March 28, 2025
मूवी रिव्यू तुमको मेरी कसम:प्रेरणादायक कहानी के साथ दमदार एक्टिंग और इमोशनल ड्रामा, कोर्टरूम के सीन दर्शकों को बांधे रखते हैं

मूवी रिव्यू- तुमको मेरी कसम:प्रेरणादायक कहानी के साथ दमदार एक्टिंग और इमोशनल ड्रामा, कोर्टरूम के सीन दर्शकों को बांधे रखते हैं

हॉरर फिल्में बनाने के लिए मशहूर डायरेक्टर विक्रम भट्ट इस बार एक इमोशनल और प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं। फिल्म ‘तुमको मेरी कसम’ IVF तकनीक के अग्रणी डॉक्टर अजय मुर्डिया के जीवन पर आधारित है। यह फिल्म आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म में प्यार, संघर्ष, धोखा और कोर्टरूम ड्रामा का जबरदस्त मिश्रण है। इस फिल्म में अनुपम खेर, ईश्वाक सिंह, अदा शर्मा और ईशा देओल ने अहम किरदार निभाए हैं। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 45 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार रेटिंग दी है। फिल्म की कहानी क्या है? डॉक्टर अजय मुर्डिया (अनुपम खेर) ने भारत में IVF तकनीक को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। फिल्म उनके संघर्ष, मेहनत और सफलता की दास्तान को दिखाती है। ईश्वाक सिंह ने उनके युवा दिनों का किरदार निभाया है, जहां उनका जुनून और मेहनत नजर आती है। कहानी में बड़ा मोड़ तब आता है जब डॉक्टर मुर्डिया पर एक गंभीर आरोप लगता है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और करियर खतरे में पड़ जाते हैं। इसके बाद कहानी कोर्टरूम ड्रामा का रूप लेती है, जहां उन्हें बचाने के लिए वकील (ईशा देओल) अपनी पूरी ताकत झोंक देती हैं। फिल्म इंसाफ और सच्चाई की लड़ाई को प्रभावी तरीके से दिखाती है। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? अनुपम खेर ने अपने किरदार में गहराई और ईमानदारी दिखाई है। उनकी अदाकारी हर दृश्य में असर छोड़ती है। ईश्वाक सिंह ने युवा डॉक्टर मुर्डिया के किरदार में अच्छा काम किया है। अदा शर्मा ने डॉक्टर मुर्डिया की पत्नी इंदिरा का किरदार निभाया है, जो अपने पति के संघर्ष में हमेशा साथ खड़ी रहती हैं। उनकी परफॉर्मेंस सधी हुई है। ईशा देओल एक दमदार वकील के रूप में नजर आती हैं और लंबे समय बाद स्क्रीन पर उनका प्रभाव दिखता है। फिल्म का डायरेक्शन कैसा है? विक्रम भट्ट ने इस फिल्म को इमोशनल और सस्पेंस से भरपूर बनाया है। कोर्टरूम के सीन प्रभावशाली हैं और दर्शकों को बांधे रखते हैं। हालांकि, कुछ सीन जरूरत से ज्यादा खींचे गए हैं, जिससे फिल्म की गति थोड़ी धीमी हो जाती है। सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, लेकिन कहानी को और टाइट बनाया जा सकता था। कुछ सीन लंबे खिंचते हैं, खासकर फ्लैशबैक में, जिससे फिल्म की पेसिंग प्रभावित होती है। कोर्टरूम ड्रामा दिलचस्प है, लेकिन कुछ जगहों पर कानूनी प्रक्रियाएं वास्तविकता से थोड़ी अलग लगती हैं। फिल्म का म्यूजिक कैसा है? फिल्म का संगीत कहानी के साथ मेल खाता है, लेकिन कोई ऐसा गाना नहीं है जो लंबे समय तक याद रह जाए। विक्रम भट्ट की फिल्मों की खासियत होती है कि उनकी फिल्मों का संगीत याद रह जाते हैं, लेकिन इस फिल्म में इसकी कमी झलकती है। फिल्म का बैकग्राउंड स्टोर ठीक है। फिल्म का फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं अगर आपको इंस्पायरिंग कहानियां और कोर्टरूम ड्रामा पसंद है, तो ‘तुमको मेरी कसम’ एक बार देखने लायक फिल्म है। अनुपम खेर और ईशा देओल की दमदार एक्टिंग, विक्रम भट्ट का प्रभावशाली निर्देशन और एक प्रेरणादायक कहानी इसे दिलचस्प बनाती है। हालांकि, इसकी धीमी गति और कुछ खामियों के कारण यह मास्टरपीस नहीं बन पाती, लेकिन फिर भी यह एक अच्छी फिल्म है।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर

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