सिंगर गुरदास मान के नए एल्बम साउंड ऑफ सॉइल का पहला गाना ‘मैं ही झूठी’ रिलीज हो गया है। इस एल्बम में 9 गाने हैं, जिन्हें गुरदास मान 9 रत्नों के समान मानते हैं। एल्बम के पहले गाने की रिलीज के बाद गुरदास मान ने दैनिक भास्कर से एल्बम के अलावा कई मुद्दों पर बात की है। उनका कहना है कि सिंगर्स को ऐसे गाने बनाने चाहिए, जिससे समाज में अमन कायम रहे। नेगेटिविटी से भरे गीत नहीं बनाने चाहिए क्योंकि यूथ इससे भ्रमित हो जाती है और गलत काम करने लगती है। मान साहब ने फिल्मों में सिखों की दिखाई जाने वाली इमेज पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि फिल्मों में सिखों को मजाक के तौर पर दिखाया जाता है। सिर्फ रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल में सिखों की छवि को स्टॉन्ग तरीके से दिखाया गया है। सिंगर गुरदास मान के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू करते हैं…. सवाल- आप 7 साल के लंबे गैप के बाद किसी एल्बम के वीडियो में दिखाई दिए हैं, इस एल्बम साउंड ऑफ सॉइल के बारे में कुछ बताइए?
जवाब- कोरोना महामारी के दौरान तो सभी ने दो-ढाई साल का ब्रेक लिया था। इस दौरान तो बहुत सारी चीजें जाया हो गईं। हालात तो बिल्कुल डिप्रेशन जैसे हो गए थे। वहीं, बीते दिनों हमारे कुछ सोलो सॉन्ग जिन्हें सिंगल बोलते हैं, वो रिलीज हुए थे। लेकिन हां एल्बम बहुत दिनों के बाद जारी किया है। साउंड ऑफ सॉइल एल्बम में 9 गाने हैं और सभी का अलग-अलग फ्लेवर है। यह 9 गाने नौ रत्नों के समान हैं। सॉइल का मतलब है मिट्टी यानी अपनी माटी से जुड़े रहना। वास्तविकता में भी मैं अपनी माटी से जुड़ा हुआ है। इस बात की गनीमत है कि मुझमें कभी अहंकार नहीं आया। जो प्यार और इज्जत मुझे फैंस से मिली है, वही मेरी असल कमाई है। सवाल- गानों में आप को डांस करते भी देखा जाता है। इस तरह की एनर्जी आप कैसे क्रिएट करते हैं?
जवाब- गाने तो हमेशा गाता ही रहता हूं। कभी-कभार डांस भी कर लेता हूं। लेकिन जब बंदिश में मुझे गाने के लिए कहा जाता है, तो यह थोड़ा मुश्किल हो जाता है। डांस करना फिर इससे ज्यादा मुश्किल हो जाता है। कोरियोग्राफी में सलीका होता है। इसमें आपको रिलैक्स होकर डांस करना पड़ता है। हमें कोरियोग्राफर के हिसाब से डांस करना पड़ता है। इस तरह की बंदिशे होती ही हैं। शूट के दौरान मुझे गाने के बोल पर भी फोकस करना पड़ता है ताकि उसका फ्लेवर न खत्म हो। डांस को गाने के बोल के साथ सिंक करना पड़ता है। इसके लिए मैं प्रॉपर प्रैक्टिस करता हूं। साउथ के कोरियोग्राफर शंकर जी इसमें मास्टर हैं। वे मेरी प्रॉपर तैयारी करवा देते हैं। हमारी 25 साल पुरानी दोस्ती है। मेरे हर प्रोजेक्ट की कोरियोग्राफी वही करवाते हैं। सवाल- आपके गानों में देश विभाजन का दर्द साफ झलकता है, इस पर क्या कहना है?
जवाब- हां, यह बिल्कुल सच है। पड़ोसी मुल्क के लोग भी अपने ही हैं। सच्चाई यही है कि कोई भी धरती मां को बांट नहीं सकता है। यह सबके परे है। आज हर तरफ लोग जोड़ने से ज्यादा तोड़ने की बात करते हैं। मेरी कोशिश यही है कि गानों के माध्यम से लोगों के बीच भाईचारा फैला सकूं। सवाल- रैप या नए वर्जन के पंजाबी गानों पर आपकी क्या राय है?
जवाब- समय के साथ म्यूजिक में बहुत बदलाव आया है। पहले के गानों में फिल्म की कहानी की झलक मिलती थी। लेकिन आज ऐसा मालूम पड़ता है कि हम आइटम नंबर्स देख कर आ रहे हैं। वहीं, मैं गानों को दुनिया में इनकी पॉपुलैरिटी से मापता हूं। हम यह साफ देख सकते हैं कि पंजाबी गानों की पॉपुलैरिटी दिन-ब-दिन बढ़ रही है। विदेशों में भी इसे सुना जा रहा है। पंजाबी गाने हर किस्म के फंक्शन का हिस्सा बन गए हैं। यह बिल्कुल जादुई है। मेरी कोशिश यही रहती है कि गाने से समाज में एक सोशल मैसेज दे सकूं। वैसे भी आज हर तरफ कत्लेआम हो रहा है। लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं। वह चीज भी देखनी पड़ रही है, जो हमने इससे पहले कभी नहीं देखी थी। मैंने एक गाना लिखा था- मैं धरती पंजाब दी। यह गाना सोशल मैसेज वाला था। मुझे एक करीबी शख्स ने बताया कि इस गाने को बड़े-बुजुर्ग सहित बच्चे भी बहुत पसंद कर रहे। दरअसल, एक स्कूल में बच्चों ने इस गाने पर नाटक किया था, जिसे देख दर्शक रो पड़े थे। सवाल- पंजाब में गन कल्चर बहुत बढ़ गया है। सिद्दू मूसेवाला की हत्या जैसी चीजें भी घटित हुई हैं। इन पर आपका क्या कहना है?
जवाब- हम सिंगर्स को यूथ अपना आइडियल मानते हैं। हम उन्हें जो चीजें अपने गानों के जरिए दिखाते हैं, दर्शक वही फॉलो करने लगते हैं। ऐसे में हमें एहतियात बरतनी चाहिए कि हम समाज में गानों के जरिए सिर्फ पॉजिटिव मैसेज दें। सिंगर्स को कभी-कभार समाज के हितों के लिए भी काम कर लेना चाहिए। पैसे तो वे कमा ही रहे हैं। सवाल- सिखों की अपनी वीरगाथा है, लेकिन फिल्मों में इनकी इमेज थोड़ी निगेटिव टोन पर दिखाई जाती है। क्या कहना चाहेंगे?
जवाब- मैंने फिल्म रोटी कपड़ा और मकान देखी थी, जिसमें एक सरदार को मजाक के तौर पर दिखाया गया था। फिल्मों में सरदार की पगड़ी देखने लायक होती ही नहीं है। लगता है कि बस टोपी पहना दी है। असल में पगड़ी पहने हुए सरदार बहुत ज्यादा सुंदर दिखते हैं। फिल्मों में सरदार की इमेज थोड़ी फीकी दिखाई जाती है। मैंने बस फिल्म एनिमल में रियल सरदार की इमेज देखी है, जिन्हें जोश से भरा दिखाया गया है। खैर यह सारी चीजें डायरेक्टर की सोच पर निर्भर करती हैं। सवाल- आपने फिल्मों में एक्टिंग भी की है। दर्शकों की डिमांड है कि आप और ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम करें। क्या ऐसा होगा?
जवाब- मैं पंजाबी गानों के लिए बहुत जुनूनी हूं। मुझे गीत गाना ज्यादा पसंद हैं। एक्टिंग करते वक्त थोड़ा डरा रहता हूं। सवाल- आपने क्यों कई फिल्मों में काम करने से मना कर दिया था?
जवाब- नहीं ऐसा नहीं है। मैंने कभी काम करने से इनकार नहीं किया। भला मैं क्यों नहीं बड़े-बड़े एक्टर्स, एक्ट्रेसेस और फिल्ममेकर्स के साथ काम करना चाहूंगा। सवाल- मान साहब, आपका बचपन कैसा रहा?
जवाब- मेरा भी बचपन बाकी बच्चों की तरह सामान्य रहा। बचपन तो बिल्कुल प्योर होता है। इसमें जाति, धर्म, सियासत जैसी चीजों की जगह नहीं होती है। मेरा बचपन मौज करते और गाते हुए बीता है। जो गाने सुनता था, वही गुनगुनाने लगता था। खेतों में भी काम किया है। सवाल- सिंगिंग से वास्ता कैसे जुड़ा?
जवाब- बचपन से ही संगीत के प्रति रुझान था। हालांकि कभी सोचा नहीं था कि सिंगर बनूंगा। इस वजह से कभी संगीत सीखने का मौका भी नहीं मिला। सवाल- जुडो-कराटे में आपकी दिलचस्पी कैसे बढ़ी?
जवाब- बस समय के साथ इसमें दिलचस्पी आ गई। यह फिजिकल एजुकेशन का ही नतीजा है कि मैं आज भी फिट हूं। मैंने तो इस पर गीत भी लिखे हैं। सवाल- लाइफ का सबसे बड़ा स्ट्रगल किसे मानते हैं?
जवाब- सबसे बड़ा स्ट्रगल यही है कि भगवान ने जो शोहरत दी है, उसे बुरी नजर से बचाए रखना। भगवान ने मुझे इन चीजों से नवाज तो दिया है, लेकिन इसे संभालने की जिम्मेदारी मेरी है। सवाल- कोई ऐसी ख्वाहिश जिसे आप पूरी करना चाहते हैं?
जवाब- मुझे तो डॉक्टरेट की उपाधि मिल चुकी है, लेकिन मैंने इसे अपने नाम के साथ नहीं जोड़ा है। मेरी बस इतनी सी ख्वाहिश है कि लोगों के मन में मेरे लिए प्यार और इज्जत हमेशा रहे।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर
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