दिवाली 2024 पर मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ 1 नवंबर को वर्ल्डवाइड रिलीज होगी। कुछ दिनों पहले, गाने ‘अमी जे तोमार 3.0’ की झलक जारी की गई है, हालांकि वह पूरा गाना नहीं है। ‘भूल भुलैया’ फ्रेंचाइजी का यह सबसे पॉपुलर गाना नए अंदाज में पेश किया गया है। फिल्म के सिनेमेटोग्राफर मनु आनंद ने दैनिक भास्कर से बातचीत में इस गाने की शूटिंग के अनुभव शेयर किए। उन्होंने विद्या बालन और माधुरी दीक्षित के साथ काम करने को एक बड़ी जिम्मेदारी बताया और सेट की खूबसूरती, कलर्स, और लाइटिंग पर अपने ध्यान की चर्चा की। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश: ‘आमी जे तोमार सुधु जे तोमार’ सॉन्ग का अनुभव कैसा रहा? शूटिंग कितने दिनों तक चली? इस गाने को हमने 5 दिन में शूट किया। 5 दिन बहुत ही मजेदार थे। मुझे पर्सनली गाने शूट करने में बहुत मजा आता है। मेरी फिल्मोग्राफी में देखेंगे तो मेरे गाने हमेशा एन्जॉयेबल रहे हैं। जब पता चला कि विद्या जी और माधुरी जी के साथ ये गाना शूट करना है, तो लगा कि हमारे ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है। इस गाने को यादगार बनाना था, क्योंकि ये मोमेंट अपने आप में ही खास था। विद्या जी और माधुरी जी, जो दोनों डांस की दुनिया में बड़े नाम हैं, उनके साथ काम करना किसी सपने के सच होने जैसा था। हमारे कोरियोग्राफर चिन्नी प्रकाश जी ने भी बहुत मेहनत की। सेट बहुत आलीशान बनाया गया था, खासकर दरबार हॉल में। मैंने कलर्स और लाइटिंग का खास ध्यान रखा ताकि उनके चेहरे पर नूर जैसा फील आए। कैमरा मूवमेंट भी इस तरह से डिजाइन किया गया था कि गाना डायनामिक लगे और कोरियोग्राफी को कॉम्प्लिमेंट करे। इस गाने में एक लंबा सिंगल शॉट भी है जहां कैमरा और एक्टर्स का मूवमेंट एक डांस जैसा लगता है। वो शॉट लेने में कई टेक लगे, लेकिन सभी ने पूरी मेहनत की और आखिरकार हमें वो लुक मिला जो हम चाहते थे। 5 दिन तक लगातार ये गाना शूट हुआ, क्या आप बता सकते हैं कि ये 5 दिन कैसे निकले? शूटिंग से पहले ही हमारी तैयारियां शुरू हो गई थीं। पहले सेट की लाइटिंग, डिजाइन और रिहर्सल्स हुए। फिर जब एक्टर्स सेट पर आए, तो हमने शॉट-बाय-शॉट गाने का हर मूवमेंट डिसाइड किया। गाने के हर शॉट को चिन्नी प्रकाश जी, अनीस भाई और मैंने डिजाइन किया। अगर किसी शॉट में एक्सप्रेशन या कैमरा एंगल में सुधार की जरुरत लगती, तो अनीस भाई बोल देते थे कि एक और टेक लेते हैं। हमने इस गाने में कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं किया। हर शॉट को तब तक फाइनल नहीं किया जब तक पूरी टीम संतुष्ट नहीं हुई। ये 5 दिन लगातार 12 घंटे की शिफ्ट में शूट हुआ। गाने के लिए कितने कैमरे लगे थे और कितनी लोगों की टीम मौजूद थी? हमारे पास उस गाने के लिए तीन कैमरे थे, लेकिन हर टेक एक ही कैमरे से हुआ, क्योंकि एक्टर्स की परफॉर्मेंस को एक कैमरे से सही तरीके से कवर किया जा रहा था। बाकी कैमरे अलग-अलग वजह के लिए थे – जैसे एक कैमरा स्टडी कैम्प पे था, दूसरा स्क्रीन पे और तीसरा डॉली पे। हम शॉट के हिसाब से कैमरा चेंज कर देते थे ताकि शूटिंग में तेजी आ सके। डांस में तीन कैमरे लगाने से शॉट की डिजाइनिंग में मुश्किल होती। इसलिए हर लाइन, हर मूवमेंट का पर्टिकुलर फ्रेम था ताकि गाना स्क्रीन पर अच्छा दिखे। टीम की बात करें तो, सेट पर आमतौर पर चार से पांच सौ लोग थे। एक्स्ट्राज को छोड़ दें तो भी चार से पांच सौ से ज्यादा लोग होंगे, जिसमें लाइटिंग, आर्ट, कॉस्टयूम, प्रोडक्शन, कारपेंटर, लाइट मैन सब शामिल थे। माहौल ऐसा था कि जो लोग फ्लोर पर नहीं भी काम करते, वे भी फ्लोर पर आ जाते थे, मंत्रमुग्ध होकर देखते थे। इतनी भीड़ होती थी कि प्रोडक्शन को बार-बार बाहर निकालना पड़ता था। असल में, कार्तिक आर्यन की उस दिन शूटिंग नहीं थी, फिर भी वो छुट्टी के दिन सेट पर आ गए । जब उनसे पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वो विद्या बालन और माधुरी का परफॉर्मेंस देखने आए हैं। हर कोई इस ऐतिहासिक सीन का हिस्सा बनना चाहता था। हॉरर कॉमेडी फिल्म में कैमरा प्लेसमेंट और लाइटिंग को लेकर क्या खास ध्यान देना पड़ता है, इसमें आपकी सबसे बड़ी चुनौती क्या रहती है? लोकेशन का बड़ा रोल होता है। एक अच्छे सिनेमैटोग्राफर के तौर पर प्रॉपर लोकेशन मिलना जरूरी है। हॉरर कॉमेडी में लाइटिंग का खेल बहुत अहम है। हॉरर में अंधेरा होना चाहिए, पर इतना भी नहीं कि कुछ दिखे ही नहीं। यहां एक फाइन बैलेंस बनाना पड़ता है, जैसे बच्चे अक्सर अंधेरे से डरते हैं या डार्क रूम में खेलते हैं, वही डराने और हंसाने का खेल होता है। हॉरर में लाइटिंग सस्पेंस बढ़ाती है, और फिर अचानक कॉमेडी से माहौल हल्का हो जाता है। यह मिक्स थोड़ा मूडी और थोड़ा ब्राइट होता है, और यही मजेदार चुनौती है जो इस जॉनर में सबसे अलग है। इस फिल्म के लिए कौन-कौन सी लोकेशन्स चुनी गईं? हमारी पूरी टीम ने बहुत जगहों पर शूटिंग की। हम मुंबई से निकले, राजस्थान, गुजरात, बंगाल, और मध्यप्रदेश गए। फाइनली फिल्म की सेटिंग बंगाल में की गई है, जहां काफी हिस्सा शूट हुआ है। हमारी जो मुख्य हवेली है, जिसका दरवाजा खुलेगा, वो ओरछा, मध्यप्रदेश में शूट हुई है। इसके अलावा, मुंबई में हमारे सेट्स हैं, तो फिल्म लाइव लोकेशन और सेट्स के बीच में शूट हुई है। बंगाल और मध्यप्रदेश में खास कहां पर शूट हुआ है? बंगाल में हमने कोलकाता और उसके आसपास की कई जगहों पर शूट किया। हम ओबेरॉय होटल में ठहरे थे, और शूटिंग हावड़ा में की है, साथ ही कुछ पुरानी हवेलियोंमें भी। हावड़ा ब्रिज पर भी शूटिंग हुई। मध्यप्रदेश में हमने ओरछा के उषा घाट पर शूट किया। वहां का जहानगर महल को फिल्म में बंगाल के रूप में दिखाया गया है। कम से कम 90 से 100 दिन का स्केड्यूल था। शूटिंग के दौरान कभी ऐसा कोई रियल डरावना वाकया हुआ जिससे पूरी टीम डर गई हो? हां, जब हम बंगाल में शूटिंग कर रहे थे, तो हमारा होटल वैसे तो काफी अच्छा था, पर बाद में पता चला कि वो होटल हॉन्टेड है। पहले तो किसी को नहीं पता था, लेकिन होटल की लॉबी में एक बोर्ड लगा था, जिसमें लिखा था कि इस होटल में अजीब घटनाएं हुई हैं। लोग उस बारे में पढ़कर थोड़े डर गए थे। जिनको भूत-प्रेत का डर लगता है, उनके लिए ये माहौल थोड़ा टेंशन भरा हो गया था। ऐक्टर्स भी उसी होटल में रुके थे और बाद में हमें पता चला कि करीब 100 साल पहले वहाँ कुछ हादसा हुआ था। तब से लोगों ने वहां अजीब अनुभव किए हैं। अनीस बाजमी के काम करने के तरीके में कौन-सी खास बातें हैं। वह किन बातों पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हैं? अनीस भाई सेट पर हमेशा खुशनुमा माहौल बनाए रखते हैं, लेकिन फिल्म की हर डिटेल, खासकर कॉस्ट्यूम्स और लुक को लेकर बहुत पर्टिकुलर हैं। उन्होंने 70 से ज्यादा फिल्में की हैं, और उनका अनुभव मेरे लिए सीखने जैसा है। वो हर सदस्य को क्रिएटिव एक्सप्रेशन का पूरा मौका देते हैं। अगर मैं कुछ नया डिज़ाइन दिखाता हूँ, तो बहुत उत्साहित होकर कहते हैं – अरे यार, ये तो कमाल है, थोड़ा और करके दिखाओ। उनके साथ काम करना मजेदार है, क्योंकि वो टीम को हमेशा प्रेरित करते हैं। उनकी व्यवहार से पूरी टीम प्रभावित रहती है। उनके साथ का रिश्ता हमेशा एक समझदारी और सहयोग से भरा होता है।बॉलीवुड | दैनिक भास्कर
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