रेखा-अमिताभ के लव सीन देख रोईं जया:घर बुलाकर कहा- मैं अमिताभ को नहीं छोड़ूंगी, शादी के दिन पिता ने कहा- हम बर्बाद हो गए

जया ने मुझे एक शाम डिनर पर बुलाया। हमने उनके (अमिताभ) अलावा हर चीज के बारे में बात की, लेकिन उस दिन जाने से पहले, उन्होंने मुझे यह जरूर बताया, “चाहे कुछ भी हो जाए मैं अमित (अमिताभ) को कभी नहीं छोडूंगी”। जब रेखा ने स्टारडस्ट मैगजीन से जया बच्चन के लिए ये बात कही तो हर फिल्म मैगजीन और अखबारों में खबर छपने लगी कि अमिताभ से नजदीकियों के चलते रेखा ने जया से खुन्नस निकाली है। लेकिन कम लोग ही ये जानते थे कि अमिताभ की एंट्री से पहले रेखा और जया में बहनों की तरह खूबसूरत रिश्ता था। रेखा, जया को प्यार से दीदी भाई कहती थीं। 70 के दशक में जया भादुड़ी ‘गुड्डी’ और ‘अनामिका’ जैसी फिल्मों से स्टार बन चुकी थीं और रेखा अपने करियर संवारने की कवायद में लगी थीं। कुछ फिल्में हिट हुई थीं, तो उन्होंने 18 की उम्र में अजंता होटल छोड़कर बॉम्बे (अब मुंबई) के जुहू में बीच अपार्टमेंट में घर ले लिया। इसी बिल्डिंग में जया भादुड़ी भी रहती थीं। साथ रहते हुए जया भादुड़ी और रेखा में जान-पहचान बढ़ने लगी। जया, रेखा को अक्सर घर बुलाती थीं, साथ खाना होता था और लंबी बातचीत होती थी। जब भी फुर्सत मिलती तो दोनों लंबी सैर पर निकलते थे। इस समय जया भादुड़ी के बॉयफ्रेंड अमिताभ भी अक्सर घर आया करते थे, जहां रेखा भी उनसे मिला करती थीं। उस समय ये लव ट्रायएंगल नहीं बल्कि दोस्तों की तिकड़ी थी। जया की कार के ड्राइवर बनते थे अमिताभ और बगल में बैठती थीं जया और रेखा के लिए पीछे वाली सीट रिजर्व रहती थी। मशहूर कहावत है कि ‘कलम में बड़ी ताकत होती है’, अगर आज हम कहें कि कलम की ही ताकत ने बहनों की तरह रहने वालीं जया और रेखा की दोस्ती में कड़वाहट घोल दी, तो ये गलत नहीं होगा। ये वो दौर था, जब सोशल मीडिया नहीं फिल्मी मैगजीन का दौर था। इन मैगजीन में स्टार्स की निजी जिंदगी और लाइफस्टाइल पर लिखीं बातें, चाहने वालों के लिए अपने पसंदीदा कलाकारों को करीब से जानने का इकलौता जरिया होती थीं। फिर चाहे बातें तोड़-मरोड़कर उनका अर्थ ही क्यों न बदल दिया गया। ऐसा ही कुछ हुआ जया और रेखा के साथ। एक इंटरव्यू में जया ने ये कह दिया कि रेखा खुद को संजीदगी से नहीं लेतीं। बात कहने में चाहे कुछ भी हो, लेकिन पढ़ने में रेखा को जहनी चोट की तरह लगी। गुस्से और या कहें तो नादानी में रेखा ने भी जया के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी। इसका परिणाम ये रहा कि जब जया भादुड़ी ने जंजीर की कामयाबी के बाद अपने बॉयफ्रेंड अमिताभ से 3 जून 1973 में शादी की तो कभी खास दोस्त रहीं रेखा को इसका बुलावा नहीं भेजा गया। जबकि वो उन्हीं की बिल्डिंग में रहा करती थीं। इससे नाराज रेखा ने मैगजीन को दिए इंटरव्यू में कहा- ‘हमारे बीच की दोस्ती और प्यार के बावजूद उन्होंने मुझे अपनी शादी में बुलाने की जहमत नहीं उठाई, जबकि मेरा घर उन्हीं की बिल्डिंग में है।’ छोटी-मोटी कड़वाहटें कब एक बड़ी कलह में बदल गईं पता ही नहीं चला। फिर इसी झगड़े के बीच जब रेखा और अमिताभ के अफेयर की खबरें आम हुईं तो बात सिर्फ कड़वाहट तक सीमित नहीं रही। रेखा ने कई बार ये दावा किया कि उनके और अमिताभ के लव सीन देखकर जया आंसू नहीं रोक पाईं। आज इस बात को कई दशक बीत चुके हैं, इस कहानी के किरदार अपनी-अपनी जिंदगियों में आगे बढ़ चुके हैं, लेकिन समय-समय पर ये बातें अब भी तूल पकड़ लेती हैं। आज जया बच्चन 77 साल की हो चुकी हैं। उनकी जिंदगी भले ही आला दर्जे की फिल्मों और राजनैतिक सफर के नाम रही, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा चर्चा जिंदगी के दो किरदारों अमिताभ बच्चन और रेखा के इर्द-गिर्द रही। आज उनके जन्मदिन के खास मौके पर पढ़िए उन 2 किरदारों, दोस्ती, शादी, परिवार की नाराजगी और उस लव ट्राएंगल की कहानी, जिसका क्लाइमैक्स फिल्म सिलसिला से मिला- जब हर हीरोइन ने अमिताभ के साथ काम करने से इनकार किया, तब जया बनीं सहारा 70 के दशक के शुरुआती सालों की बात है, अमिताभ की करीब 12 फिल्में फ्लॉप रहीं, वहीं दूसरी तरफ जया बच्चन ‘बावर्ची’, ‘परिचय’ जैसी फिल्मों से कामयाबी हासिल करती चली जा रही थीं। इसी बीच अमिताभ को प्रकाश मेहरा की फिल्म ‘जंजीर’ में लीड रोल मिला। उनके साथ मुमताज को कास्ट किया गया, लेकिन उन्होंने शादी तय होने पर फिल्म छोड़ दी। प्रकाश मेहरा मुमताज के बाद जिस भी हीरोइन के पास गए उसने अमिताभ के साथ काम करने से इनकार कर दिया। अमिताभ पहले ही लगातार फिल्में फ्लॉप होने से परेशान थे, ऐसे में जब उन्हें ये खबर मिली तो वो और परेशान रहने लगे। एक रोज अमिताभ जया से मिलने पहुंचे थे। अमिताभ ने कहा- कोई हीरोइन साथ काम करने के लिए राजी नहीं है। जया ने जवाब दिया- अगर प्रकाश मेहरा मुझे कहेंगे, तो मैं जंजीर करने के लिए तैयार हूं। अमिताभ ने बात प्रकाश मेहरा तक पहुंचाई और ऐसे पर्दे पर जया और अमिताभ की जोड़ी जंजीर में नजर आई। 11 मई 1973 को फिल्म जंजीर रिलीज हुई और इसकी शुरुआत ठंडी रही। अमिताभ ने डायरेक्टर से कह दिया कि अगर फिल्म फ्लॉप हुई तो वो फिल्मी दुनिया और बॉम्बे छोड़कर पिता के पास इलाहाबाद (अब प्रयागराज) निकल जाएंगे। रिलीज के 4 दिन फिल्म ऐसी चल निकली कि 5 रुपए की टिकटें 100 रुपए में बेची जाने लगी थीं। इस तरह फ्लॉप अमिताभ बच्चन ने एंग्री यंग मैन के नाम से स्टारडम हासिल किया। जाहिर है इसका काफी हद तक श्रेय जया बच्चन को भी जाता है। फिल्म की कामयाबी का जश्न मनाने के लिए जब अमिताभ ने जया के साथ विदेश घूमने जाने की इजाजत मांगी तो उनके पिता हरिवंश राय बच्चन ने कह दिया कि अगर जाना है तो शादी करके जाओ। यही वजह रही कि दोनों ने झटपट 3 मई 1973 शादी कर ली, जबकि वो पहले अक्टूबर 1973 में शादी करने वाले थे । ये भी बता दें कि जया बच्चन एक समय में ससुर जी हरिवंशराय बच्चन की फैन हुआ करती थीं। दरअसल, हरिवंशराय बच्चन राइटर थे और जया बच्चन के पिता तरुण कुमार भादुड़ी भी जाने-माने राइटर थे। बचपन से ही जया के घर में पढ़ने को काफी तवज्जो दी गई। जया बच्चन ने कुछ सालों पहले ही संसद टीवी को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके घर में रिवाज था कि कोई भी बच्चा किताब का एक-दो पन्ना पढ़े बिना नहीं सोएगे। यही वजह रही कि घर के बच्चे हरिवंश राय बच्चन से वाकिफ थे। शादी से खुश नहीं था जया का परिवार, अमिताभ के पिता से कहा था- हमारा परिवार बर्बाद हो गया अमिताभ बच्चन के पिता और मशहूर राइटर हरिवंश राय बच्चन ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘इन द आफ्टरनून ऑफ टाइम’ में शादी के दिन बच्चन और भादुड़ी परिवार के बीच शादी के दिन चल रही अनबन का जिक्र किया था। उन्होंने लिखा था कि शादी सेंसेशन न बन जाए, इसलिए जया भादुड़ी के बीच हाउस स्थित फ्लैट की जगह परिवार ने मालाबार हिल्स स्थित स्काईलार्क बिल्डिंग के टॉप फ्लोर में शादी की तैयारियां कीं जो एक फैमिली फ्रैंड का फ्लैट था। मेहमानों में सिर्फ बच्चन, भादुड़ी परिवार के चुनिंदा लोग और इंदिरा गांधी के परिवार को न्योता दिया गया। इंदिरा गांधी, अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन की करीबी दोस्ती थीं। हालांकि वो व्यस्त होने पर खुद नहीं पहुंचीं तो बेटे संजय गांधी को पहुंचा दिया। हरिवंश राय बच्चन ने लिखा था कि उस शादी में जया भादुड़ी के अलावा उनके परिवार का कोई भी सदस्य खुश नजर नहीं आ रहा था। जब बारात पहुंची, तो भादुड़ी परिवार ने उनका स्वागत तक नहीं किया। जैसे-तैसे देर रात तक शादी पूरी हुई। ज्यादातर मेहमान जा चुके थे और सिर्फ चंद लोग ही थे। हरिवंशराय बच्चन विदाई से ठीक पहले समधी तरुण भादुड़ी के पास पहुंचे, उन्हें गले लगाया और कहा- ‘अमित जैसा दामाद मिलने पर आपको बधाई।’ वहां मौजूद लोगों को लगा कि अब जया के पिता गुस्सा भूलकर उन्हें भी बधाई देंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। बदले में उन्होंने कहा- ‘मेरा पूरा परिवार बर्बाद हो गया।’ ये सुनकर सब हैरान जरूर हुए, लेकिन बात को वहीं चलता कर दिया गया। देखिए अमिताभ-जया की शादी की चुनिंदा तस्वीरें- इस शादी में गिने-चुने लोग थे, तो जाहिर है कि बिल्डिंग में साथ रहने वालीं रेखा भी इस शादी में बुलाई नहीं गई थीं। हालांकि कहा ये गया कि अनबन के चलते उन्हें बुलाया नहीं गया। जया बच्चन शादी से पहले बीच हाउस बिल्डिंग में रहती थीं, जहां रेखा भी रहती थीं। दोनों में अच्छी दोस्ती थी। रेखा और जया दोनों भले ही दोस्त थीं, लेकिन उन्हें फिल्म जगत में कॉम्पिटिशन माना जाता था। एक इंटरव्यू में जया से रेखा पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘रेखा खुद को सीरियसली नहीं लेतीं’। इंटरव्यू छपा तो रेखा अपनी दीदी भाई की बात पढ़कर नाराज हो गईं। फिर जब उन्होंने शादी का न्योता नहीं दिया तो इस बात ने गुस्से की आग में घी की तरह काम किया और दोनों में बातचीत पूरी तरह बंद हो गई। फिल्म मैगजीन को दिए इंटरव्यू में रेखा ने इस पर कहा था- एक समय था जब मैं जया को बड़ी बहन की तरह मानती थी, मुझे लगता था कि वो सच्ची हैं क्योंकि वो हमेशा संजीदगी से बात करती थीं। मुझे ढेर सारी प्यारी सलाह देती थीं, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ क जया एक आम सलाहकार हैं, वो बस लोगों पर हावी होना चाहती हैं, वो भी तब तक जब तक सामने वाला उनके मुताबिक खुद को ढाल न ले जब साथ फिल्म करने पर अमिताभ से जुड़ने लगा रेखा का नाम बच्चन परिवार की बहू बनने के बाद जया बच्चन ने फिल्मों से ब्रेक ले लिया, हालांकि उन्होंने वो फिल्में जरूर पूरी कीं, जो उन्होंने शादी से पहले साइन की हुई थीं। इनमें ‘शोले’ भी शामिल थी, जिसमें वो अमिताभ बच्चन के साथ ही जोड़ी बनाने वाली थीं। फिल्म की शूटिंग चल ही रही थी, जब जया गर्भवती थी। उन्होंने प्रेग्नेंसी में ही फिल्म शूट की। फिल्म ब्लॉकबस्टर रही, लेकिन जया के छोटे से रोल को ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। शोले बन ही रही थी, जब दुलाल गुहा ने ‘दुश्मन’ (1972) और ‘दोस्त’ (1974) की कामयाबी के बाद फिल्म ‘दो अनजाने’ बनाने का फैसला किया। इसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन को कास्ट किया। फिल्म में लीड हीरोइन का रोल नेगेटिव दिखाया जाना था, तो शर्मिला टैगोर और मुमताज ने फिल्म करने से इनकार कर दिया। ऐसे में दुलाल गुहा ने रेखा को अप्रोच किया। रेखा शुरुआती तौर पर तो इस रोल के लिए राजी नहीं हुईं, लेकिन दुलाल गुहा के मनाने पर वो मान गईं। ये पहली बार था, जब वो अमिताभ के साथ रोमांस करने वाली थीं। इससे पहले दोनों ‘नमक हलाल’ में साथ आए, लेकिन रेखा की जोड़ी विनोद खन्ना के साथ बनी। 1972 में अमिताभ-रेखा साथ फिल्म कर रहे थे, लेकिन वो फिल्म दोनों के साथ नहीं बन सकी। रेखा की बायोग्राफी ‘रेखा: द अनटोल्ड स्टोरी’ में राइटर यासिर हुसैन ने लिखा है कि ‘दो अनजाने’ फिल्म की शूटिंग के दौरान रेखा अमिताभ को पसंद करने लगीं। सेट पर मौजूद लोग भी ये समझ चुके थे। नतीजा ये रहा कि फिल्म मैगजीन ने भी उस समय इस मुद्दे पर बढ़ चढ़कर छापा। लिखा गया कि कलकत्ता में शूटिंग के दौरान दोनों काफी समय साथ बिताते हैं। इस फिल्म के बाद दोनों को ‘मुकद्दर का सिकंदर’ में साथ कास्ट किया गया। रेखा-अमिताभ के अफेयर खबरें बढ़ने लगीं तो इससे अमिताभ बच्चन और जया के रिश्ते पर भी असर पड़ा। रेखा ने कहा था- मेरे और अमिताभ के लव सीन देखकर रो पड़ी थीं जया साल 1978 में रेखा ने स्टारडस्ट मैगजीन को एक इंटरव्यू दिया, जिसका नाम था, ‘Rekha: Girl without a Conscience? (रेखाः गर्ल विदाउट ए कंसाइन)। रेखा ने कहा था- एक बार बच्चन परिवार फिल्म मुकद्दर का सिकंदर फिल्म का ट्रायल शो देखने आया था। मैं बच्चन परिवार को प्रोजेक्शन रूम से देख रही थी, जया बच्चन पहली लाइन में बैठी थीं और परिवार दूसरी लाइन में था। वो लोग जया को उतना अच्छे से नहीं देख पा रहे थे, जितना मैं देख रही थी। जैसे ही मेरे और अमिताभ के लव सीन शुरू हुए, वैसे ही मैंने देखा कि उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। इसी इंटरव्यू में रेखा ने दावा किया कि अमिताभ ने उन्हें 2 अंगूठी दी थीं, जो उन्होंने इसलिए लौटा दी, क्योंकि जया के कहने पर उन्होंने सभी प्रोड्यूसर से कह दिया कि वो कभी साथ काम नहीं करेंगे। ये बात सच भी साबित हुई। दोनों ने फिर नई फिल्में साथ साइन कीं, न फिर कभी साथ नजर आए। ऋषि कपूर की शादी में सिंदूर लगाई पहुंचीं रेखा, नजरें झुकाकर रो पड़ीं जया बच्चन 22 जनवरी 1980 की बात है। राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी थी। इंडस्ट्री का हर शख्स इसमें शामिल हुआ। बच्चन परिवार भी पहुंचा। एक तरफ अमिताभ लोगों से मुलाकातें कर रहे थे, वहीं जया बच्चन अपनी सास तेजी बच्चन के साथ बैठी थीं। इसी बीच दुल्हन बनीं नीतू सिंह की करीबी दोस्त रेखा ने एंट्री ली। सफेद साड़ी पहनी रेखा ने मांग में सिंदूर भरा था। सारे कैमरे उनकी ओर हो गए। पूरे फंक्शन में रेखा की नजरें बार-बार अमिताभ पर जा रही थीं, जिससे मेहमानों के बीच खुसफुसाहट बढ़ रही थी। इसी बीच जैसे ही रेखा, अमिताभ के पास पहुंचीं, तो जया की नजरें भी उन पर पड़ीं और वो सिर झुकाए रोने लगीं। अगले दिन स्टारडस्ट मैगजीन में खबर छपी, जया ने काफी देर तक खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन फिर उन्होंने सिर झुका लिया और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। अमिताभ ने कहा था- मैं तलाक पर यकीन नहीं करता जब खबरें छपने लगीं कि अमिताभ और जया की शादीशुदा जिंदगी में रेखा की वजह से अनबन है, तो अमिताभ को भी इस पर सफाई देनी पड़ी। नासिर हुसैन की किताब रेखाः द अनटोल्ड स्टोरी के अनुसार, अमिताभ ने कहा था, ‘मैं कभी तलाक नहीं लूंगा। मैं तलाक पर यकीन नहीं रखता, क्योंकि मैं भारतीय हूं। जब मैंने जया को अपनी पत्नी बनाया, तो मैंने फर्स्ट क्लास फैसला लिया।’ रेखा ने दावा किया- जया ने घर बुलाकर कहा- मैं अमिताभ को कभी नहीं छोडूंगी स्टारडस्ट को दिए इंटरव्यू में रेखा ने दावा किया कि जया ने उन्हें एक दिन अपने घर बुलाया था। उन्होंने कहा- जया को तब तक रिश्ते में कोई दिलचस्पी नहीं थी, जया को इस रिश्ते से तब तक कोई परेशानी नहीं थी जब तक उन्हें लगता था कि उनके पति सिर्फ एक चक्कर में हैं। जब उन्हें एहसास हुआ कि वह वास्तव में इमोशनली मुझसे जुड़े हुए हैं, तभी उन्हें इससे तकलीफ होने लगी। उन्होंने मुझे एक शाम डिनर पर बुलाया और हालांकि हमने उनके (अमिताभ) अलावा हर चीज के बारे में बात की, लेकिन उस दिन जाने से पहले, उन्होंने मुझे यह जरूर बताया, “चाहे कुछ भी हो जाए मैं अमित (अमिताभ) को कभी नहीं छोड़ूंगी”।’ यश चोपड़ा की सिलसिला से खत्म हुआ लव ट्रायएंगल का सिलसिला 80 के दशक के शुरुआती सालों की बात है। यश चोपड़ा की अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म ‘काला पत्थर’ (1979) बुरी तरह फ्लॉप हो गई। उन्हें अपना करियर रिवाइव करना था, जिसके लिए उन्हें एक बेहतरीन फिल्म की जरुरत थी। इस समय उन्होंने फिल्म ‘सिलसिला’ बनाने का फैसला किया। फिल्म में उन्होंने अमिताभ बच्चन को कास्ट कर लिया। जब यश चोपड़ा ने अमिताभ को कहा कि गर्लफ्रेंड के रोल में वो रेखा को कास्ट करने वाले हैं, तो जया से वादे के बावजूद उन्होंने फिल्म के लिए हामी भर दी। जया बच्चन को इसकी खबर अखबारों में छपे बड़े-बड़े इश्तिहारों से मिली। अफेयर और कभी साथ काम न करने की खबरों के बीच जब जोड़ी दोबारा बन रही थी, तो चाहने वाले हैरान भी थे और खुश भी। इसी बीच अमिताभ बच्चन और इरानियन एक्ट्रेस नेटली के अफेयर की चर्चा आम हो गईं। इस बात से नाखुश रेखा ने अमिताभ के साथ फिल्म ‘सिलसिला’ छोड़ दी। मेकर्स की मुश्किलें बढ़ गईं और फिल्म में उनकी जगह परवीन बाबी और दूसरे रोल के लिए स्मिता पाटिल को कास्ट कर लिया गया। उस समय अमिताभ बच्चन श्रीनगर में टीनू आनंद की फिल्म ‘कालिया’ की शूटिंग कर रहे थे कि अचानक एक दिन यश चोपड़ा मुंबई से श्रीनगर पहुंच गए। 21 अक्टूबर 1980 को दोनों एक होटल में मिले। अमिताभ ने उनसे कहा- ‘क्या आप सिलसिला की कास्टिंग से खुश हैं।’ यश चोपड़ा ने जवाब दिया- ‘मैं खुश नहीं हूं।’ इस पर अमिताभ ने फिर पूछा- ‘आप मुझे ईमानदारी से कहिए कि आपको क्या लगता है इसकी आइडियल कास्टिंग क्या है।’ जवाब मिला- ‘मैं चाहता हूं रेखा फिल्म में आपकी गर्लफ्रेंड और जया आपकी पत्नी का रोल करें।’ अमिताभ 5 मिनट के लिए खामोश हो गए और फिर धीरे से कहा- ‘आप इस बारे में खुद जया से बात करिए।’ अगले दिन 22 अक्टूबर 1980 को दोनों मुंबई लौटे। यश चोपड़ा ने जया बच्चन से मुलाकात की और उन्हें अपना आइडिया बताया। ये बात खुद यश चोपड़ा ने शाहरुख खान को दिए एक इंटरव्यू में कही थी। स्टारडस्ट में छपी रिपोर्ट के अनुसार, जया ने उनसे वादा लिया था कि अगर वो कभी भी रेखा के साथ काम करेंगे तो वो भी फिल्मों में वापसी कर लेंगी। ऐसे में जया ने भी मन बना लिया कि अगर अमिताभ अपना वादा तोड़ते हैं तो वो भी फिल्म का हिस्सा बनेंगी। जब जया बच्चन को फिल्म सिलसिला की कहानी सुनाई गई तो वो बेमन से सुनती रहीं, लेकिन जब क्लाइमैक्स की बारी आई तो वो हैरान रह गईं। क्लाइमैक्स के अनुसार, सिलसिला के आखिर में जया को हॉस्पिटल में एडमिट देख अमिताभ अपनी गर्लफ्रेंड को छोड़कर उनके पास आते हैं और कहते हैं, मैं वापस आ गया हूं, हमेशा के लिए। जया आंखें खोलती हैं और कहती हैं, मैं जानती थी आप वापस जरूर आएंगे। सिलसिला का ये क्लाइमैक्स सीन ही वो वजह थी, जिसने जया की फिल्म में दिलचस्पी बढ़ाई। जाहिर है तीनों अच्छी तरह जानते थे कि वो पर्दे पर अपनी ही कहानी जी रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद तीनों ने हिम्मत से फिल्म की और फिल्म के जरिए अपनी कहानी का क्लाइमैक्स दे दिया। सिलसिला रिलीज के बाद अखबारों और मैगजीन में खबर छपी- जया इज बैक। लेकिन जिद में सिलसिला करने वालीं जया ने फिर कोई फिल्म साइन नहीं की। सालों बाद उन्होंने 1998 की फिल्म ‘हजार चौरासी की मां’ से बतौर कैरेक्टर आर्टिस्ट कमबैक किया। आगे वो फिजा, ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘कल हो न हो’ में नजर आईं। तीनों ही फिल्मों के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला है। आखिरी बार उन्हें 2023 की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में देखा गया है। फिल्मों के अलावा जया बच्चन राजनीति में भी 2004 से एक्टिव हैं। वो समाजवादी पार्टी से जुड़ी हुई हैं और 5 बार राज्यसभा सांसद बन चुकी हैं। संसद में दिए गए उनके बेबाक बयान भी सुर्खियों में रहते हैं। दिन दिनों भले ही जया बच्चन की इमेज एक चिड़चिड़ी एक्ट्रेस के रूप में बन चुकी है, जो अकसर फोटोग्राफर और लोगों पर भड़कती रहती हैं, हालांकि एक समय ऐसा था जब फिल्मों में सौम्यता लाने के लिए जया बच्चन फिल्ममेकर्स की पहली पसंद हुआ करती थीं। वो 80 के दशक की सबसे कामयाब एक्ट्रेस थीं।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर