी। कहीं और ठहरने की व्यवस्था थी नहीं, मजबूरन रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोना पड़ा। हालांकि वहां पर भी सोना आसान नहीं था। वहां सो रहे लोगों ने बताया कि सारे कपड़े उतार कर सो, वर्ना पुलिस वाले अपराधी समझकर उठा ले जाएंगे। ऐसे भी दिन देखे हैं कि लोगों से काम देने के लिए मिन्नतें करता था। लाइफ में इतना कुछ सहा है कि पुराने पलों को याद करने पर दिल सिहर उठता है।’ एक्टर राज अर्जुन मुंबई स्थित दैनिक भास्कर के ऑफिस में अपनी सफलता की कहानी बता रहे हैं। वे कहते हैं, ‘मेरी पैदाइश भोपाल की है। पिताजी क्रॉकरी का बिजनेस करते थे। मां और उनकी दिली तमन्ना थी कि हम तीनों भाई भी इसी फील्ड में आगे बढ़ें। दोनों भाइयों ने तो उनका ख्वाब पूरा किया, लेकिन मैंने अपना अलग रास्ता चुन लिया।’ यह सुनते ही मैं झट से पूछ बैठा कि बिजनेस फैमिली के लड़के ने ऐसा क्या देखा कि एक्टर बनने का फैसला कर लिया? राज हंसते हुए कहते हैं, ‘मैं भोपाल में सैफिया कॉलेज में पढ़ता था। मैं एक रोज भारत भवन में नाटक देखने चला गया। उस नाटक को देखने के बाद मन में ख्याल आया कि मुझे भी कुछ ऐसा ही करना है। फिर किसी तरह भारत भवन में नाटक करना शुरू किया। इसके बाद तो नाटक से मेरा रिश्ता टूटा ही नहीं। मैं लगातार 10-12 साल, सुबह-शाम सिर्फ नाटक ही करता रहा। नाटक में काम करते हुए ही मुझे दूरदर्शन के शोज में काम मिलने लगा था।’ आप बिजनेस बैकग्राउंड से आते हैं, मुंबई में तो खास स्ट्रगल नहीं करना पड़ा होगा? अरे ऐसा बिल्कुल नहीं है। आर्थिक रूप से स्ट्रॉन्ग होने पर फिल्मों में काम तो नहीं मिलता है न। इंडस्ट्री में मेरा कोई गॉडफादर भी नहीं था। आम स्ट्रगलर्स की तरह मुझे भी संघर्ष करना पड़ा। फिल्मों से पहले मुझे टीवी इंडस्ट्री में काम पाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी थी। तस्वीरें लेकर बड़े-बड़े प्रोडक्शन हाउस के चक्कर लगाता था, लेकिन निराशा ही हाथ लगती। हालांकि कुछ समय बाद मेरी मेहनत रंग लाई और मुझे टीवी शोज में एपिसोडिक काम मिलने लगे। एक वक्त के बाद तो मेरे पास काम ही काम था। महीने में 60-65 हजार रुपए आसानी से कमा लेता था, लेकिन एक वक्त के बाद टीवी इंडस्ट्री में काम करके मन भर सा गया। तब मैंने फिल्मों में किस्मत आजमाने का फैसला किया। क्या फिल्मी दुनिया के संघर्ष ने आपके हौसले को नहीं तोड़ा? बहुत बार ऐसा हुआ, लेकिन एक्टिंग से कैसे मुंह मोड़ सकता था। यह मेरा फैसला था, तो इसके संघर्ष भी मेरे अपने थे। फिल्मों के कल्चर के बारे में तो कुछ पता नहीं था। इस कारण और ज्यादा स्ट्रगल करना पड़ा। शुरुआत में मुझे फिल्मों में सिर्फ एक या दो सीन के रोल मिलते थे। 2002 की फिल्म ‘कंपनी’ में मैंने सिर्फ एक सीन किया था। इसके लिए मुझे सिर्फ दो हजार रुपए मिले थे। लंबे वक्त तक इस तरह का काम करके मैं थक गया था। मैं तो यह सोचकर आया था कि इंडस्ट्री के टॉप एक्टर्स में मेरा नाम लिया जाएगा, लेकिन मेरी पहचान तो कहीं दब गई थी। आखिरकार मैंने ब्रेक लिया और खुद पर दोबारा काम करना शुरू किया। फिर किस फिल्म से वापसी की? फिल्म कंपनी में मेरा गोली वाला सीन डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा को बहुत पसंद आया था। उसी एक सीन के बदले उन्होंने मुझे फिल्म शबरी में लीड रोल का ऑफर दिया। 2005 में मैंने इस फिल्म की शूटिंग खत्म की। लगा कि अब वक्त बदलने वाला है, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इस फिल्म को रिलीज होने में ही 6 साल लग गए। इस बुरे फेज को कैसे डील किया? 2005 से 2011 तक का समय लाइफ का सबसे खराब फेज था। कॉन्फिडेंस की कमी हो गई थी। लगने लगा था कि मैं कुछ बेहतर कर ही नहीं सकता हूं। मेरे पास बिल्कुल काम नहीं था। मैं काम करने के लिए मर रहा था। सोचिए हालात ऐसे हो गए थे कि मैं फ्री में भी काम करने के लिए तैयार था। एक रोज मैं अपनी एक दोस्त के पास रोते-रोते गया और कहा- प्लीज, मुझे टीवी में कुछ काम दिला दे। मेरी हालत देखकर वो डर गई क्योंकि मेरा पूरा शरीर कांप रहा था। उसने कहा- तू पी कर आया है क्या? मैंने कहा कि ऐसा नहीं है। बस मुझे काम चाहिए। मैं काम के लिए तड़प रहा हूं। दोस्त को मुझ पर तरस आ गया और उसने मुझे एक टीवी शो ‘बनेगी अपनी बात’ में काम दिलवा दिया। हालांकि बाद में चैनल वालों ने मेरा पोर्शन ही हटा दिया। मैंने अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ्राइडे में भी काम किया था। इस वजह से मैं अनुराग को जानता था। जब काम नहीं था, तो मैंने कई दफा अनुराग से भी काम के लिए रिक्वेस्ट की थी। कुछ समय बाद मुझे लगा कि वे भी मुझे इग्नोर करने लगे हैं। फिर मैंने उनसे भी काम मांगना बंद कर दिया। सच बताऊं, खुद की हालत पर तरस आ रहा था। रोता था और सोचता था कि इतनी बड़ी फिल्म करने के बाद भी दर-दर काम के लिए भटक रहा हूं। आपकी इस हालत को देख कर पत्नी ने कभी सवाल नहीं किया? एक वही तो थीं, जिन्होंने मुझ पर मुझसे ज्यादा भरोसा किया। काम न मिलने पर घरवाले बिजनेस में आने के लिए प्रेशर बना रहे थे, लेकिन वह कहती थीं कि मुझे काम और अवॉर्ड दोनों मिलेगा। जब कभी मन बहुत दुखी होता, तो उन्हीं के कंधों पर सिर रखकर रो लेता था। वाइफ मेरे लिए बहुत लकी हैं, उन्हीं के आने के बाद लाइफ में सब कुछ बेहतर हुआ। दूसरा, मेरी बेटी सारा अर्जुन ने भी हर बुरे वक्त में मुझे बहुत सपोर्ट किया। सारा भी एक्टिंग में एक्टिव है। उसने सलमान खान और ऐश्वर्या राय की फिल्मों में काम किया है। आपने अक्षय कुमार की फिल्म राउडी राठौर में भी काम किया है। यह फिल्म आपके लिए कितनी लकी रही? सबसे मजे की बात यह है कि आज ज्यादा लोग मुझे राउडी राठौर के रोल की वजह से जानते हैं। मुझे इसमें हैरानी भी होती है क्योंकि फिल्म में मेरा सीन बहुत कम है। यह फिल्म मुझे लुक की वजह से मिली थी। दरअसल, जब इस फिल्म का ऑफर आया था, तो मैं लाइफ के सबसे बुरे वक्त से गुजर रहा था। दाढ़ी बढ़ गई थी, बहुत मोटा हो गया था। मेकर्स को इसी तरह के लुक की जरूरत थी, इसलिए उन्होंने मुझे कास्ट कर लिया। क्या फिल्म सीक्रेट सुपरस्टार ने आपको वो पहचान दिलाई, जिसके आप मोहताज थे? हां, इसी फिल्म ने मुझे असल पहचान दिलाई। इसके जरिए खोया हुआ भरोसा, आत्मसम्मान मुझे वापस मिल गया। इस फिल्म में काम मिलने का किस्सा भी दिलचस्प है। दरअसल एक दिन मैं बेटी को लेकर कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा के ऑफिस गया। बेटी का अंदर ऑडिशन चल रहा था और मैं बाहर बैठा था। तभी मुकेश आया और कहा- अरे, आप इतने दिन कहां थे, आते ही नहीं हैं। मैं भी उससे क्या कहता कि काम मांग-मांग कर थक गया हूं। हंसकर बात को टालना ही बेहतर समझा। फिर उसने बताया कि आमिर खान की फिल्म सीक्रेट सुपरस्टार के लिए कास्टिंग चल रही है और मेरे टाइप का भी एक रोल है। अगले दिन मैंने उस रोल के लिए ऑडिशन दिया, जो आमिर सर को बहुत पसंद आया, लेकिन लंबे वक्त तक इस पर कोई फीडबैक नहीं मिला। जब मैंने मुकेश से इस बारे में पूछा तो उसने कहा- मैं अब इसकी कास्टिंग टीम का हिस्सा नहीं हूं। आप भी इसका हिस्सा नहीं हैं। इसकी कास्टिंग अभिषेक-अनमोल के पास चली गई है। यह सुन मुझे एक और धक्का लगा। इस बात को कुछ ही दिन बीते थे कि अभिषेक-अनमोल के ऑफिस से दोबारा ऑडिशन के लिए कॉल आई। मैं ऑडिशन देने गया, लेकिन अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाया। श्योर था कि इस फिल्म का हिस्सा तो नहीं ही बन पाऊंगा, लेकिन चमत्कार हुआ और आमिर सर ने पहले ऑडिशन के आधार पर मुझे कास्ट कर लिया। आखिरकार 18 साल बाद मुझे वो फिल्म मिली जिसकी इच्छा लिए मैं इस शहर में आया था। सफलता के जिस स्टेज पर पहुंचना चाहते थे, क्या वहां पहुंच चुके हैं? सीक्रेट सुपरस्टार रिलीज होने के बाद एक तूफान सा आ गया। बहुत सारे लोग अप्रोच करने लगे। फिर मेरे पास साउथ इंडस्ट्री से भी काम के ऑफर आने लगे। मैंने विजय देवरकोंडा और रश्मिका मंदाना की फिल्म डियर कॉमरेड में काम किया है। 2021 में कंगना की फिल्म थलाइवी में भी दिखा। हाल ही में मेरी फिल्म युधरा रिलीज हुई है। उसे भी लोग बहुत प्यार दे रहे हैं। आज कह सकता हूं कि सफलता के जिस स्टेज पर खुद को देखना चाहता था, वहां पहुंच चुका हूं। अब लोगों से काम के लिए बिल्कुल सिफारिश नहीं करता। लोगों को अपनी उपलब्धियां भी नहीं दिखाता, ताकि उन्हें यह न लगे कि मैं इनडायरेक्टली काम मांग रहा हूं। अब बस यही ख्वाहिश है कि मेरे वर्क को नोटिस किया जाए, जिससे काम मिलता रहे और मैं हमेशा बिजी रहूं।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर
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