November 24, 2024
मूवी रिव्यू विक्की विद्या का वो वाला वीडियो:राजकुमार तृप्ति डिमरी की केमेस्ट्री अच्छी; फर्स्ट हाफ ठीक लेकिन सेकेंड हाफ में कहानी भटकी

मूवी रिव्यू-विक्की विद्या का वो वाला वीडियो:राजकुमार- तृप्ति डिमरी की केमेस्ट्री अच्छी; फर्स्ट हाफ ठीक लेकिन सेकेंड हाफ में कहानी भटकी

राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी स्टारर फिल्म ‘विक्की विद्या का वो वाला वीडियो’ आज थिएटर में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म में राज और तृप्ति के अलावा विजय राज, मल्लिका शेरावत, अर्चना पूरन सिंह, मुकेश तिवारी, राकेश बेदी, टीकू तल्सानिया की अहम भूमिकाएं हैं। राज शांडिल्य के निर्देशन में बनी इस फिल्म का निर्माण बालाजी टेलीफिल्म्स, वाकाओ फिल्म्स और कथावाचक फिल्म्स ने किया है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 26 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार की रेटिंग दी है। फिल्म की स्टोरी क्या है? फिल्म की कहानी 1997 के ऋषिकेश की है। विक्‍की (राजकुमार राव) मेहंदी लगाने का काम करता है। उसकी शादी डॉक्टर विद्या (तृप्ति डिमरी) से हो जाती है। दोनों अपनी सुहागरात का वीडियो बनाते हैं। एक दिन उसके घर पर चोरी होती है। समान के साथ सुहागरात के वीडियो की सीडी चोरी भी हो जाती है। इंस्पेक्टर (विजय राज) केस की छानबीन शुरू करता है। इसी दौरान इंस्पेक्टर का दिल विक्‍की की बहन चंदा (मल्लिका शेरावत) पर आ जाता है। विक्की किसी भी हालत में सुहागरात वाली सीडी हासिल करना चाहता है। इस चक्कर में वो एक मर्डर केस में फंस जाता है। विक्‍की खुद को बेगुनाह साबित करके कैसे सीडी हासिल करता है और इस दौरान क्या-क्या टर्न और ट्विस्ट आते हैं। ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? राजकुमार राव ‘स्त्री 2’ के बाद एक बार फिर से दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब हुए हैं। तृप्ति डिमरी के साथ फिल्म में उनकी अच्छी केमेस्ट्री देखने को मिली है। दोनों की डायलॉग डिलीवरी की टाइमिंग जबरदस्त है। चंदा की भूमिका में मल्लिका ने शानदार कमबैक किया है। विजय राज के साथ उनकी जोड़ी अच्छी लगी है। विक्‍की के दादा की भूमिका में टीकू तलसानिया, विद्या की मां की भूमिका में अर्चना पूरन सिंह, पिता की भूमिका में राकेश बेदी और मुकेश तिवारी अपनी-अपनी भूमिका के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश की है। फिल्म का डायरेक्शन कैसा है? राज शांडिल्य की फिल्मों की खासियत होती है कि छोटे शहरों और कस्बों के इर्द-गिर्द घूमती बड़ी खूबसूरत कहानी लेकर आते हैं। एसी ही कहानी उन्होंने यूसुफ अली खान के साथ लिखी है। फिल्म की कहानी 90 के दशक की है। उन्होंने उस दौरान के परिवेश और भेष-वेशभूषा का पूरा ध्यान रखा है। फिल्म का फर्स्ट हाफ मनोरंजक है, सेकेंड हाफ में फिल्म की कहानी थोड़ी सी भटकी नजर आती है। कब्रिस्तान में लाल जोड़े वाली भूतनी राजकुमार राव की फिल्म ‘स्त्री’ की याद दिलाती है। फिल्म में जबरन ‘स्त्री’ को लेकर आना और फिल्म को हॉरर टच देना समझ से परे लगता है। फिल्म का म्यूजिक कैसा है? टी सीरीज की फिल्मों से अच्छे संगीत की उम्मीद की जाती है। लेकिन इस फिल्म में ऐसा कोई नया गाना नहीं, जो फिल्म देखने के बाद याद रहे। 90 के दशक के गाने ‘ना ना ना ना ना रे’, ‘तुम्हें अपना बनाने’, ‘जिंदा रहने के लिए’ को रीक्रिएट किया गया है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक औसत दर्जे का है। फाइनल वर्डिक्ट, देखे या नहीं? यह फिल्म एंटरटेन के साथ-साथ एक खास संदेश भी देती है। एक बार इस फिल्म को देखा जा सकता है।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर

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