September 18, 2024
Aishwarya Rai bachchan

Panama Papers Case में Aishwarya Rai से ईडी ने की पांच घंटे पूछताछ, अभिषेक बच्चन भी हो चुक हैं पेश

'पनामा पेपर्स' मामला मोसैक फोन्सेका से चुराए गए और 2016 में मीडिया में लीक हुए लाखों दस्तावेजों की एक विस्तृत जांच है। इस मामले में आरोप शामिल हैं कि दुनिया के अमीर और शक्तिशाली ने करों से बचने के लिए बेनामी खातों या शेल कंपनियों की स्थापना की।

नई दिल्ली। पनामा पेपर्स केस (Panama Papers Case) में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की बहू और एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) से ईडी ने करीब पांच घंटे तक पूछताछ की है। ऐश्वर्या सोमवार को दिल्ली स्थित ED के दफ्तर में पहुंची थीं। ऐश्वर्या ने ईडी के ढेर सारे सवालों का सामना किया। यह स्पष्ट नहीं है कि अभिनेता को बाद की तारीख में और पूछताछ के लिए बुलाया गया है या नहीं।

सूत्रों ने कहा कि जांच एजेंसी ने उसका बयान दर्ज किया, जिसमें दावा किया गया था कि उसने अपना पैसा ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह में स्थित एक कंपनी में रखा था। बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन की बहू 48 वर्षीय ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) को पहले भी तलब किया गया था लेकिन दो बार उन्होंने समय मांग लिया था। प्रवर्तन निदेशालय ने 2017 में आरोपों की जांच शुरू की थी।

ईडी ने बच्चन परिवार को नोटिस जारी

ईडी ने बच्चन परिवार को नोटिस जारी कर भारतीय रिजर्व बैंक की उदारीकृत प्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत 2004 से विदेशी प्रेषण की व्याख्या करने के लिए कहा था। सूत्रों ने कहा कि ऐश्वर्या राय ने पिछले 15 वर्षों में प्राप्त विदेशी भुगतान रिकॉर्ड जमा किए थे। सूत्रों ने कहा कि उन्हें 2004 में ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह में स्थापित एक बेनामी कंपनी – एमिक पार्टनर्स – का निदेशक नामित किया गया था। पनामा स्थित कानूनी फर्म मोसैक फोन्सेका ने कंपनी को पंजीकृत किया, जिसकी चुकता पूंजी $50,000 थी।

अभिनेत्री ने कथित तौर पर कंपनी छोड़ दी

2009 में अभिनेत्री (Aishwarya Rai) ने कथित तौर पर कंपनी छोड़ दी; इसे दुबई स्थित बीकेआर एडोनिस द्वारा अधिग्रहित किया गया था। ‘पनामा पेपर्स’ मामला मोसैक फोन्सेका से चुराए गए और 2016 में मीडिया में लीक हुए लाखों दस्तावेजों की एक विस्तृत जांच है। इस मामले में आरोप शामिल हैं कि दुनिया के अमीर और शक्तिशाली ने करों से बचने के लिए बेनामी खातों या शेल कंपनियों की स्थापना की।

दुनिया भर में राजनेताओं, उद्योगपतियों और मशहूर हस्तियों के लीक हुए वित्तीय रिकॉर्ड की समीक्षा और प्रकाशन इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स द्वारा किया गया। 300 से अधिक भारतीयों को ‘पनामा पेपर्स’ का हिस्सा बताया गया था।

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