अजय देवगन और रितेश देशमुख स्टारर रेड-2 आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। डायरेक्टर राजकुमार गुप्ता की ये फिल्म साल 2018 में आई ‘रेड’ का सीक्वल है। फिल्म में अजय देवगन, रितेश देशमुख के अलावा अमित सियाल, वाणी कपूर, यशपाल शर्मा, सुप्रिया पाठक मुख्य भूमिका हैं।इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 19 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार की रेटिंग दी है। कहानी में है दम?
रेड 2 एक बार फिर ईमानदार IRS ऑफिसर अमय पटनायक (अजय देवगन) की कहानी लेकर आई है। इस बार उनका 75वां ट्रांसफर भोज शहर में होता है—एक ऐसा इलाका जहां केंद्रीय मंत्री और जननेता दादा मनोहर भाई (रितेश देशमुख) का दबदबा है। जनता उन्हें भगवान की तरह पूजती है। अमय जब अपने अधिकारियों के साथ दादा के ठिकानों पर रेड करता है, तो शुरुआत में कुछ हाथ नहीं लगता। यहीं से शुरू होता है एक दिमागी खेल, जहां कानून और सत्ता आमने-सामने हैं। कहानी में थ्रिल है, टेंशन है और एक उद्देश्य भी। पटकथा चुस्त है और कुछ मोमेंट्स वाकई एज़-ऑफ-द-सीट हैं। हालांकि कुछ दृश्य ज़रूरत से ज्यादा खींचे गए लगते हैं और क्लाइमैक्स अपेक्षाकृत अनुमानित लगता है। एक्टिंग में किसका चला जादू?
अजय देवगन अमय पटनायक के किरदार में एक बार फिर जमे हैं—गंभीर, दृढ़ और असरदार। लेकिन असली सरप्राइज़ हैं रितेश देशमुख, जिन्होंने निगेटिव रोल में अपनी नई छवि गढ़ी है। उनका शांत लेकिन प्रभावशाली अंदाज़ कहानी में वज़न लाता है। अमित सियाल शो स्टीलर हैं—उनका अभिनय सहज और दमदार है। वाणी कपूर, यशपाल शर्मा और सुप्रिया पाठक ने भी अपने किरदारों के साथ पूरी ईमानदारी दिखाई है। डायरेक्शन कैसा रहा?
राजकुमार गुप्ता ने रेड फ्रैंचाइजी को एक नई दिशा देने का साहसिक प्रयास किया है। भोज की नई पृष्ठभूमि, रितेश देशमुख जैसे वर्सेटाइल कलाकार को विरोधी के रूप में पेश करना, और राजनीतिक पावर बनाम सिस्टम की लड़ाई को थ्रिलर शैली में ढालना, ये सब तारीफ़ के काबिल है। अच्छाइयां: नई सेटिंग और किरदारों में ताजगी रितेश देशमुख की दमदार निगेटिव भूमिका चुस्त स्क्रीनप्ले और मजबूत एक्टिंग कमियां: कुछ दृश्यों में ज़रूरत से ज़्यादा सिनेमैटिक लिबर्टी कुछ सीन गैरजरूरी लगते हैं अंत अनुमानित और अपेक्षाकृत कमज़ोर संगीत और तकनीकी पक्ष
अमित त्रिवेदी का बैकग्राउंड स्कोर कहानी के तनावपूर्ण माहौल को बनाए रखता है। ‘तुम्हे दिल्लगी’ जैसे गाने पहले से परिचित हैं और भावनात्मक गहराई जरूर लाते हैं, लेकिन कोई खास नयापन महसूस नहीं होता। डांस नंबर्स औसत हैं। सिनेमैटोग्राफी कुछ दृश्यों में प्रभावशाली है और एडिटिंग फिल्म की गति बनाए रखने में सफल रहती है। कुल मिलाकर:
अगर आपको ‘रेड’ पसंद आई थी, तो ‘रेड 2’ भी निराश नहीं करेगी। यह एक एंगेजिंग क्राइम-थ्रिलर है जिसमें मजबूत परफॉर्मेंस, राजनीति बनाम ईमानदारी की लड़ाई, और मनोरंजक पटकथा का संतुलन देखने को मिलता है। कुछ कमजोरियां जरूर हैं, लेकिन फिल्म देखने लायक है। देखें या छोड़ें?
देखें—अजय देवगन और रितेश देशमुख की टक्कर इस ‘रेड-2’ को खास बनाती है।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर