70वीं नेशनल अवॉर्ड सेरेमनी का आयोजन आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में होगा। दोपहर 3 बजे शुरू होने वाली इस सेरेमनी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सभी विजेताओं को अवॉर्ड प्रेजेंट करेंगी। इस साल फिल्म जगत का सबसे गौरवपूर्ण दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड मिथुन चक्रवर्ती को दिया जाएगा। साल 1987 में पृथ्वीराज कपूर को मरणोपरांत दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। उनके लिए यह अवॉर्ड लेने बेटे राज कपूर ऑक्सीजन मास्क लगाए सेरेमनी में पहुंचे थे। हालांकि अवॉर्ड लेने के ठीक बाद उन्हें अस्थमा अटैक पड़ गया। उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण की एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया गया था। वहीं कई बार ऐसा भी हुआ कि कुछ फिल्मों को अवॉर्ड दिए जाने पर नेशनल फिल्म अवॉर्ड विवादों से घिर गए। 53वीं नेशनल अवॉर्ड सेरेमनी में संजयलीला भंसाली की फिल्म ब्लैक को बेस्ट फीचर फिल्म हिंदी कैटेगरी में अवॉर्ड मिला था। हालांकि इसका जमकर विरोध हुआ था। अवॉर्ड सेरेमनी से ठीक पहले जानिए 70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड विनर्स के नाम और इससे जुड़े कुछ दिलचस्प फैक्ट्स- नेशनल अवॉर्ड को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड) के अलावा 3 कैटेगरी में बांटा गया है, जिनमें फीचर फिल्म, नॉन फीचर फिल्म और राइटिंग इन सिनेमा शामिल हैं। फीचर और नॉन फीचर फिल्मों की कैटेगरी में अवॉर्ड दो तरह के होते हैं, इन्हें स्वर्ण कमल (गोल्डन लोटस) और रजत कमल (सिल्वर लोटस) जैसी सब-कैटेगरी में बांटा गया है। जबकि राइटिंग इन सिनेमा कैटेगरी में सिर्फ स्वर्ण कमल (गोल्डन लोटस) दिया जाता है। अवॉर्ड के साथ नेशनल अवॉर्ड विजेताओं को नकद राशि भी दी जाती है। नेशनल अवॉर्ड से जुड़े ये किस्से भी पढ़िए- ऑक्सीजन मास्क में अवॉर्ड लेने पहुंचे राज कपूर, राष्ट्रपति की एम्बुलेंस से ले जाया गया अस्पताल साल 1987 में पृथ्वीराज कपूर को मरणोपरांत दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड देने की घोषणा की गई थी। 2 मई 1988 को हुई अवॉर्ड सेरेमनी में उनकी जगह ये अवॉर्ड लेने उनके बेटे राज कपूर पहुंचे थे। उस समय राज कपूर इतना बीमार रहते थे कि वो ऑक्सीजन सिलेंडर साथ लिए ऑक्सीजन मास्क लगाकर सेरेमनी में बैठे थे। जिस समय पृथ्वीराज कपूर का नाम अनाउंस हुआ, तो राज कपूर की हालत इतनी बिगड़ गई कि वो कुर्सी से उठ नहीं सके। ऐसे में राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण ने सेरेमनी का प्रोटोकॉल तोड़ते हुए खुद उनकी कुर्सी तक जाकर अवॉर्ड दिया। राज कपूर की हालत इतनी नाजुक थी कि वो अवॉर्ड को ठीक तरह पकड़ भी नहीं पा रहे थे। कुछ ही देर में राज कपूर को सेरेमनी में ही अस्थमा का अटैक पड़ा। उनकी हालत देखकर राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण ने उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाने का सुझाव दिया और इसके लिए अपनी एम्बुलेंस दे दी। राज कपूर को दिल्ली के AIIMS में भर्ती करवाया गया था। 2 महीने तक चले इलाज के बाद उनका 2 जून 1988 को निधन हो गया। ये किस्सा राज कपूर की बेटी रीमा ने फिल्मफेयर को दिए इंटरव्यू में सुनाया था। आमिर को बेस्ट एक्टर अवॉर्ड हासिल न कर पाने का अफसोस आमिर खान को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड न मिलने पर अफसोस है। दरअसल, उन्हें सालों पहले राजकुमार संतोषी की फिल्म द लीजेंड ऑफ भगत सिंह में भगत सिंह की भूमिका निभाने का ऑफर मिला था। हालांकि उन्होंने ये ऑफर ठुकरा दिया, तब वो रोल अजय देवगन को दिया गया। जब अजय को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला, तो आमिर को फिल्म ठुकराने का अफसोस हुआ। ये बात खुद आमिर ने द कपिल शर्मा शो में बताई थी। बता दें कि आमिर खान को 1988 की फिल्म कयामत से कयामत तक के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड में स्पेशल मेंशन मिला था। इसके अलावा उनकी फिल्म लगान को बेस्ट पॉपुलर फिल्म प्रोवाइडिंग होलसम एंटरटेनमेंट अवॉर्ड और तारे जमीन पर को बेस्ट फिल्म इन फैमिली वेलफेयर अवॉर्ड मिला था। शबाना आजमी के पास सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड अब तक सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड हासिल करने का रिकॉर्ड एक्ट्रेस शबाना आजमी के पास है। उन्हें 5 बार फिल्म अंकुर, अर्थ, कांधार, पार, गॉडमदर के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड मिला है। सबसे कम उम्र में स्मिता पाटिल ने बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड जीतकर रचा इतिहास स्मिता पाटिल को 1977 की फिल्म भूमिका के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड मिला था। उस समय उनकी उम्र महज 25 साल थी। ऐसे में सबसे कम उम्र में बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड आज भी उन्हीं के पास है। फिल्म ब्लैक के नेशनल अवॉर्ड जीतने पर हुई थी कंट्रोवर्सी 53वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड में संजय लीला भंसाली की फिल्म ब्लैक को बेस्ट फीचर फिल्म (हिंदी) का नेशनल अवॉर्ड दिया गया था। नेशनल अवॉर्ड के नियमों के अनुसार, किसी भी ऐसी फिल्म को अवॉर्ड नहीं दिया जा सकता, जो किसी दूसरी फिल्म का एडैप्शन हो। ऐसे में ज्यूरी मेंबर में शामिल देब बनर्जी ने आरोप लगाए थे कि इस फिल्म का फेवर कर अवॉर्ड दिया गया है। फिल्म ब्लैक, हॉलीवुड फिल्म द मिरेकल वर्क का एडैप्शन है, जिससे ये अवॉर्ड क्राइटेरिया को पास नहीं करती। उन्होंने फिल्म को अवॉर्ड दिए जाने के विरोध में एक पिटीशन भी फाइल की थी। हालांकि कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार फिल्म ब्लैक ने 3 नेशनल अवॉर्ड जीते, जिनमें बेस्ट फीचर फिल्म (हिंदी), बेस्ट एक्टर (अमिताभ बच्चन) और बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन (सब्यसाची मुखर्जी) शामिल हैं। इसी साल फिल्म परजानिया के लिए राहुल ढोलकिया को बेस्ट डायरेक्टर, सारिका को बेस्ट एक्ट्रेस और फिल्म परिणीता के लिए प्रदीप सरकार को बेस्ट डायरेक्टर डेब्यू का अवॉर्ड दिए जाने पर भी विवाद रहा। कोलकाता बेस्ड क्रिटिक और ज्यूरी में शामिल देब बनर्जी ने इनके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल की थी। उनका आरोप था कि पक्षपात के जरिए इन कैटेगरी में अवॉर्ड दिए गए हैं। किरण खेर का नेशनल अवॉर्ड विवादों में रहा बंगाली फिल्म बरीवाली के लिए किरण खैर को बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड दिया गया था। इस फिल्म के नॉमिनेशन के दौरान भरे गए फॉर्म में कहा गया था कि किरण खेर ने अपनी आवाज खुद डब की है, हालांकि डबिंग आर्टिस्ट और एक्ट्रेस रीता कोइराला ने आरोप लगाए कि फिल्म में उन्होंने किरण खेर के लिए बंगाली डबिंग की थी, जिसको नॉमिनेशन फॉर्म में मेंशन नहीं किया गया था। 65वीं नेशनल अवॉर्ड सेरेमनी में 68 विजेताओं ने सेरेमनी में आने से इनकार किया था 65वीं नेशनल अवॉर्ड सेरेमनी 68 विजेताओं के सेरेमनी में न पहुंचने से विवादों में रही थी। दरअसल, विजेताओं को मिले इनविटेशन कार्ड में साफ लिखा था कि उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों अवॉर्ड दिया जाएगा, लेकिन जब सेरेमनी की रिहर्सल शुरू हुई तो बताया गया कि 107 में से सिर्फ 11 लोगों को ही राष्ट्रपति के हाथों अवॉर्ड मिलेगा। अन्य विजेताओं को तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी अवॉर्ड देंगी। इसी बात से नाराज होकर 68 विजेताओं ने सेरेमनी में आने से इनकार कर दिया था। नेशनल अवॉर्ड का इतिहास नेशनल अवॉर्ड की शुरुआत साल 1954 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर फिल्म जगत से जुड़ा सम्मान देने के लिए किया था। इसकी नींव भारतीय कल्चर और आर्ट को बढ़ावा देने के लिए रखी गई थी। 10 अक्टूबर 1954 को नेशनल अवॉर्ड की पहली सेरेमनी रखी गई थी, जिसमें मराठी फिल्म श्यामची आई को बेस्ट फीचर फिल्म कैटेगरी में अवॉर्ड दिया गया था। 1969 में हुई दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड की शुरुआत साल 1969 में नेशनल अवॉर्ड में हिंदी सिनेमा के जनक दादासाहेब फाल्के के सम्मान में नई कैटेगरी दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड को शामिल किया गया था। साल 1969 में देविका रानी, दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड जीतने वालीं पहली फिल्मी हस्ती रहीं। तब से लेकर आज तक करीब 54 लोग दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड हासिल कर चुके हैं। इसे फिल्म जगत का सबसे गौरवपूर्ण सम्मान कहा जाता है। 2024 में ये अवॉर्ड मिथुन चक्रवर्ती को मिलेगा। नेशनल अवॉर्ड से जुड़ीं ये खबरें भी पढ़िए- स्त्री-2 कोरियोग्राफर जानी मास्टर से नेशनल अवॉर्ड वापस लिया गया:असिस्टेंट ने यौन शोषण का आरोप लगाया था; तेलंगाना पुलिस ने गोवा से गिरफ्तार किया नाबालिग असिस्टेंट से रेप के आरोपी जानी मास्टर से बेस्ट कोरियोग्राफर का नेशनल अवॉर्ड छीन लिया गया है। मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग ने रविवार को इसकी जानकारी दी। जानी के खिलाफ उनकी असिस्टेंट रही लड़की ने 15 सितंबर को तेलंगाना के साइबराबाद रायदुर्गम पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करवाई थी। पूरी खबर पढ़िए…बॉलीवुड | दैनिक भास्कर
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